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राजधानी लखनऊ में पहली बार आदि महोत्सव का आयोजन, आदिवासी शिल्पकारों ने जमाया डेरा

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Published : Dec 22, 2019, 7:38 PM IST

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पहली बार आदि महोत्सव का आयोजन किया गया. इस महोत्सव में विभिन्न क्षेत्रों से आए आदिवासियों ने हिस्सा लिया और खुद से बनाई गई चीजों के स्टॉल लगाए.
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आदि महोत्सव का आयोजन.

लखनऊः मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स गवर्नमेंट ऑफ इंडिया (ट्राईफिड) की तरफ से राजधानी लखनऊ में पहली बार आदि महोत्सव का आयोजन किया गया. इस महोत्सव में आदिवासी क्षेत्रों से आए लोगों ने अपने-अपने हुनर का प्रदर्शन किया. आदिवासियों द्वारा बनाए गई होम डेकोर के सामान, हैंडलूम समेत कई अन्य चीजों के स्टॉल लगाए गए, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं.

आदि महोत्सव का आयोजन.
आदिवासी क्षेत्रों से आए लोगों ने दिखाया हुनर
मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स गवर्नमेंट ऑफ इंडिया (ट्राईफिड) की तरफ से राजधानी लखनऊ में आदि महोत्सव लगाया गया. इस महोत्सव की खास बात यह है कि आदिवासी क्षेत्रों से आए आदिवासी भाई-बहनों ने इसमें प्रतिभाग किया. यह महोत्सव पूरे भारत भर में अलग-अलग जगहों पर लगाया जाता है.


उत्तर प्रदेश सरकार की पूरी मदद

ट्राईफिड के रीजनल मैनेजर अल्ताफ अंसारी ने जानकारी देते हुए बताया कि यह महोत्सव लखनऊ में पहली बार लगाया गया है. इस महोत्सव की खास बात यह है कि इसमें सिर्फ आदिवासी क्षेत्रों से ही आए लोगों ने प्रतिभाग किया है. उनकी प्रतिभा को उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरी तरह से सुरक्षित किया है. उनके यहां रहने, आने-जाने और स्टॉल लगाने के लिए सरकार हर तरह से सहायता कर रही हैं.

सरकार का मकसद उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर करना है. साथ ही रीजनल मैनेजर ने कहा कि इस महोत्सव से लोग आदिवासी क्षेत्रों के हुनर को भी पहचान सकेंगे.

इसे भी पढ़ें- आजमगढ़ महोत्सवः कवयित्री अनामिका जैन अंबर ने CAA को देश के लिए जरूरी बताया

हैंडलूम और होम डेकोर का स्टॉल
दुकानदार शकुंतला ने बताया कि वह असम के आदिवासी क्षेत्र से आई हैं और यहां पर हैंडलूम का स्टॉल लगाया है. शकुंतला ने कहा कि इस स्टॉल में सब कुछ उनके हाथ का बना हुआ है, जिसमें किसी भी तरह की कोई मिलावट नहीं है. साथ ही उन्होंने बताया कि इस स्टॉल को लगाने में सरकार उनकी मदद काफी वर्षों से कर रही है, जिससे उनको फायदा भी मिल रहा है.

Intro:लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पहली बार आदि महोत्सव का आयोजन किया गया है। यह महोत्सव कई मायनों में राजधानी के लिए खास साबित होने वाला है। इस महोत्सव में आदिवासी क्षेत्रों से आए लोगों के हुनर को तरजीह दी जा रही है। उनके द्वारा बनाए गए तमाम चीजों की प्रदर्शनी लगाई गई है जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं।


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मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स गवर्मेंट ऑफ इंडिया (ट्राईफिड) की तरफ से लगाए गए इस आदि महोत्सव की खास बात यही है कि इस महोत्सव में आदिवासियों ने अपने अपने हुनर का प्रदर्शन किया है और यह महोत्सव पूरे भारत भर में अलग-अलग जगहों पर लगाया जाता है।
टाइफाइड के रीजनल मैनेजर अल्ताफ अंसारी कहते हैं कि यह महोत्सव लखनऊ में पहली बार लगा है और क्योंकि हम से मांग की गई थी कि से गोमतीनगर के आसपास लगाया जाए इसलिए हमने यह जगह मुफीद समझी। इस महोत्सव के खास बात यह है कि इसमें सिर्फ आदिवासी क्षेत्रों से ही आए लोगों ने प्रतिभाग किया है और उनकी प्रतिभा गीता को उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरी तरह से सुरक्षित किया है उन्हें हम यहां रहने आने-जाने और स्टॉल लगाने के लिए हर तरह से सहायता कर रहे हैं ताकि उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो सके और आदिवासी क्षेत्रों के हुनर को भी लोग पहचान सकें।

असम से आई दुकानदार शकुंतला डोले ने बताया कि वह असम के आदिवासी क्षेत्र से आई है और यहां पर हैंडलूम का स्टॉल लगाया है शकुंतला कहती है कि यहां सब कुछ उनके हाथ का बना हुआ है और उसमें किसी भी तरह से कोई मिलावट नहीं है। शकुंतला कहती हैं कि इस स्टॉल को लगाने में सरकार उनकी मदद काफी वर्षों से कर रही है जिससे उनको फायदा भी मिल रहा है।
पश्चिम बंगाल से आए एक अन्य दुकानदार विश्वनाथ कहते हैं कि उन्होंने होम डेकोर से जुड़े सामानों का स्टॉल लगाया है। उनके स्टॉल में ₹50 से शुरु होकर ₹800 तक के सामान उपलब्ध हैं।




Conclusion: आदि महोत्सव में खरीददारी कर रही लिपिका रॉय त्रिवेदी कहती हैं कि उन्हें आदि महोत्सव हमेशा से ही बहुत पसंद है और वह अलग-अलग जगहों पर जाकर आदि महोत्सव में खरीददारी करती रहती है।

बाइट- अल्ताफ अंसारी, रीजनल मैनेजर ट्राइफिड
बाइट- दुकानदार
बाइट- खरीददार
पीटीसी- रामांशी मिश्रा

रामांशी मिश्रा
9598003584
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