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खेरेश्वर मंदिर में स्वयं प्रकट हुए थे भगवान शिव, आज भी मौजूद है 5 हजार वर्ष पुराना शिवलिंग

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Published : Aug 19, 2021, 3:52 PM IST

खेरेश्वर मंदिर में स्वयं प्रकट हुए थे भगवान शिव
खेरेश्वर मंदिर में स्वयं प्रकट हुए थे भगवान शिव

कानपुर जिले के शिवराजपुर में स्थित खेरेश्वर मंदिर में सावन माह में प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन-पुजन करने आते हैं. यह मंदिर लगभग 5 हजार वर्ष पुराना है, मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ है.

कानपुर : सावन माह में देश भर के मंदिरों में चहल-पहल रहती है. सावन के पूरे माह इन मंदिरों व देवालयों ने श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. देश भर के सभी देवालयों की अपनी-अपनी अलग आस्था और विशेषता है, जो दुरस्त स्थानों से आने वाले श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है. इसी क्रम में कानपुर जिले में स्थित खेरेश्वर मंदिर की अपनी खास पहचान है.

खेरेश्वर मंदिर कानपुर जिले के शिवराजपुर में स्थित है. सावन के पूरे माह यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन-पूजन करने आते हैं. इस मंदिर में शिवलिंग स्थापित है. मान्यता है, कि सावन माह में यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होतीं हैं. गंगा नदी के तट पर स्थित बाबा भोलेनाथ के खेरेश्वर मंदिर में दूरस्त स्थानों से लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष दर्शन-पूजन करने आते हैं.

खेरेश्वर मंदिर में स्वयं प्रकट हुए थे भगवान शिव

सोमवार के दिन इस धाम में रात से ही श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू हो जाता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग लगभग 5 हजार वर्ष पुराना है. लोगों का मानना है कि यह शिवलिंग को महाभारत काल के समय से स्थापित है. मंदिर के पुजारी ने वरुण गोस्वामी ने बताया कि यह मंदिर काफी पुराना है.

खेरेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग को किसी व्यक्ति ने स्थापित नहीं किया है. हालांकि समय-समय पर मंदिर का कायाकल्प होता रहा है. यहां विराजमान शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ है. जिसके कारण इस धाम को स्वंम्भू के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि यहां पर आज भी अश्वत्थामा पूजा करने के लिए आते हैं. लोगों का कहना है कि कई बार यहां कैमरे लगाए गए लेकिन, जब भी सुबह मंदिर के पट खुलते हैं तब मंदिर में पहले से ही पूजा हुई होती है. शिवलिंग के ऊपर फूल चढ़े मिलते हैं और अभिषेक हुआ मिलता है. मंदिर के पुजारी ने वरुण गोस्वामी बताते हैं, कि कई बार रात के समय मंदिर से घंटे की ध्वनी सुनी गई है.

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