ETV Bharat / state

महिला दिवस विशेष: नहीं लिख पाई पति को खत तो 2500 महिलाओं को कर डाला साक्षर

author img

By

Published : Mar 7, 2020, 7:57 AM IST

Updated : Mar 7, 2020, 8:07 AM IST

जौनपुर की रहने वाली एक अनपढ़ महिला ने एक ऐसा अजूबा कर दिखाया जो बड़े-बड़े पढ़े लिखे भी जल्दी नहीं कर पाते. जिले की रहने वाली मुन्नी बेगम ने खुद से साक्षर होने का वादा किया और 19 दिनों के भीतर खुद को साक्षर बना लिया. मुन्नी बेगम अब तक 2500 महिलाओं को भी साक्षर कर चुकी हैं और साथ ही आत्मरक्षा का प्रशिक्षण भी दे रही हैं.

महिला दिवस स्पेशल
महिला दिवस स्पेशल

जौनपुर: कहते हैं पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है, कुछ ऐसा ही कर दिखाया जिले के महाराजगंज की रहने वाली मुन्नी बेगम ने, मुन्नी बेगम की शादी 12 साल की उम्र में ही हो गई थी. बाल विवाह होने के कारण मुन्नी बेगम पढ़-लिख नहीं पाई थीं. पति के बाहर रहने पर जब मुन्नी से खत लिखने को कहा गया तो अनपढ़ होने की वजह से वो खत भी नहीं लिख पायीं, उन्होंने उसी वक्त पढ़ने की ठानी और 19 दिनों के भीतर खुद को साक्षर बना लिया.

महिला दिवस स्पेशल.

हौसलों से भरी उड़ान

मुन्नी देवी आज बेसहारा और गरीब महिलाओं को साक्षर बनाने का काम कर रही हैं. 25 साल से मुन्नी बेगम घूम-घूमकर ऐसी महिलाओं को साक्षर करने का काम कर रही हैं जो अनपढ़ हैं. अब महिलाएं साक्षर होकर अंगूठा नहीं लगाती हैं, बल्कि अपने हस्ताक्षर करती हैं. अब तक जनपद में मुन्नी बेगम ने 25 सौ से ज्यादा महिलाओं को साक्षर कर चुकी हैं. उनके इस बुलंद हौसले के लिए 2018 में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू उन्हें सम्मानित भी कर चुके हैं.

पांच भाषाओं का ले चुकी हैं ज्ञान

मुन्नी बेगम का नाम जरूर छोटा है, लेकिन उनका काम उतना ही बड़ा है. मुन्नी बेगम ने 1997 में हाईस्कूल की परीक्षा पास की तो वहीं अब बेटे के साथ ही 2017 में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल कर ली है. मुन्नी बेगम पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ जूडो-कराटे भी सीखीं और किशोरियों को इसकी ट्रेनिंग भी देती हैं. आज वह हिंदी, इंग्लिश, उर्दू , अरबी और संस्कृत भाषाओं को लिखना और पढ़ना जानती है.

गरीब और बुजुर्ग महिलाओं को कर रही है साक्षर

मुन्नी बेगम ने खुद को साक्षर बनाकर यह फैसला किया कि निरक्षर होने का दंश जो उन्हें झेलना पड़ा वह और किसी महिला को न झेलना पड़े. मुन्नी देवी महिलाओं को साक्षर करने के लिए बड़े ही अनोखे अंदाज में उन्हें घर के सामान से जोड़कर पढ़ाती हैं. महिलाओं को लिखना और पढ़ना दोनों ही रोचक लगने लगा है.

उन्होंने आसपास की बुजुर्ग अनपढ़ महिलाओं को पढ़ाना शुरू किया, लेकिन उनका कारवां यहीं नहीं रुका. उन्होंने क्षेत्र में घूमकर दलित और मुस्लिम महिलाओं को भी पढ़ाना शुरू किया. रोज सुबह स्कूटी चलाते हुए वह गांव-गांव निकल जाती हैं और गरीब और बेसहारा महिलाओं को साक्षर ही नहीं बल्कि उन्हें सबल बनाने के लिए काम करती हैं.

चंदा मांगकर लड़ी चुनाव

सन् 2000 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में वह चंदा मांग के चुनाव लड़ी, फिर 2500 वोटों से उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को शिकस्त दी. इस चुनाव में जहां दूसरे प्रत्याशियों ने पानी की तरह पैसा बहाया और मुन्नी देवी 12000 रुपये खर्च करके चुनाव लड़कर जीत गईं. उन्होंने क्षेत्र में 55 सड़कें बनवाई, जिससे उनका नाम और भी बड़ा हो गया.

लड़कियों को दे रहीं हैं आत्मरक्षा की ट्रेनिंग

मुन्नी बेगम जहां अनपढ़ महिलाओं को साक्षर कर रही हैं तो वहीं इस स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग भी दे रही हैं. उन्होंने इसके लिए खुद पहले को तैयार किया फिर उन्होंने लड़कियों को बुलाकर समाज में होने वाली घटनाओं को बताने और मनचलों से उनका कैसे मुकाबला करें, इसके तरीके भी बताती हैं और उनको आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दे रही हैं. इस ट्रेनिंग के जरिए वह लड़कियों को सशक्त बना रही हैं, जिससे कि वह उनकी तरह मजबूत हो सके.

मिल चुके हैं कई सम्मान

मुन्नी बेगम को 2015 में जौनपुर के जिलाधिकारी साक्षरता और सुरक्षा के लिए 'मैं भी मलाला हूं' पुरस्कार से सम्मानित किया गया. महिला सशक्तिकरण एवं साक्षरता अभियान के लिए उनकी चलाए गए कार्यों के आधार पर 2018 में उपराष्ट्रपति ने उन्हें 'एग्जांपल' पुरस्कार से सम्मानित किया.

वहीं कई संस्थाओं ने उन्हें 12 से ज्यादा पुरस्कार दिए. आज मुन्नी बेगम की पहचान क्षेत्र में एक ऐसी महिला के रूप में है, जो अनपढ़ महिलाओं के लिए प्रेरणा और लड़कियों के लिए एक सशक्त महिला के रूप में जानी जाती हैं.

इसे भी पढ़ें:- हाथ हैं, न पांव पर हौसला इतना कि किसी की मोहताज नहीं शाबिस्ता

Last Updated : Mar 7, 2020, 8:07 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.