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हाथ हैं, न पांव पर हौसला इतना कि किसी की मोहताज नहीं शाबिस्ता

यूपी के उन्नाव में रहने वाली शाबिस्ता खातून जन्म से ही हाथ और पैर से दिव्यांग हैं. शाबिस्ता मोबाइल और कंप्यूटर चलाने के साथ ही घर के छोटे-छोटे काम कर लेती हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर देखिए ईटीवी भारत की खास पेशकश.

महिला दिवस स्पेशल
महिला दिवस स्पेशल
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Published : Mar 6, 2020, 9:00 AM IST

उन्नावः कहते हैं जिनके हौसले बुलंद होते हैं वह क्या डरे पहाड़ों से, लहरें भी शांत हो जाती हैं ऐसे जिगर वालों से. जी हां उन्नाव में रहने वाली शाबिस्ता खातून ऐसी ही कहावत को चरितार्थ कर रही हैं. बचपन से ही दोनों हाथ और पैर न होने के बावजूद भी इनमें कुछ कर गुजरने का जज्बा है.

शाबिस्ता बिना हाथ-पैर के भी लगभग सभी काम कर लेती हैं. शाबिस्ता कहते हैं कि कमियां तो हर इंसान में होती हैं. मुझमें हैं तो कौन सी बड़ी बात हो गई.

महिला दिवस स्पेशल.

जन्म से ही हैं दिव्यांग
शाबिस्ता जन्म से ही दिव्यांग हैं. इनकी मां को 3 दिनों तक पता तक नहीं चला कि उनकी बेटी दिव्यांग है. वहीं जैसे ही शाबिस्ता की मां को पता चला कि उनकी बेटी दिव्यांग है तो वह घबरा गई.

रिश्तेदारों ने जहर का इंजेक्शन देने को कहा
परिवार और रिश्तेदारों ने शाबिस्ता की मां को जहर का इंजेक्शन लगवा देने की सलाह दी. इससे शाबिस्ता इस जिल्लत भरी जिंदगी से हमेशा के लिए छुटकारा पा जाए. शाबिस्ता की मां ने बताया कि सभी के कहने के बावजूद भी शाबिस्ता के लिए उन्होंने कुछ भी गलत करने को नहीं सोचा. उन्होंने मन में ठान लिया कि शाबिस्ता को खुदा ने जन्म दिया है. उन्होंने कहा कि भविष्य में जो भी उसके भाग्य में होगा वह देखा जाएगा.

दिव्यांग होने के बाद भी करती हैं सारा काम
शाबिस्ता पढ़ाई के अलावा अन्य सारे काम कर लेती हैं. कंप्यूटर चलाना, मोबाइल चलाना, ड्राइंग बनाना, खुद का मेकअप करना जैसे अन्य घरेलू काम भी वह कर लेती हैं.

अपनी कमजोरी को बनाई अपनी ताकत
शाबिस्ता उन तमाम लोगों के लिए जीती जागती मिसाल हैं जो महज छोटे से तनाव में आकर मौत को गले लगा लेते हैं. पूरी तरह से दिव्यांग होने के बावजूद भी उनके किसी भी काम में यह दिव्यांगता आड़े नहीं आती है.

इसे भी पढ़ें:- महिला दिवस विशेष: कमजोरी को ताकत बना, सीमा दे रहीं महिलाओं को नई पहचान

सरकार की ओर से नहीं की गई कोई पहल
सरकार ने भले ही शाबिस्ता का ध्यान न दिया हो, लेकिन उन्नाव के पूर्व अपर पुलिस अधीक्षक अष्टभुजा प्रसाद ने शाबिस्ता के लिए इनवर्टर और पूरे घर के लिए कपड़े तथा एक एलईडी टीवी का इंतजाम किया था. इसके अलावा उन्नाव के रहने वाले अखिलेश अवस्थी भी शाबिस्ता की लगातार मदद करते रहते हैं.

दिव्यांग होने के बावजूद भी पढ़ाई रखी जारी
शाबिस्ता इस बार बीए सेकेंड ईयर का पेपर दे रही हैं. इसके पहले की कक्षाओं के एग्जाम में भी शाबिस्ता ने बहुत ही अच्छे नम्बरों से पास किए हैं. शाबिस्ता के परिवार में पांच बहनें और दो भाई भी हैं. जो उसे बेहद प्यार करते हैं.

उन्नावः कहते हैं जिनके हौसले बुलंद होते हैं वह क्या डरे पहाड़ों से, लहरें भी शांत हो जाती हैं ऐसे जिगर वालों से. जी हां उन्नाव में रहने वाली शाबिस्ता खातून ऐसी ही कहावत को चरितार्थ कर रही हैं. बचपन से ही दोनों हाथ और पैर न होने के बावजूद भी इनमें कुछ कर गुजरने का जज्बा है.

शाबिस्ता बिना हाथ-पैर के भी लगभग सभी काम कर लेती हैं. शाबिस्ता कहते हैं कि कमियां तो हर इंसान में होती हैं. मुझमें हैं तो कौन सी बड़ी बात हो गई.

महिला दिवस स्पेशल.

जन्म से ही हैं दिव्यांग
शाबिस्ता जन्म से ही दिव्यांग हैं. इनकी मां को 3 दिनों तक पता तक नहीं चला कि उनकी बेटी दिव्यांग है. वहीं जैसे ही शाबिस्ता की मां को पता चला कि उनकी बेटी दिव्यांग है तो वह घबरा गई.

रिश्तेदारों ने जहर का इंजेक्शन देने को कहा
परिवार और रिश्तेदारों ने शाबिस्ता की मां को जहर का इंजेक्शन लगवा देने की सलाह दी. इससे शाबिस्ता इस जिल्लत भरी जिंदगी से हमेशा के लिए छुटकारा पा जाए. शाबिस्ता की मां ने बताया कि सभी के कहने के बावजूद भी शाबिस्ता के लिए उन्होंने कुछ भी गलत करने को नहीं सोचा. उन्होंने मन में ठान लिया कि शाबिस्ता को खुदा ने जन्म दिया है. उन्होंने कहा कि भविष्य में जो भी उसके भाग्य में होगा वह देखा जाएगा.

दिव्यांग होने के बाद भी करती हैं सारा काम
शाबिस्ता पढ़ाई के अलावा अन्य सारे काम कर लेती हैं. कंप्यूटर चलाना, मोबाइल चलाना, ड्राइंग बनाना, खुद का मेकअप करना जैसे अन्य घरेलू काम भी वह कर लेती हैं.

अपनी कमजोरी को बनाई अपनी ताकत
शाबिस्ता उन तमाम लोगों के लिए जीती जागती मिसाल हैं जो महज छोटे से तनाव में आकर मौत को गले लगा लेते हैं. पूरी तरह से दिव्यांग होने के बावजूद भी उनके किसी भी काम में यह दिव्यांगता आड़े नहीं आती है.

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सरकार की ओर से नहीं की गई कोई पहल
सरकार ने भले ही शाबिस्ता का ध्यान न दिया हो, लेकिन उन्नाव के पूर्व अपर पुलिस अधीक्षक अष्टभुजा प्रसाद ने शाबिस्ता के लिए इनवर्टर और पूरे घर के लिए कपड़े तथा एक एलईडी टीवी का इंतजाम किया था. इसके अलावा उन्नाव के रहने वाले अखिलेश अवस्थी भी शाबिस्ता की लगातार मदद करते रहते हैं.

दिव्यांग होने के बावजूद भी पढ़ाई रखी जारी
शाबिस्ता इस बार बीए सेकेंड ईयर का पेपर दे रही हैं. इसके पहले की कक्षाओं के एग्जाम में भी शाबिस्ता ने बहुत ही अच्छे नम्बरों से पास किए हैं. शाबिस्ता के परिवार में पांच बहनें और दो भाई भी हैं. जो उसे बेहद प्यार करते हैं.

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