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नागपंचमी पर होती है 180 फीट के नाग और 95 फीट की नागिन की पूजा

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Published : Jul 25, 2020, 1:15 PM IST

नागपंचमी विशेष
नागपंचमी विशेष

जालौन जिले का कालपी कस्बे में नागपंचमी के पर्व पर 180 फीट नाग और 95 फीट की नागिन के स्टेचू की पूजा की जाती है. यहां डेढ़ सौ वर्षों से मेला और दंगल लगता चला रहा है लेकिन इस साल कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण सभी कार्यक्रमों को स्थगित किया गया है.

जालौन: जिले का कालपी कस्बा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नगरी के रूप में विख्यात है. इसे बुंदेलखंड का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. सांस्कृतिक धरोहरों में से एक कालपी कस्बे में नाग पंचमी के दिन लंका मीनार पर डेढ़ सौ वर्षो से मेला और दंगल लगता चला रहा है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण सभी कार्यक्रमों को स्थगित किर दिया गया.

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नागपंचमी विशेष
उरई मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर कालपी नगर प्रदेश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नगरी है. कालपी नगर में ऐतिहासिक धरोहरों में मौजूद लंका मीनार के परिसर में डेढ़ सौ वर्षों से नाग पंचमी के दिन मेला और दंगल का आयोजन होता था. जिस कारण यहां कानपुर देहात, हमीरपुर, औरैया, महोबा और जालौन जिले के सभी क्षेत्रों से यहां आकर नाग पंचमी के दिन पूजा और अर्चना करते हैं, लेकिन कोरोना काल के चलते कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है. आयोजकों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए परिसर में बने नाग और नागिन का विधि विधान से पूजन और अर्चन किया.
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नाग नागिन की पूजा
180 फिट के नाग देवता का बना है रूपनाग पंचमी के पर्व पर कालपी नगर में लंका मीनार पर 180 फीट के नाग देवता और 95 फीट की नागिन का रूप बना हुआ है. कोरोना काल से पहले यहां विशाल दंगल और भव्य मेले का आयोजन किया जाता था. यह लंका मीनार नगर के मोहल्ला रामगंज में मौजूद है जिन्हें बाबू मथुरा प्रसाद ने सन 1875 में इसका निर्माण कराया था. इस लंका मीनार को बनने में 25 वर्षों का समय लगा था और इसकी लंबाई लगभग 30 मीटर है.
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नाग पंचमी पर मेले का आयोजन
लंका मीनार के मालिक विवेक निगम ने बताया उनके दादाजी ने नाग पंचमी के दिन लंका मीनार पर मेले और दंगल का आयोजन शुरू किया था जो पिछले 200 वर्षों से निरंतर चल रहा था लेकिन कोरोना का की वजह से यह कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा. दंगल के आयोजन की ख्याति देश के कोने कोने में फैलने से पहलवान अपने दांव पेच दिखाने हर राज्य से आते थे परंतु इस साल कोरोनावायरस आरे त्यौहार विवाह शादी और धार्मिक आयोजन सब कुछ बंद कर दिया जिसके अंतर्गत इस बार मेला और दंगल का आयोजन नहीं हो पाया.
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