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गोरखपुर: नेपाल सरकार ने दी गीता प्रेस को राहत, आयात शुल्क में की कटौती

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Published : Aug 12, 2019, 6:04 PM IST

Updated : Aug 12, 2019, 10:38 PM IST

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गीता प्रेस की नेपाल भेजे जाने वाली पुस्तकों पर विक्रेता को निर्धारित किए गए मूल्य पर ही टैक्स देना होगा, जो नेपाल सरकार ने गीता प्रेस को बड़ी राहत दी है. ईटीवी भारत और सीएम योगी के इस प्रयास के लिए प्रबंधन ने जमकर तारीफ की .

नेपाल सरकार ने आयात शुल्क पर गीता प्रेस को दी राहत

गोरखपुर: नेपाल सरकार द्वारा बढ़ाए गए 10 प्रतिशत आयात शुल्क से अब 'गीता प्रेस' की धार्मिक पुस्तकों की बिक्री पर लगने वाला आर्थिक बोझ कुछ कम हो जाएगा. नेपाल सरकार ने गीता प्रेस की पुस्तकों पर आयात शुल्क में छूट दी है. इसके तहत अब किताबों पर छपे मूल्य पर टैक्स न लगाकर बिक्रेता को बेचे जाने वाले मूल्य पर ही गीता प्रेस प्रबंधन को टैक्स देना होगा. यह सब सीएम योगी आदित्यनाथ की पहल और ईटीवी भारत के 9 अगस्त को दिखाई गई खबर से संभव हो पाया है.

नेपाल सरकार ने आयात शुल्क पर गीता प्रेस को दी राहत
ईटीवी भारत ने इस खबर को 'गोरखपुर नेपाल सरकार के आयात शुल्क से बढ़ी गीता प्रेस की दिक्कतें' शीर्षक से प्रसारित किया था, जिसकी प्रशंसा गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल ने की है.

गीता प्रेस की किताबों पर नेपाल सरकार ने निर्धारित किया टैक्स-

  • नेपाल सरकार ने जब आयात शुल्क बढ़ा दिया तो धार्मिक पुस्तकों पर 10 प्रतिशत टैक्स बढ़ा दिया.
  • यह टैक्स इस लिहाज से अधिक हो गया कि किसी भी माल वाहक वाहन जितने मूल्य की किताबें होंगी उसका दस प्रतिशत टैक्स देना होगा.
  • इससे पहले यह अधिकतम प्रति गाड़ी 565 रुपये मात्र था जो मौजूदा समय में करीब 80 हजार रुपये हो गया है.
  • यह बढ़ा टैक्स गीता प्रेस के लिए भारी था क्योंकि वह पहले से ही इन पुस्तकों को न्यूनतम मूल्य पर बेचता है और छपे मूल्य पर 22 प्रतिशत बिक्रेता को प्राप्त होता है.
  • इस बढ़ोतरी के बाद यहां के प्रबंधन ने सीएम योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई तो उन्होंने नेपाल के राजदूत से बात की.
  • ईटीवी भारत ने भी खबर चलाई इससे नेपाल सरकार ने गीता प्रेस की पुस्तकों पर लगने वाले आयात शुल्क में कमी कर दी.
  • इसका प्रबंधन ने खुलकर स्वागत किया है और इसे पूरी तरह समाप्त करने की मांग की.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर: नेपाल सरकार के आयात शुल्क से बढ़ी गीता प्रेस की दिक्कतें

गीता प्रेस का एक बड़ा केंद्र काठमांडू के अंदर स्थित है जहां से धार्मिक पुस्तकों का प्रसार अन्य देशों को भी होता है. यहां आने वाले पर्यटक गीता प्रेस की उपलब्धि पर पुस्तकों की ओर खिंचे चले आते हैं. नेपाल जो हिंदू राष्ट्र है और धर्म आधारित पुस्तकों पर वह गीता प्रेस पर निर्भर रहता है. यहां हिंदी और नेपाली भाषा में भी सभी पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध हो जाती हैं, जिस पर गीता प्रेस प्रबंधन अनुवाद कराने में काफी खर्च करता है.

Intro:खबर का असर..डेस्क की भी डिमांड है यह खबर

गोरखपुर। नेपाल सरकार द्वारा बढ़ाए गए 10% आयात शुल्क से अब 'गीता प्रेस' की धार्मिक पुस्तकों की बिक्री पर लगने वाला आर्थिक बोझ कुछ कम हो जाएगा। नेपाल सरकार ने गीता प्रेस की पुस्तकों पर ही सिर्फ आयात शुल्क में छूट दी है जिसके तहत अब किताबों पर छपे मूल्य पर टैक्स न लगाकर बिक्रेता को बेचे जाने वाले मूल्य पर ही गीता प्रेस प्रबंधन को टैक्स देना होगा। यह सब संभव हो पाया है सीएम योगी आदित्यनाथ की पहल और ईटीवी भारत द्वारा 9 अगस्त को दिखाई गई खबर से। ईटीवी भारत ने इस खबर को 'गोरखपुर: नेपाल सरकार के आयात शुल्क से बढ़ी गीता प्रेस की दिक्कतें' शीर्षक से प्रसारित किया था, जिसकी प्रशंसा गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल ने की है।

नोट--कम्प्लीट पैकेज--वॉइस ओवर अटैच


Body:दरअसल नेपाल सरकार अपने यहां जब आयात शुल्क बढ़ा रहा था तो उसने धार्मिक पुस्तकों पर 10% टैक्स बढ़ा दिया। यही नहीं यह टैक्स इस लिहाज से अधिक हो गया कि किसी भी माल वाहक वाहन जितने मूल्य की किताबें होंगी उसका दस प्रतिशत टैक्स देना होगा, जबकि पहले यह अधिकतम प्रति गाड़ी 565 रुपये मात्र था जो मौजूदा समय में करीब 80 हजार रुपए हो गया है। यह बढ़ा टैक्स गीता प्रेस के लिए भारी था क्योंकि वह पहले से ही इन पुस्तकों को न्यूनतम मूल्य पर बेचता है और छपे मूल्य पर 22 प्रतिशत बिक्रेता को प्राप्त होता है। इस बढ़ोत्तरी के बाद यहां के प्रबंधन ने सीएम योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई तो उन्होंने नेपाल के राजदूत से बात किया, ईटीवी भारत ने भी खबर चलाई और नतीजा यह हुआ कि नेपाल सरकार ने सिर्फ गीता प्रेस की पुस्तकों पर लगने वाले आयात शुल्क में कमी कर दिया हैं जिसका प्रबंधन ने खुलकर स्वागत किया है और इसे पूरी त्तरह समाप्त करने की मांग किया।

बाइट--देवी दयाल अग्रवाल, ट्रस्टी, गीता प्रेस


Conclusion:गीता प्रेस को अब नेपाल भेजे जाने वाली अपनी पुस्तकों पर विक्रेता को दिए जाने वाले लाभ को काटकर निर्धारित किए गए मूल्य पर ही टैक्स देना होगा जो एक बड़ी राहत है। क्योंकि नेपाल में भारत ही नहीं अन्य देशों से भी तमाम पाठ्य पुस्तकें आती होंगी लेकिन छूट का लाभ सिर्फ गीताप्रेस प्रबंधन को प्राप्त हुआ है। गीता प्रेस का एक बड़ा केंद्र काठमांडू के अंदर स्थित है जहां से धार्मिक पुस्तकों का प्रसार अन्य देशों को भी होता है। यहां आने वाले पर्यटक गीता प्रेस की उपलब्धि पर पुस्तकों की ओर खिंचे चले आते हैं। तो नेपाल जो हिंदू राष्ट्र है और धर्म आधारित पुस्तकों पर वह गीता प्रेस पर निर्भर रहता है उसे हिंदी और नेपाली भाषा में भी सभी पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध हो जाती हैं जिस पर गीता प्रेस प्रबंधन अनुवाद कराने में काफी खर्च करता है।

बाइट--देवी दयाल अग्रवाल, ट्रस्टी
क्लोजिंग पीटीसी...
मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
Last Updated : Aug 12, 2019, 10:38 PM IST
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