गोरखपुर: नेपाल सरकार द्वारा बढ़ाए गए 10 प्रतिशत आयात शुल्क से अब 'गीता प्रेस' की धार्मिक पुस्तकों की बिक्री पर लगने वाला आर्थिक बोझ कुछ कम हो जाएगा. नेपाल सरकार ने गीता प्रेस की पुस्तकों पर आयात शुल्क में छूट दी है. इसके तहत अब किताबों पर छपे मूल्य पर टैक्स न लगाकर बिक्रेता को बेचे जाने वाले मूल्य पर ही गीता प्रेस प्रबंधन को टैक्स देना होगा. यह सब सीएम योगी आदित्यनाथ की पहल और ईटीवी भारत के 9 अगस्त को दिखाई गई खबर से संभव हो पाया है.
गीता प्रेस की किताबों पर नेपाल सरकार ने निर्धारित किया टैक्स-
- नेपाल सरकार ने जब आयात शुल्क बढ़ा दिया तो धार्मिक पुस्तकों पर 10 प्रतिशत टैक्स बढ़ा दिया.
- यह टैक्स इस लिहाज से अधिक हो गया कि किसी भी माल वाहक वाहन जितने मूल्य की किताबें होंगी उसका दस प्रतिशत टैक्स देना होगा.
- इससे पहले यह अधिकतम प्रति गाड़ी 565 रुपये मात्र था जो मौजूदा समय में करीब 80 हजार रुपये हो गया है.
- यह बढ़ा टैक्स गीता प्रेस के लिए भारी था क्योंकि वह पहले से ही इन पुस्तकों को न्यूनतम मूल्य पर बेचता है और छपे मूल्य पर 22 प्रतिशत बिक्रेता को प्राप्त होता है.
- इस बढ़ोतरी के बाद यहां के प्रबंधन ने सीएम योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई तो उन्होंने नेपाल के राजदूत से बात की.
- ईटीवी भारत ने भी खबर चलाई इससे नेपाल सरकार ने गीता प्रेस की पुस्तकों पर लगने वाले आयात शुल्क में कमी कर दी.
- इसका प्रबंधन ने खुलकर स्वागत किया है और इसे पूरी तरह समाप्त करने की मांग की.
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गीता प्रेस का एक बड़ा केंद्र काठमांडू के अंदर स्थित है जहां से धार्मिक पुस्तकों का प्रसार अन्य देशों को भी होता है. यहां आने वाले पर्यटक गीता प्रेस की उपलब्धि पर पुस्तकों की ओर खिंचे चले आते हैं. नेपाल जो हिंदू राष्ट्र है और धर्म आधारित पुस्तकों पर वह गीता प्रेस पर निर्भर रहता है. यहां हिंदी और नेपाली भाषा में भी सभी पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध हो जाती हैं, जिस पर गीता प्रेस प्रबंधन अनुवाद कराने में काफी खर्च करता है.