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गोरखपुर: नेपाल सरकार के आयात शुल्क से बढ़ी गीता प्रेस की दिक्कतें

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Published : Aug 9, 2019, 5:20 PM IST

नेपाल सरकार की वजह से विश्व प्रसिद्व गीता प्रेस प्रबंधन के मुनाफे में गिरावट आ सकती है. बता दें कि नेपाल सरकार ने धार्मिक पुस्तकों पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क बढ़ा दिया है.

गीता प्रेस.

गोरखपुर: नेपाल सरकार ने दूसरे देशों से आने वाली प्रिंटेड पुस्तकों पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगा दिया है. इस शुल्क के लगने के बाद विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस की पुस्तकों को नेपाल भेजना मंहगा हो जाएगा. गीता प्रेस की पुस्तकों का काठमांडू और पशुपतिनाथ में एक केंद्र है, जहां से पूरे नेपाल समेत दुनिया के कई देशों तक पुस्तकें सप्लाई की जाती हैं.

आयात शुल्क बढ़ने से बढ़ी गीता प्रेस की दिक्कतें.

नेपाल सरकार का फीसदी आयात शुल्क-
नेपाल सरकार का 10 फीसदी आयात शुल्क गीता प्रेस के प्रबंधन के लिए मुश्किल पैदा करने वाला है. क्योंकि यहां छपने वाली धार्मिक पुस्तकें अपने छपित मूल्य पर ही बिक्री की जाती हैं. इसमें किसी भी तरह की छूट केवल बिक्रेता को ही प्रदान की जाती है. यहां की किताबें प्रिंटिंग कास्ट से भी कम मूल्य पर बेची जाती हैं, ताकि धर्म का प्रचार-प्रसार हो सके. इस टैक्स से गीता प्रेस प्रबंधन के सामने एक बड़ी समस्या आ गई है.

नेपाल सरकार ने करीब माह पहले नेपाल सरकार ने अचानक आयात शुल्क 10 प्रतिशत बढ़ा दिया है. नेपाल जाने वाले किसी भी वाहन पर अधिकतम 565 रुपये ही शुल्क लगता था, लेकिन इस शुल्क के लग जाने के बाद अगर किसी मालवाहक गाड़ी पर आठ लाख रुपये की पुस्तकें भेजी जा रहीं हैं तो उसको टैक्स के रूप में 80 हजार रुपये अदा करने होंगे.

एक करोड़ रुपये की पुस्तके नेपाल में बेची जाती है-
करीब एक करोड़ रुपए की पुस्तकें गीता प्रेस प्रबंधन नेपाल में बेचता है, जो इस टैक्स के बढ़ने से थोड़ा परेशान तो है पर विचलित नहीं है. गीता प्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल कहते हैं कि वह आर्थिक नुकसान की भरपाई कैसे हो इसके इंतजाम की सोच रहे हैं, लेकिन नेपाल में पुस्तकें भेजी न जाए ऐसा हो ही नहीं सकता. उन्होंने कहा कि धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़े तो वह भी किया जाएगा.

सीएम योगी ने नेपाल के राजदूत से की बातचीत-
इस मामले को लेकर यहां का प्रबंधन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी दो बार मुलाकात कर चुका है. जिस पर सीएम ने नेपाल के राजदूत से बात किया है, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है. हिंदी, नेपाली, तेलगु, उड़िया, अंग्रेजी सहित दर्जनों भाषाओं में विभिन्न धर्म ग्रंथों को छापकर गीता प्रेस दुनिया में एक अनूठा मिसाल कायम किए हुए हैं

Intro:गोरखपुर। नेपाल सरकार ने दूसरे देशों से आने वाली प्रिंटेड पुस्तकों पर 10 फ़ीसदी आयात शुल्क लगा दिया है। इस शुल्क के लगने के बाद विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस की पुस्तकों को नेपाल भेजना मंहगा हो जाएगा। गीता प्रेस की पुस्तकों का काठमांडू और पशुपतिनाथ में एज केंद्र है जहां से पूरे नेपाल समेत दुनिया के कई देशों तक पुस्तकें सप्लाई की जाती हैं। ऐसे में यह शुल्क गीता प्रेस के प्रबंधन के लिए मुश्किल पैदा करने वाला है। क्योंकि यहां छपने वाली धार्मिक पुस्तकें अपने छपित मूल्य पर ही बिक्री की जाती हैं और इसमें किसी भी तरह की छूट केवल बिक्रेता को ही प्रदान की जाती है। यहाँ की किताबें प्रिंटिंग कास्ट से भी कम मूल्य पर बेची जाती हैं ताकि धर्म का प्रचार-प्रसार हो सके, लेकिन इस टैक्स से गीता प्रेस प्रबंधन के सामने एक बड़ी समस्या तो आ ही गई है।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:करीब एक माह पहले नेपाल सरकार ने अचानक आयात शुल्क बढ़ा दिया है और यह माल के मूल्य का 10% निर्धारित किया गया है। पहले ऐसा नहीं था। नेपाल जाने वाले किसी भी वाहन पर अधिकतम 565 रुपए ही शुल्क लगता था लेकिन इस शुल्क के लग जाने के बाद अगर किसी मालवाहक गाड़ी पर 7 से आठ लाख रुपए की पुस्तकें भेजी जा रहीं हैं तो उसको टैक्स के रूप में 70 से 80 हजार रुपये अदा करने होंगे। गीता प्रेस की पुस्तकों की जहां तक बात है तो वह लागत मूल्य से कम दर पर पुस्तके उपलब्ध कराता है। नेपाल में भी भारतीय मूल्य पर ही पुस्तके भेजी जाती हैं। करीब एक करोड़ रुपए की पुस्तकें गीता प्रेस प्रबंधन नेपाल में बेचता है जो इस टैक्स के बढ़ने से थोड़ा परेशान तो है पर विचलित नहीं है। गीता प्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल कहते हैं कि वह आर्थिक नुकसान की भरपाई कैसे हो इसके इंतजाम की सोच रहे हैं लेकिन नेपाल में पुस्तकें भेजी ना जाए ऐसा हो ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि धर्म के प्रचार प्रसार के लिए आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़े तो वह भी किया जाएगा।

बाइट--देवी दयाल अग्रवाल, ट्रस्टी, गीता प्रेस


Conclusion:इस मामले को लेकर यहां का प्रबंधन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी दो बार मुलाकात कर चुका है। जिस पर सीएम ने नेपाल के राजदूत से बात किया है लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है। अगर नुकसान की बात होती है तो नेपाल के अंदर गीता प्रेस के संचालन केंद्र पर किताबों की मात्रा कम ही जाएगी और निर्यात पहले जैसा रहा तो घाटे में भी गीता प्रेस का सम्मान कायम रहेगा। फिलहाल हिंदी, नेपाली,तेलगु, उड़िया, अंग्रेजी सहित दर्जनों भाषाओं में विभिन्न धर्म ग्रंथों को छापकर गीता प्रेस दुनिया में एक अनूठा मिसाल कायम किए हुए हैं, जो अपने इस धंधे को अधिकतम लाभ और बाजार के चलन के हिसाब से नहीं चलाता, बल्कि धार्मिक पुस्तकों की छपाई और बिक्री, एक मिशन की तहत करता है।

बाइट-देवी दयाल अग्रवाल, ट्रस्टी

क्लोजिंग पीटीसी
मुकेश पाण्डेय
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