गोरखपुर: गीडा ने बदले कई नियम, फैक्ट्री स्थापित किए बगैर नहीं बेच सकेंगे भूखंड

author img

By

Published : Sep 2, 2020, 4:10 PM IST

etv bharat
गीडा ने सितंबर से बदले नियम. ()

गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में सितंबर से कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं. औद्योगिक इकाई स्थापित करने के नाम पर भूखंड लेने वाले लोग अब बिना फैक्ट्री स्थापित किए उसे बेच नहीं पाएंगे. वहीं गीडा ने इसके साथ कुछ और भी बदलाव किए हैं. नए नियमों को जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर...

गोरखपुर: गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) ने सितंबर माह से अपने कई नियमों में बदलाव कर दिए हैं. बदलाव के ये नियम जहां उद्योग लगाने के लिए जमीन खरीद चुके उद्योगपतियों की मुसीबत बढ़ाएगा, तो वहीं रोजगार की भी असीम संभावनाएं पैदा होंगी. गीडा ने जो सबसे बड़ा बदलाव किया है, वह जमीन के हस्तांतरण से जुड़ा है.

गीडा ने सितंबर से बदले नियम.

महत्वपूर्ण बातें

  • गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में सितंबर से कुछ महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं.
  • पहले आवंटन पत्र लगाकर ही जमीन दूसरे के नाम हस्तांतरित कर दी जाती थी, लेकिन अब रजिस्ट्री कराना होगा.
  • नए नियम के अनुसार किसी दूसरे को भूखंड हस्तांतरित करने से पहले रजिस्ट्री कराना अनिवार्य कर दिया गया है.
  • औद्योगिक इकाई स्थापित करने के नाम पर भूखंड लेने वाले अब बिना फैक्ट्री स्थापित किए उसे बेच नहीं पाएंगे.

गीडा ने जमीन हस्तांतरण से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो सुर्खियों में है. दूसरों को जमीन बेचने से गीडा को कोई खास फायदा नहीं होता था. साथ ही उद्योग और रोजगार की संभावनाएं भी खत्म होने लगी थीं. इसलिए गीडा ने जमीन के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए अपने बोर्ड की बैठक में यह प्रस्ताव लाया. अब कोई भी आवंटी बिना उद्योग स्थापित किए अपनी जमीन को बेच नहीं सकेगा.


गठित की जाएगी समिति
गीडा के सीईओ संजीव रंजन ने ईटीवी भारत को बताया कि नियमों में किया गया यह बदलाव आवंटी को भी लाभ पहुंचाएगा और नए उद्योगों की स्थापना में भी इससे मदद मिलेगी. मौजूदा समय में गीडा में करीब 150 भूखंड हैं, जहां पर उद्योग अभी तक स्थापित नहीं हुए हैं. पूर्व में कई खाली भूखंड बेच दिए गए हैं, इसलिए अब कोई भी आवंटित भूखंड बेचने न पाए, इसलिए नियम कड़े कर दिए गए हैं. शासन ने प्राधिकरण को अपनी जरूरत के अनुसार जमीन क्रय करने का अधिकार दे दिया है, जिसके लिए गीडा एक समिति गठित करेगी, जो किसानों से बातचीत करेगी और जमीन का मूल्य भी तय करते हुए खरीद की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी.

"अभी तक उद्यमियों को जमीन आवंटित होने के बाद पहले लीज एग्रीमेंट होता था. उसके बाद लीज-डीड होती थी, लेकिन अब सीधे लीज-डीड होने से आवंटियों का समय बच सकेगा. इसी प्रकार गीडा को अब लैंड बैंक तैयार करने या किसी उद्योग के लिए जमीन देने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की अनुमति का इंतजार नहीं करना होगा".

- संजीव रंजन, सीईओ, गीडा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.