ETV Bharat / state

North Eastern Railway : 'ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग' से ट्रेनों की बढ़ेगी रफ्तार, एक हजार करोड़ खर्च करेगी सरकार

author img

By

Published : Mar 1, 2023, 9:59 AM IST

केंद्रीय बजट में पूर्वोत्तर रेलवे के लिए जो बजट दिया गया है, उससे कई विकास कार्य होंगे. इसमें सबसे बड़ा काम ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग का होगा. इससे कई फायदे होंगे.

North Eastern Railway
North Eastern Railway

केंद्रीय बजट में पूर्वोत्तर रेलवे को विकास के लिए मिला पैसा

गोरखपुर: केंद्रीय बजट में पूर्वोत्तर रेलवे के लिए निर्धारित छह हजार पांच सौ करोड़ की धनराशि से कई तरह के विकास कार्य होंगे. इसी में एक प्रमुख कार्य है 'ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग' का. इसके जरिए हर रूट पर प्रत्येक किलोमीटर पर ऑटोमेटिक सिग्नल लगाए जाएंगे, जिससे दुर्घटना भी रुकेगी और ट्रेनों की गति भी बढ़ेगी. इसके लिए एक हजार करोड़ रुपये का बजट तय हुआ है. एक माह के भीतर कार्यदायी संस्था भी तय हो जाएगी. इसके बाद कार्य को गति मिलेगी. इसके लिए कुल छह निविदाएं की जाएंगी. इसके लग जाने के बाद ट्रेन के एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक पहुंच जाने की निगरानी स्टेशन मास्टर के लिए आसान होगी.

ट्रेन हर स्टेशन से देखी जा सकेगी. उसके अनुसार समपार फाटक भी बंद होंगे. पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया है कि यह सिस्टम एक समय में एक साथ कई ट्रेनों को चलाने में मददगार होगा. ट्रैक की मॉनिटरिंग की जा सकेगी. स्पीड बढ़ाई जा सकेगी. इसके लिए 450 करोड़ रुपये ट्रैक मरम्मत के लिए भी मिला है. सबसे बड़ी बात यह होगी कि इससे ट्रेन को 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जा सकेगा.

पूर्वोत्तर रेलवे मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के लागू हो जाने से एक ही ट्रैक पर 1 किलोमीटर के अंतर पर एक के पीछे एक ट्रेनें चल सकेंगी. इससे रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ ही संख्या भी बढ़ सकेगी. वहीं, कहीं भी खड़ी ट्रेन को चलाने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि रेलवे सदैव यात्रियों को सुरक्षा और बेहतर सुविधा देने में लगा है. इसके क्रम में समय की मांग के अनुरूप इस व्यवस्था से रेलवे में बड़ा परिवर्तन होगा तो यात्रियों को भी इस सुविधा से समय की बचत और सुरक्षा के साथ तेज गति का आनंद मिलेगा.

उन्होंने कहा कि आटोमेटिक ब्लॉक सिगनलिंग यानी कि स्वचालित ब्लॉक सिगनलिंग प्रणाली में दो स्टेशनों के बीच प्रत्येक एक किलोमीटर की दूरी पर यह लगाए जाएंगे. अगर किसी कारण से आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी. जो ट्रेन जहां रहेगी, वह वहीं पर रुक जाएंगी. इससे दुर्घटना नहीं होगी और यह बड़ी सफलता रेलवे और यात्रियों के लिए होगी. स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा. यानी कि इस सुविधा से एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चल सकेगी. इसके साथ ही ट्रेनों के लोकेशन की जानकारी भी मिलती रहेगी.

सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि इस सिस्टम को लगाए जाने का पहला चरण लखनऊ से छपरा के बीच होगा. पहले चरण में इसके लिए 80 करोड़ रुपये टोकन मनी के रूप में बजट में मिल भी गया है. टेंडर जल्द होगा और काम शुरू किया जाएगा. रेलवे बोर्ड की मंजूरी के बाद यह रेलवे में बड़े परिवर्तन का कारण बनेगा, जिससे बड़ी लाइनों के अलावा जो लूप लाइनें हैं उन पर भी ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाई जाएगी. 130 से लेकर 110 की स्पीड में ऐसे रूटों पर ट्रेनें दौड़ने लगेंगी. सीतापुर से बुढ़वल के बीच भी यह सिग्नल लगाए जाएंगे. वर्ष 2025 तक पूरे खंड पर यह सिग्नल लगा दिए जाएंगे. ऐसी तैयारियां हैं. अभी तक जो सिग्नल कार्य करता है, उसकी वजह से दो ट्रेनों के बीच में 8 से 10 किलोमीटर का अंतर होता है. पहली ट्रेन स्टेशन पर पहुंच जाएगी फिर पीछे से आने वाली ट्रेनों को सिग्नल दिए जाते हैं. लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा.

यह भी पढ़ें: LUCKNOW NEWS : शहर को साफ करने के चक्कर में लोगों की छवि गंदी कर रहा लखनऊ नगर निगम, यह है वजह


ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.