ETV Bharat / state

इस दिन सत्तू खाने और दान का बड़ा है महत्व, जानिए क्यों?

author img

By

Published : Apr 14, 2023, 5:36 PM IST

उत्तर भारत भारत में सतुआन पर्व को सभी घरों में बड़े श्रद्धा और स्वाद के साथ मनाया जाता है. इस दिन लोग सत्तू का सेवन और दान करते हैं. इस दिन से सभी तरह के शुभ कार्यों की शुरुआत भी हो जाती है. क्योंकि खरमास की समाप्ति का भी यह दिन माना जाता है.

Etv Bharat
Etv Bharat

गोरखपुर: भारत में स्थानीय स्तर पर मनाए जाने वाले पर्व के भी बड़े महत्व होते हैं. ऐसे ही पर्व में से एक है 'सतुआन' का पर्व. जो हर साल वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान सूर्य उत्तरायण की आधी परिक्रमा पूरी कर लेते हैं. इस दिन सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करता हैं. जिससे इस दिन को मेष संक्रांति भी कहा जाता है. इसे उत्तर भारत के लोग सत्तू संक्रांति के नाम से भी जानते हैं. इस दिन से सभी तरह के शुभ कार्यों की शुरुआत भी हो जाती है. क्योंकि खरमास की समाप्ति का भी यह दिन माना जाता है.

उत्तर भारत भारत में सतुआन पर्व को सभी घरों में बड़े श्रद्धा और स्वाद के साथ मनाया जाता है. सतुआन के दिन लोग सत्तू खाते हैं और अपने इष्ट देव को अर्पित करते हैं. इसके साथ ही लोग सत्तू का दान भी करते है. सत्तू दान करने का बड़ा महत्तव है. इसके बारे में पंडित सतीश मणि त्रिपाठी ने बतााया कि लोगों को अपनी लोक परंपरा, खानपान को नहीं भूलना चाहिए. सत्तू कई मायनों में शरीर के लिए लाभकारी होता है. गर्मियों में सत्तू का सेवन किया जाता है. सत्तू ऐसे अनाजों से मिलकर बना होता है, जिसका सेवन लोगों को ठंड और राहत देता है.

उन्होंने बताया कि चना, जौ, गेहूं, मक्का के साथ सात अनाजों से मिलकर सत्तू बनता है. सातों अनाजों से मिलकर आटे जैसा मिश्रण बनकर तैयार होता है. इस मिश्रण में नमक डालकर पानी के साथ गूथ लिया जाता है. इसके बाद इस मिश्रण को आम की चटनी, मिर्च, आचार और प्याज के साथ पूरे चाव से खाया जाता है. हिंदू धर्म में इसकी महत्ता दो अन्य पर्वों के साथ जोड़ा गया है. कहावत कही गई है कि खिचड़ी, फगुआ और सतुआन इस दिन करें विशेष स्नान. पंडित सतीश मणि कहते हैं कि सतुआ के दिन सत्तु को प्रसाद के रूप में लोगों को ग्रहण करना चाहिए और लोगों को खिलाने के साथ दान पुण्य भी करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि मेष संक्रांति का दिन इस वर्ष 14 अप्रैल को पड़ा है. जिस दिन सूर्य, मीन और मेष राशि में गोचर कर रहे हैं. इसलिए आज की तिथि को ही सतुआन के रूप में मनाया जा रहा है. सतुआ को स्वादिष्ट बनाने के लिए लोग इसके साथ अचार, चोखा, चटनी, नींबू ,मिर्च आदि का सेवन करते हैं. यह बिहार के टॉनिक के नाम से भी मशहूर है. स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इसे बेहतर माना जाता है. गोरखपुर जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ राजेंद्र ठाकुर कहते हैं कि गर्मी के दिनों में अगर लोग अपने साथ सत्तू लेकर चलें, तो कड़ी धूप में भूख प्यास लगने पर इसका सेवन भूख भी शांत करेगा और ताकत भी देगा.

यह भी पढ़ें: उफ्फ गर्मी: काशीवासियों की प्यास बुझाएगी सत्तू वाली लस्सी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.