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मकर संक्रांति पर CM Yogi ने बाबा गोरखनाथ को चढ़ाई खिचड़ी, मंदिर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 15, 2024, 8:41 AM IST

सीएम योगी आदित्यनाथ ने मकर संक्रांति (Makar Sankranti Gorakhnath Program) के पावन पर्व पर बाबा गोरखनाथ को लोक आस्था की खिचड़ी चढ़ाई. सीएम योगी के खिचड़ी चढ़ाने के बाद श्रद्धालुओं के उमड़े जनसैलाब ने भी शिवावतार गुरु गोरखनाथ को खिचड़ी अर्पित की.

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CM Yogi ने बाबा गोरखनाथ को चढ़ाई आस्था की पवित्र खिचड़ी

गोरखपुर : मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार की सुबह 4 बजे शिव अवतारी गुरु गोरखनाथ को, नाथ पंथ की विशिष्ट परंपरा के अनुसार पुण्यकाल में आस्था की पहली खिचड़ी चढ़ाई और लोकमंगल की कामना की. उसके बाद नेपाल राजवंश की ओर से खिचड़ी चढ़ाई गई. फिर नाथ योगियों, साधु संतों ने खिचड़ी चढ़ाकर पूजा अर्चना की. इसके साथ मंदिर के गर्भगृह के पट को आमजन के लिए खोल दिया गया और खिचड़ी चढ़ाने की शुरूआत हो गई. लाखों की संख्या में उमड़े श्रद्धालुओं के खिचड़ी चढ़ाने और मंगल कामना का सिलसिला शुरू हो गया. सीएम योगी ने नाथ पंथ की परंपरा के अनुसार, जमीन पर बैठकर पवित्री एवं सिंगी नाद से सीटी बजा कर, भगवान गुरु गोरखनाथ को प्रणाम कर आदेश लिया. फिर विधिवत पूजन कर गोरक्षपीठ की ओर से खिचड़ी चढ़ाई. उसके बाद त्रेतायुग से प्रज्ज्वलित अखण्ड ज्योति का पूजन कर आशीर्वाद लिया.

दर्शन करने पहुंची महिलाएं
दर्शन करने पहुंची महिलाएं

त्रेतायुगीन मानी जाती है खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा : सीएम योगी ने इस दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सूर्यदेव के उत्तरायण होने पर गुरु गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की यह परम्परा त्रेतायुग से चली आ रही है. इस पर्व को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. लोग पवित्र नदियों, संगम तट, काशी, प्रयागराज में लाखों की संख्या में आज के अवसर पर पुण्य स्नान कर लाभ कमाते हैं. गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी के रूप में चढ़ाए जाने वाला अन्न वर्षभर जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है. गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा त्रेतायुगीन मानी जाती है. मान्यता है कि उस समय आदि योगी गुरु गोरखनाथ एक बार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला देवी के दरबार मे पहुंचे. मां ने उनके भोजन का प्रबंध किया. कई प्रकार के व्यंजन देख बाबा ने कहा कि वह तो योगी हैं और भिक्षा में प्राप्त चीजों को ही भोजन रूप में ग्रहण करते हैं. उन्होंने मां ज्वाला देवी से पानी गर्म करने का अनुरोध किया और स्वयं भिक्षाटन को निकल गए. भिक्षा मांगते हुए वह गोरखपुर आ पहुंचे और राप्ती और रोहिन के तट पर जंगलों में बसे इस स्थान पर धूनी रमाकर साधनालीन हो गए. उनका तेज देख तभी से लोग उनके खप्पर में अन्न (चावल, दाल) दान करते रहे. इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आने पर यह परंपरा खिचड़ी पर्व के रूप में परिवर्तित हो गई. तब से बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने का क्रम हर मकर संक्रांति पर अहर्निश जारी है. कहा जाता है कि उधर ज्वाला देवी के दरबार मे बाबा की खिचड़ी पकाने के लिए आज भी पानी उबल रहा है.

दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु
दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु


कड़ाके की ठंड के बीच गोरखनाथ मंदिर में उमड़े श्रद्धालु : मकर संक्रांति के पावन पर्व पर शिवावतार गुरु गोरखनाथ को लोक आस्था की खिचड़ी चढ़ाने लाखों श्रद्धालु कड़ाके की ठंड के बीच गोरखनाथ मंदिर में उमड़े. सुख, समृद्धि एवं अरोग्य की मंगलकामना को लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार समेत अन्य राज्यों और पड़ोसी राज्य नेपाल से आए. श्रद्धालुओं ने सोमवार की सुबह 4 बजे के बाद कतारबद्ध होकर गुरु गोरखनाथ को श्रद्धा की खिचड़ी चढ़ाई. उसके बाद मंदिर परिसर में स्थित सभी देवी देवताओं के विग्रहों का पूजन कर ब्रह्मलीन महंत बाबा गंभीरनाथ, ब्रह्मलीन महंत दिग्विजनाथ एवं ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की समाधि पर माथा टेक आशीर्वाद लिया. इस दौरान गुरु गोरखनाथ की जय जयकार से पूरा मंदिर प्रांगण गूंज रहा था. जयकारे की एक लहर थमती नहीं कि दूसरी शुरू हो जाती. गोरखनाथ मंदिर का खिचड़ी मेला लोक श्रद्धा भाव के साथ सामाजिक समरसता का भी मेला है. अमीर-गरीब सभी नंगे पाव कतारबद्ध होकर बारी बारी भगवान गोरखनाथ को आस्था की पवित्र खिचड़ी चढ़ा रहे थे. श्रद्धालुओं की सुरक्षा, सुविधा व सहूलियत को लेकर मंदिर व जिला प्रशासन की ओर से मुकम्मल इंतजाम किए गए थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद सभी व्यवस्थाओं पर नजर बनाए हुए थे.

श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब
श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब

श्रद्धालुओं ने ग्रहण किया खिचड़ी का प्रसाद : मंदिर परिसर में श्रद्धा के साथ सभी श्रद्धालुओं को खिचड़ी का प्रसाद सहभोज में वितरित किया जायेगा. अमीर-गरीब, जाति, वर्ग का भेदभाव भुलाकर सब खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण करेंगे. मंदिर परिसर में आमंत्रित अतिथियों के लिए भी सहभोज का आयोजन किया गया है.

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