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गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल: यहां रामलीला में नूर मोहम्मद देते हैं अहम योगदान

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Published : Oct 7, 2019, 2:10 PM IST

यूपी के फतेहपुर के खजुआ कस्बे में रामलीला की तैयारियां शुरू हो गई हैं. दशहरे के दिन गणेश पूजन से रामलीला शुरू होगी. रामलीला में निकलने वाली राम और रावण की झांकी की भव्यता प्रसिद्ध है. राम और रावण सहित सभी पुतलों को मुस्लिम कारीगर नूर मोहम्मद बनाते हैं.

मुस्लिम कारीगर बनाते हैं राम-रावण का पुतला.

फतेहपुर: जिले के ऐतिहासिक खजुआ कस्बे में रामलीला की तैयारियां प्रारंभ हो गई हैं. दशहरा के दिन गणेश पूजन से यहां रामलीला शरू होती है. आठवें दिन रावण वध के पश्चात रामलला की राजगद्दी और रावण पूजा की भव्य उत्सव के साथ खत्म हो जाता है.

मुस्लिम कारीगर बनाते हैं राम-रावण का पुतला.


मुस्लिम कारीगर बनाते हैं पुतले
यहां की रामलीला हमारे देश की गंगा-जमुनी तहजीब की नायाब मिसाल है. राम और रावण सहित बनने वाले सभी पुतलों को मुस्लिम समुदाय के लोग बनाते हैं. खजुआ की ऐतिहासिक रामलीला में निकलने वाली राम और रावण की झांकी की भव्यता प्रसिद्ध है. इसे देखने के लिए लोग अन्य जिलों से आते हैं. ऐसे में इसकी भव्यता में कोई कमी न हो इसके लिए हर वर्ष इसे और आकर्षक और सुंदर बनाने का प्रयास रहता है. यहां, रावण, कुंभकरण और मेघनाद का विशालकाय पुतला बनाया जाता है. इनकी लंबाई 40 से 50 फुट होती है.


मुस्लिम कारीगर नूर मोहम्मद ने दी जानकारी
नूर मोहम्मद बताते हैं कि वो यह काम 35 वर्षों से कर रहे हैं. इसमें उनका साथ उनके बेटे देते हैं. उन्होंने बताया कि यह काम करके उन्हें खुशी मिलती है. आप मुसलमान होकर यहां मंदिर में काम करते हैं, इसपर उन्होंने कहा कि खजुआ में सभी लोग चाहे वह किसी भी धर्म के हों, सभी के त्योहार में लोग आते-जाते हैं. सभी एक-दूसरे के साथ प्रेम की भावना के साथ हैं. खजुआ में हमेशा से हिंदू-मुस्लिम एकता कायम है. चाहे किसी भी धर्म का त्योहार हो, सभी धर्म के लोग इसे मिलकर मनाते हैं. नूर मोहम्मद ने कहा कि कोई भी धर्म हो वह प्रेम ही सिखाता है. कुछ लोगों के बुरे होने से पूरा समाज बुरा नहीं होता है.

इसे भी पढ़ें:- बरेली: बरसों से चली आ रही है यहां की रामलीला, राम बनकर दानिश खान देते हैं भाईचारे का संदेश

रामलीला में की जाती है रावण की पूजा
खजुआ की रामलीला का विशेष महत्व है. यहां रावण को जलाने के बजाय उसकी पूजा करने की परंपरा है. तांबे के शीश वाले रावण के पुतले को हजारों दीपों की रोशनी से सजाया जाता है. इसके बाद पुजारी द्वारा श्रीराम के पहले रावण की पूजा की जाती है. यहां रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले मुख्यमार्ग पर निकाले जाते हैं.

Intro:स्पेशल

फतेहपुर- जिले के ऐतिहासिक खजुआ कस्बे में रामलीला की तैयारियां प्रारंभ हो गई हैं। दशहरा के दिन गणेश पूजन से यहां रामलीला शरू होती है और आठवें दिन रावण बध के पश्चात रामलला की राजगद्दी और रावण पूजा की भव्य उत्सव के साथ खत्म हो जाता है और अगले वर्ष का इंतजार करता है।
यहां की रामलीला में रावण की पूजा होने से जहां सबसे अलग हैं वही रामादल और रावण की निकलने वाली भव्य झांकी की आकर्षक पूरे प्रदेश में। इन्ही सबसे साथ यहां की रामलीला हमारे देश की गंगा यमुनी तहजीब का भी नयाब मिशाल है। यहां पर राम और रावण सहित बनने वाले सभी पुतलों का बनावट पेंटिंग और श्रृंगार का काम नूरमोहम्मद के कलाइयों से होता है।


Body:खजुआ की ऐतिहासिक रामलीला में निकलने वाली राम और रावण की झांकी की भव्यता प्रसिद्ध है। इसे देखने के लिए लोग अन्य जिलों से आते हैं। ऐसे में इसकी भव्यता में कोई कमी न आए इसके लिए हर वर्ष इसे और आकर्षक और सुंदर बनाने का प्रयास रहता है। यहां रावण ,कुंभकरणऔर मेघनाद की विशालकाय पुतला बनाया जाता है इनकी लम्बाई 40 से 50 फुट होती है जिसे पहिये पर व्यवस्थित किया जाता है। यहां रावण राम सहित कई अन्य बड़े बड़े पुतले बनते हैं जिसे नूरमोहम्मद अपनी टीम के साथ रामलीला के एक महीने पहले से पुतलों की पेंटिंग और सजावट का काम करने लगते हैं।
नुरमोहम्मद बताते हैं कि मैं यह काम 35 वर्ष से कर रहा हूँ मेरे साथ अब मेरा लड़का भी आता है। मुझे खुशी मिलती है ये पूतले बनाने का काम मुझे मिलता है।
आप मुसलमान होकर यहां मन्दिर में काम।करते हैं इसपर कहते हैं हमारे खजुआ में सभी लोग चाहे वह किसी धर्म के हो सभी के त्यौहार में आते जाते हैं। सभी प्रेम से रहते हैं जब मेरे क्षेत्र में अखण्ड रामायण होता पढ़ने जाता हूँ और जेब टोपी रखता हूँ जब भोर में अजान का समय होता है तो अजान भी पढ़ लेता हूँ। कोई भी धर्म हो वह प्रेम ही सिखाता है। कुछ लोगों के बुरे होने से पूरा समाज बुरा नही होता है। ये जितने भी समाज मे उन्माद फैल रहा है यह नेताओं के द्वारा होता है।


Conclusion:खजुआ की रामलीला।का विशेष महत्व हैं यहां रावण को जलाने के बजाय इसकी पूजा करने की परम्परा है। तांबे के शीश वाले रावण के पुतले को।हजारों दीपों की रोशनी प्रज्ज्वलित कर सजाया जाता है। इसके बाद ठाकुर जी के पुजारी द्वारा श्रीराम के पहले रावण की पूजा की जाती है। यहां रावण मेघनाद और कुम्भकरण के पुतले मुख्यमार्ग पर निकाले जाते हैं।

ऐसे समय मे जब पूरे देश मे हिन्दू मुस्लिम की बात कर समाज मे उन्माद फैलाया जा रहा है नूर मोहम्मद जैसे लोग सद्भावना का संदेश दे रहें हैं।

बॉइट नूर मोहम्मद
अभिषेक सिंह फतेहपुर 7860904510

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