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सपा और भाजपा का गढ़ मानी जाती है बरेली की फरीदपुर विधानसभा, जानिए क्या कहते हैं राजनीतिक एनालिस्ट

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Published : Sep 27, 2021, 7:54 AM IST

जानिए क्या कहते हैं राजनीतिक एनालिस्ट
जानिए क्या कहते हैं राजनीतिक एनालिस्ट

बरेली जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर 122 फरीदपुर विधानसभा है, बरेली की फरीदपुर विधानसभा सीट दिल्ली लखनऊ नेशनल हाईवे 24 के इर्द-गिर्द बसी है. इतना ही नहीं राम गंगा नदी, वहगुल नदी फरीदपुर विधानसभा से होकर गुजरती हैं. फरीदपुर विधानसभा क्षेत्र में गेहूं-धान-गन्ने-दालहन की फसलों की अधिकतम पैदावार की जाती है. वर्तमान में फरीदपुर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रो. श्याम बिहारी लाल विधायक हैं.

बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली की नौ विधानसभा में से 122 फरीदपुर विधानसभा सीट हैं. फरीदपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है, इस सीट पर 90 के दशक से कभी बीजेपी का तो कभी समाजवादी पार्टी का अधिकतर दबदबा रहा. दिल्ली लखनऊ नेशनल हाईवे पर बसी है फरीदपुर विधानसभा आंवला लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है.





122 फरीदपुर विधानसभा सीट काफी लंबे समय से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही है. साल 1952 में फरीदपुर विधानसभा सीट पर पहला चुनाव सुंदरलाल ने इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी से जीता था. फरीदपुर विधानसभा की सीट 1952 से 1967 तक लगातार आरक्षित सीट रही, मगर 1967 से सामान्य सीट बनी तो कांग्रेस के डीपी सिंह ने चुनाव जीता. साल 1969 में उप चुनाव हुए जिसमें भारतीय क्रांति दल के राजेश्वर सिंह ने जीत हासिल की. साल 1974 से फरीदपुर विधानसभा सीट आरक्षित सीट चली आ रही है.

सपा और भाजपा का गढ़ मानी जाती है बरेली की फरीदपुर विधानसभा
जातिगत आंकड़ा
2017 के विधानसभा चुनाव में बरेली की फरीदपुर विधानसभा सीट पर कुल 3,07,012 मतदाता थे. जानकारों की माने तो फरीदपुर विधानसभा की आरक्षित सीट पर लगभग 26 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं, तो वहीं 39 प्रतिशत सवर्ण समाज के वोटर हैं. जिसमें ठाकुर समाज का अधिक दबदबा रहता है. इतना ही नहीं इस सीट पर लगभग 15% पिछड़ी समाज का भी वोट हैं. जिसमें यादव जाति का अधिक वोटर है. साथ ही 17% दलित समाज का वोटर भी रहता हैं. जिसमें अधिकतर जाटव समाज का दबदबा है. लगभग तीन प्रतिशत पंजाबी मतदाता की भी भागीदारी है. फरीदपुर विधानसभा सीट के जातिगत आंकड़े अनुमानित आंकड़े हैं.


भाजपा और सपा का दबदबा



फरीदपुर विधानसभा सीट पर पहला चुनाव 1957 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सुंदरलाल जीतकर विधायक बने थे, उसके बाद 90 के दशक 1991 के विधानसभा के चुनाव में भाजपा के नंदराम ने जीत हासिल की. 1993 में समाजवादी पार्टी से सियाराम सागर विधायक बने. इसी दौरान नंदराम ने भाजपा को छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया और-
  • 1996 का चुनाव उन्होंने समाजवादी पार्टी से लड़कर तीसरी बार जीत हासिल की.
  • 2002 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से सियाराम सागर ने फिर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
  • 2007 के विधानसभा चुनाव में मायावती की सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले ने पहली बार इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार रहे विजय पाल सिंह को जीत मिली और वह विधायक बने.

2012 के विधानसभा चुनाव में फिर समाजवादी पार्टी का दबदबा देखने को मिला और सियाराम सागर ने जीत हासिल कर पांचवीं बार फरीदपुर के विधायक बने. मगर 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने बाजी मारी और बीजेपी की लहर में प्रोफेसर श्याम बिहारी लाल BJP से लड़े और जीत हासिल की.


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भारतीय जनता पार्टी के प्रोफेसर श्याम बिहारी लाल फरीदपुर विधानसभा सीट के विधायक हैं, उन्होंने 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी रहे सियाराम सागर को हराकर जीत हासिल की थी. मूल रूप से फरीदपुर के फारुख पुर गांव के रहने वाले प्रोफेसर श्याम बिहारी लाल ने 1970 में बरेली के एमजेपी रोहिलखंड यूनिवर्सिटी से इतिहास विषय में पीएचडी की. विधायक होने के साथ-साथ वह बरेली की महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट भी हैं.

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फरीदपुर विधानसभा क्षेत्र से होकर गुजरने वाली रामगंगा नदी के किनारे बसे गांव रामगंगा में बाढ़ आने से प्रभावित हो जाते हैं. कुछ गांव तो ऐसे हैं, जो बिल्कुल रामगंगा के करीब बसे हैं और राम गंगा का जलस्तर बढ़ने पर गांव में खतरा बढ़ता जाता है. इतना ही नहीं फरीदपुर विधानसभा की सीमा पीलीभीत के बीसलपुर और शाहजहांपुर के तिलहर को छूती है. साथ ही बदायूं के जिले से भी फरीदपुर विधानसभा की सीमा लगी हुई है, फरीदपुर विधानसभा क्षेत्र में अधिकतर लोग किसानी पर निर्भर हैं साथी दूध का उत्पादन में ग्रामीण क्षेत्र में अधिक मात्रा में किया जाता है.


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