ETV Bharat / state

Raksha Bandhan 2021: भाइयों को कोरोना वायरस से बचाएंगी बहनों की वैदिक राखियां

author img

By

Published : Aug 21, 2021, 2:41 PM IST

बरेली में बनाई जा रही हैं वैदिक राखियां
बरेली में बनाई जा रही हैं वैदिक राखियां

भाई-बहन के स्नेह का पर्व रक्षाबंधन पर भाइयों की कलाइयों को सजाने के लिए कपूर, लौंग, हल्दी, चंदन, रोली और तुलसी जैसे 11 औषधीय तत्वों से वैदिक राखियां (vedic rakhi) बनाई गई हैं. ये राखियां कोरोना काल (corona transition period) में भाइयों को खूब पसंद आने वाली हैं.

बरेली: कोरोना संक्रमण काल (corona transition period) में भाइयों की कलाइयां सूनी न रह जाएं, इसी स्नेह को बरकरार रखने के लिए इस बार वैदिक राखियां (vedic rakhi) तैयार की जा रही हैं. खासकर, कपूर, लौंग, हल्दी, चंदन, रोली और तुलसी जैसे 11 औषधीय तत्वों से बनी वैदिक राखियां संक्रमण काल में बेहद कारगर साबित होंगी. औषधीय तत्वों (medicinal elements) से बंधी पोटली को रेशम की डोर में पिरोकर भाइयों की कलाइयों में बांधी जाएंगी. ये राखियां भाइयों को तमाम बीमारियों से भी सुरक्षित रखने वाली हैं.

देश में भाई-बहनों के पवित्र पर्व को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं. इस बार भाई की कलाई पर बहनें प्यार का धागा ही नहीं, बल्कि सेहत भरा बंधन बांधेंगी. वहीं बरेली में ऐसी विशेष राखियां तैयार की जा रही हैं, जो कि वैदिक हैं. इस बार यह राखियां रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) पर भाइयों को कोविड-19 से बचाएंगी. यहां, करगैना निवासी अध्यापिका कल्पना छात्राओं की मदद से स्वदेशी वैदिक राखियां तैयार कर रही हैं. कल्पना की टीम में दर्जनों छात्राएं हैं, जो कपूर, लौंग, हल्दी, चंदन, रोली, चावल और तुलसी जैसे 11 औषधीय सामग्रियों को मिलाकर खास रक्षा सूत्र तैयार कर रही हैं. टोली की सदस्यों की पहल से जहां लोगों के स्वास्थ्य लाभ मिलेगा. वहीं बेटियां भी आत्मनिर्भर बनेंगी.

बरेली में बनाई जा रही हैं वैदिक राखियां

इसे भी पढ़ें-PM मोदी के लिए मुस्लिम महिलाओं और विधवा माताओं ने तैयार की राखी

वैदिक राखी का आइडिया इजाद करने वाली अध्यापिका कल्पना बताती हैं कि कोरोना काल (Corona Time) में सभी ने घरेलू नुख्सों को अपनाया. लिहाजा, इसकी उपयोगिता को महसूस करते हुए हर्बल चीजों को बढ़ावा दिया गया. यही कारण है कि वे अपनी सहयोगी छात्राओं के साथ मिलकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले औषधीय तत्वों से स्वदेशी वैदिक राखियां बना रही हैं. कल्पना और उनकी टोली की छात्राएं कहती हैं कि वैदिक काल में घरों में किसी को नजला ,सर्दी ,जुकाम, खांसी होता था. तब दादी घरेलू नुस्खे के तौर कर यही सब चीजें धागे में बांधकर एक पोटली बनाकर बांध दिया करती थीं. उसी को आधार बनाकर हमने यह राखियां बनाई हैं और इन्हें वैदिक राखी का नाम दिया है. वो स्वयं इस बार अपने भाइयों की कलाइयों पर चाइनीज राखियों (chinese rakhis) की जगह स्वदेशी वैदिक राखियां ही बांधेगी, ताकि त्योहार के साथ-साथ भाई की सेहत का भी बखूबी ध्यान रखा जा सके.

बरेली में बनाई जा रही हैं वैदिक राखियां
बरेली में बनाई जा रही हैं वैदिक राखियां

इसे भी पढ़ें-भाइयाें की कलाई पर सजेगी गंगा, यमुना और महानदी की मिट्टी से बनी राखी

कपूर, लौंग, हल्दी, चंदन, रोली, दूब घास, आम का कोयला, नीम की पत्तियां और तुलसी जैसे 11 औषधीय तत्वों को मिलाकर बनाई जा रहीं वैदिक राखियों की डिमांड बाजार में बढ़ गई है. बाजार में दुकान लगाने वाले दुकानदार कल्पना से ये खास राखियां खरीद कर ले जा रहे हैं. इतना ही नहीं आसपास की रहने वाली बहनें भी इन राखियों को बड़े चाव से खरीद रही हैं. बहनों का कहना है कि इस बार स्वदेशी वैदिक राखियां अपने भाइयों की कलाइयों पर बांधकर रक्षाबंधन का त्योहार मनाएंगी.

बरेली में बनाई जा रही हैं वैदिक राखियां
बरेली में बनाई जा रही हैं वैदिक राखियां
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.