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बरेली धान खरीद घोटाला मामला: दो नटवरलाल गिरफ्तार, पूछताछ में खुले कई राज

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Published : Jul 28, 2021, 10:25 PM IST

बरेली धान खरीद घोटाला मामला
बरेली धान खरीद घोटाला मामला

बरेली के बहुचर्चित धान खरीद घोटाले में शामिल दो नटवरलाल पुलिस के हत्थे चढ़ गए हैं. बता दें कि फर्जी किसानों के नाम करीब 6 हजार क्विंटल धान सरकारी मूल्य पर बिक्री किया गया था. तमाम जांच के बाद इस मामले में मई महीने में नवाबगंज थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था.

बरेली : बरेली में इस वर्ष बड़े पैमाने पर फर्जी किसानों के द्वारा धान, सरकारी मूल्य पर बिक्री करने का रैकेट अफसरों ने पकड़ा था. इस मामले में मई महीने में पुलिस ने FIR दर्ज कर कुछ, नटवरलालों के खिलाफ एक्शन लिया था. चौंकाने वाली बात तो ये है कि धान माफियाओं ने फर्जी खतौनियों के माध्यम से धान खरीद में खूब गोलमाल किया था.

अब इस मामले में बरेली की नवाबगंज पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. एसपी ग्रामीण राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश में भी लगातार प्रयासरत है. फरार चल रहे घपलेबाजों के बारे में जो भी इनपुट उन्हें मिल रहे हैं, उसके आधार पर उनकी तलाश की जा रही है.

गौरतलब है कि, पिछले सीजन में हुई धान खरीद में धान क्रय केन्द्रों पर फर्जी अभिलेखों को प्रस्तुत करके आधा दर्जन से अधिक धान क्रय केन्द्रों पर, करीब 6 हजार क्विंटल धान फर्जी किसानों ने बेच डाला था. जब इस बारे में अफसरों को गोलमाल का अंदेशा हुआ तो फिर जांच शुरू हुई.

बता दें कि, एसएमआई ज्ञानचन्द्र वर्मा ने फर्जी किसान बने 74 लोगों के खिलाफ तब मुकदमा दर्ज कराया था. इसके बाद से पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है. पुलिस ने इस मामले में जगदीश राठौर पुत्र कालीचरन, मोहम्मद जावेद पुत्र मोहम्मद कलीम निवासी मोहल्ला गांधी टोला नवाबगंज को पकड़कर उनसे पूछताछ की है.

पकड़े गए घपलेबाजों ने खोले कई राज

एसपी ग्रामीण राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि दोनों अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया है कि कुछ धान मिल मालिकों व धान मिलों पर काम करने वाले व्यक्तियों के साथ मिलकर फर्जी अभिलेख तैयार किए गए थे. इतना ही नहीं सम्भागीय खाद्य विभागीय पोर्टल पर पंजीकरण भी गलत तरीके से कराकर तहसील से अभिलेखों को सत्यापन कराया गया था. इसके बाद धान क्रय केन्द्रों पर धान को तौला गया था. पकड़ में आए दोनों घपलेबाजों ने कबूल किया है कि उन्होंने अपने खातों में रुपयों का भुगतान भी कराया था.

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बहरहाल, रिपोर्ट दर्ज होने के दो माह के बाद पुलिस दो लोगों को पकड़ने में कामयाब हुई है. हालांकि वो राइस मिलर कौन थे और उनके खिलाफ क्या कुछ एक्शन कब तक होगा, यह यक्ष प्रश्न अभी भी बना हुआ है.

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