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बाराबंकी में देवा मेला, जायकेदार हलवा पराठा बनते देख आपके मुंह में आएगा पानी

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Published : Oct 21, 2022, 9:49 AM IST

यूपी के बाराबंकी में देवा मेला का आयोजन शुरू हो चुका है. इस मेंले में एक खास व्यंजन खूब धूम मचा रहा है. लोग इसे खाने से अपने आपको रोक नहीं पा रहे है. क्या है इसकी खासियत? और कैसे इसे किया जाता है तैयार, देखिए ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट में.

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जायकेदार हलवा पराठा

बाराबंकी: जो रब है, वही राम का संदेश देने वाले मशहूर सूफी संत हाजी वारिस अली शाह के पिता सैयद कुर्बान अली शाह की याद में लगने वाला दस दिवसीय देवा मेला काफी प्राचीन है. कोरोना के चलते बीते दो वर्ष मेला नहीं हुआ था. इस साल यह मेला तिथि से दो दिन बाद हुआ है. कौमी एकता का प्रतीक बाराबंकी के देवा मेला में आपको दूसरी अन्य चीजों के अलावा खाने-पीने की तमाम चीजें भी मिल जाएंगी. फिलहाल, इस मेले में एक खास व्यंज खूब धूम मचा रहा है. मेले में आने वाले लोग इस खास व्यंजन को खाने से अपने आपको रोक नहीं पा रहे.

पराठा कारीगर और दुकानदार फारूक अहमद ने दी जानकारी
आज हम आपको यहां के एक खास व्यंजन से रूबरू कराएंगे. ये खास व्यंजन है मेले में बिकने वाला हलवा-पराठा. लजीज इतना कि, मेले में आने वाले लोग हलवा-पराठा खाने से अपने आपको रोक नहीं पाते. मेले में हलवा पराठे की एक से एक तमाम दुकानें मिल जाएंगी. लेकिन, पिछले 80 वर्षों से एजाज रसूल गेट के पास लगने वाली एक दुकान खासी प्रसिद्ध है. दुकान मालिक बताते हैं कि ये उनकी तीसरी पीढ़ी है. पहले इनके परदादा दुकान लगाते थे. फिर इनके दादा और फिर इनके पिता और अब वह खुद इसे चला रहे हैं. दुकान मालिक बताते हैं कि उनके दादा ने यह हलवा पराठा बनाना पंजाब के अमृतसर में सीखा था. तब से ये सिलसिला चला आ रहा है. इसे भी पढ़े-'हर घर जल' का जश्न, पांच करोड़ से अधिक दीयों की रोशनी से जगमगाएंगे सैकड़ों गांव

दरअसल, हलवा पराठा एक खास किस्म की तकनीक से बनाया जाता है. पहले बड़े पराठा के बारे में जान लेते हैं कि ये कैसे तैयार होता है. सबसे पहले मैदा में वनस्पति घी, नमक और पानी मिलाकर उसे देर तक गूंथते हैं. उसके बाद उसे मुलायम होने के लिए दो घण्टे के लिए रख दिया जाता हैं. फिर गूंथे हुए मैदे की लोई काटते हैं. उसे भी थोड़ी देर के लिए रख दिया जाता है. इस लोई को कई बार रोल किया जाता है ताकि, इसमें परतें पड़ जाए. उसके बाद लकड़ी के एक बड़े फ्रेम पर इसे बेला जाता है और इसे बड़े साइज का कर दिया जाता है. अब इसको एक बड़ी कड़ाही में वनस्पति घी में तल दिया जाता है. इसके बड़े साइज को लेकर लोग इसे साबू पराठा भी बोलते हैं.

हलवा बनाने में सूजी, घी, शकर और मेवा का इस्तेमाल होता है. सूजी को पहले हल्का गोल्डन होने तक घी में भूना जाता है. फिर एक बड़े कड़ाहे में शकर की चाशनी बनाकर उसमें ये भूनी हुई सूजी डालकर गाढ़ा होने तक पकाया जाता हैं. बीच बीच मे इसमें घी डालकर मिक्स करते रहते हैं. आखिर में मेवा डालकर इसे सजा देते हैं.

यह भी पढ़े-दीपावली पर ज्यादा शोर वाले पटाखे बेचे तो होगी कार्रवाई, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी की एडवाइजरी

बाराबंकी: जो रब है, वही राम का संदेश देने वाले मशहूर सूफी संत हाजी वारिस अली शाह के पिता सैयद कुर्बान अली शाह की याद में लगने वाला दस दिवसीय देवा मेला काफी प्राचीन है. कोरोना के चलते बीते दो वर्ष मेला नहीं हुआ था. इस साल यह मेला तिथि से दो दिन बाद हुआ है. कौमी एकता का प्रतीक बाराबंकी के देवा मेला में आपको दूसरी अन्य चीजों के अलावा खाने-पीने की तमाम चीजें भी मिल जाएंगी. फिलहाल, इस मेले में एक खास व्यंज खूब धूम मचा रहा है. मेले में आने वाले लोग इस खास व्यंजन को खाने से अपने आपको रोक नहीं पा रहे.

पराठा कारीगर और दुकानदार फारूक अहमद ने दी जानकारी
आज हम आपको यहां के एक खास व्यंजन से रूबरू कराएंगे. ये खास व्यंजन है मेले में बिकने वाला हलवा-पराठा. लजीज इतना कि, मेले में आने वाले लोग हलवा-पराठा खाने से अपने आपको रोक नहीं पाते. मेले में हलवा पराठे की एक से एक तमाम दुकानें मिल जाएंगी. लेकिन, पिछले 80 वर्षों से एजाज रसूल गेट के पास लगने वाली एक दुकान खासी प्रसिद्ध है. दुकान मालिक बताते हैं कि ये उनकी तीसरी पीढ़ी है. पहले इनके परदादा दुकान लगाते थे. फिर इनके दादा और फिर इनके पिता और अब वह खुद इसे चला रहे हैं. दुकान मालिक बताते हैं कि उनके दादा ने यह हलवा पराठा बनाना पंजाब के अमृतसर में सीखा था. तब से ये सिलसिला चला आ रहा है. इसे भी पढ़े-'हर घर जल' का जश्न, पांच करोड़ से अधिक दीयों की रोशनी से जगमगाएंगे सैकड़ों गांव

दरअसल, हलवा पराठा एक खास किस्म की तकनीक से बनाया जाता है. पहले बड़े पराठा के बारे में जान लेते हैं कि ये कैसे तैयार होता है. सबसे पहले मैदा में वनस्पति घी, नमक और पानी मिलाकर उसे देर तक गूंथते हैं. उसके बाद उसे मुलायम होने के लिए दो घण्टे के लिए रख दिया जाता हैं. फिर गूंथे हुए मैदे की लोई काटते हैं. उसे भी थोड़ी देर के लिए रख दिया जाता है. इस लोई को कई बार रोल किया जाता है ताकि, इसमें परतें पड़ जाए. उसके बाद लकड़ी के एक बड़े फ्रेम पर इसे बेला जाता है और इसे बड़े साइज का कर दिया जाता है. अब इसको एक बड़ी कड़ाही में वनस्पति घी में तल दिया जाता है. इसके बड़े साइज को लेकर लोग इसे साबू पराठा भी बोलते हैं.

हलवा बनाने में सूजी, घी, शकर और मेवा का इस्तेमाल होता है. सूजी को पहले हल्का गोल्डन होने तक घी में भूना जाता है. फिर एक बड़े कड़ाहे में शकर की चाशनी बनाकर उसमें ये भूनी हुई सूजी डालकर गाढ़ा होने तक पकाया जाता हैं. बीच बीच मे इसमें घी डालकर मिक्स करते रहते हैं. आखिर में मेवा डालकर इसे सजा देते हैं.

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