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किशोरी का अपहरण कर दुष्कर्म करने वाले दो दोषियों को 20-20 की सजा

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Published : Nov 30, 2022, 10:33 PM IST

बाराबंकी की एक अदालत ने साढ़े 7 साल पुराने अपहरण कर दुष्कर्म के मामले में दो दोषियों को 20 साल कठोर कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है.

बाराबंकी
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बाराबंकी: साढ़े सात साल पुराने किशोरी का अपहरण कर दुष्कर्म करने के मामले में बाराबंकी की एक अदालत ने दो दोषियों को 20-20 वर्ष के कठोर कारावास और 22-22 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो ऐक्ट कोर्ट नम्बर 44 राजीव महेश्वरम ने सुनाया है.

विशेष लोक अभियोजक फौजदारी योगेंद्र कुमार सिंह और अनूप कुमार मिश्रा ने बताया कि वादी ने 21 मार्च 2015 को मोहम्मदपुर खाला थाने में तहरीर देकर अपनी नाबालिग पुत्री को रामू पुत्र राम औतार द्वारा अपहरण कर लिए जाने का मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने त्वरित कार्यवाही करते हुए उसकी नाबालिग पुत्री को रामू के घर से बरामद कर लिया था. पीड़िता के बयानों के आधार पर इस मामले में उत्तम कुमार और एक अन्य का नाम भी सामने आया.

पीड़िता के मुताबिक वह शौच के लिए खेत गई थी, जहां से उत्तम कुमार और दूसरे युवक की मदद से रामू ने उसका अपहरण कर लिया और जबरन बाइक पर बैठा कर उसे रामू के घर ले गए. जहां तीनों ने बारी बारी से उसके साथ दुराचार किया. इसके बाद पीड़िता का रामू के साथ जबरन विवाह करा दिया गया. तत्कालीन विवेचक ने इस मामले में वैज्ञानिक साक्ष्य और बयानों के आधार पर आरोपी रामू यादव और उत्तम कुमार वर्मा और एक अन्य के खिलाफ धारा 363/34,366/34 और 376 घ आईपीसी के तहत चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की.

अभियोजन पक्ष ने इस मामले में समुचित पैरवी करते हुए ठोस गवाह पेश किए.अभियोजन और बचाव पक्षों द्वारा पेश किए गए गवाहों और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो ऐक्ट कोर्ट नम्बर 44 राजीव महेश्वरम ने रामू यादव और उत्तम कुमार वर्मा को दोषी पाते हुए दोनों अभियुक्तों को 20-20 वर्ष के कठोर कारावास और 22-22 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. जबकि तीसरा अभियुक्त जुवेनाइल पाए जाने पर उसका विचारण जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है.


कोर्ट ने दोषियों द्वारा अदा की जाने वाली जुर्माने की रकम पीड़िता को दिए जाने का आदेश भी दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने दुराचार पीड़िता को डेढ़ लाख रुपये क्षतिपूर्ति दिए जाने की भी अनुशंसा की.कोर्ट ने सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को आदेशित किया है कि यदि पूर्व में क्षतिपूर्ति के स्वरूप कोई धनराशि प्रदान की गई है तो नियमानुसार अंतिम धनराशि जो प्रदान की जाए उसमें समायोजित किया जा सकता है.

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