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बलरामपुर: 25 गांवों में भरा बाढ़ का पानी, आपदा प्रबंधन के दावों की खुली पोल

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Published : Jul 11, 2019, 7:34 PM IST

बाढ़ से गांवों में भरा पानी.

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में बारिश होने के कारण बाढ़ आ गई, जिससे करीब 25 गांवों में पानी भर गया. जिला आपदा प्रबंधन इकाई द्वारा तमाम तरह की व्यवस्थाएं की जा रही हैं, लेकिन गांवों में इसका कोई प्रभाव नजर नहीं आ रहा है.

बलरामपुर: बलरामपुर जिले के खरझार नाले में 2 दिनों से बारिश होने के कारण बाढ़ आ गई. इससे करीब 25 गांवों में पानी भर गया. वहीं राप्ती के कारण तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित नजर आ रहे हैं. ऐसे में जिला आपदा प्रबंधन इकाई द्वारा तमाम तरह की व्यवस्थाएं की जा रही हैं. लेकिन गांवों में इसका कोई प्रभाव नजर नहीं आ रहा है.

बाढ़ से गांवों में भरा पानी.

बाढ़ से गांवों में भरा पानी

  • जिला आपदा प्रबंधन इकाई द्वारा तमाम तरह की व्यवस्थाएं की जा रही हैं, लेकिन गांवों में इसका कोई प्रभाव नजर नहीं आ रहा है.
  • जिले के खरझार नाले में 2 दिनों से बारिश होने के कारण बाढ़ आ गई, जिससे करीब 25 गांवों में पानी भर गया.
  • आपदा प्रबंधन इकाई के प्रमुख रवि कुमार शुक्ला ने बताया कि तकरीबन 30 जगहों पर बाढ़ चौकियों का निर्माण किया गया है.
  • लेखपाल व चौकी इंचार्ज जैसे लोगों को बाढ़ से जन समस्याओं पर नियंत्रण पाने व लोगों की देखरेख के लिए नियुक्त किया गया है.
  • जिले के तीन तहसीलों में आकस्मिक आपदा नियंत्रण कक्षों की स्थापना भी की गई है.
  • बाढ़ प्रभावित ग्राम सभाओं में लोगों को बाढ़ के पानी से बाहर निकालने के लिए जिला अधिकारी द्वारा 30 से अधिक नावों की व्यवस्था करवाई गई है.

आपदा प्रबंधन इकाई द्वारा जिले में बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए तमाम तैयारियों को अंजाम दिया जा चुका है. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को पत्र लिखकर यहां पर उनकी कंपनियों की तैनाती के लिए अनुरोध किया जा चुका है. जबकि सभी जरूरी निविदाओं को पूरा करा लिया गया है, खाने के पैकेट, लईया-चना बटवाने की व्यवस्था भी कर ली गई है.

- कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

बलरामपुर जिला नेपाल की तराई के इलाके में बसा हुआ है. तकरीबन 2 दर्जन पहाड़ी नाले नेपाल से उतारकर भारत की सीमा में न केवल उपजाऊ मिट्टी पैदा करते हैं. वहीं, दूसरी तरफ इन्ही के द्वारा हर साल हजारों सैकड़ों की संख्या में जिंदगी भी तबाह होती हैं. किसी का घर उजड़ जाता है, तो किसी का कोई अपना बिछड़ जाता है. तमाम कवायदों के बीच जिला आपदा प्रबंधन इकाई व जिला आपदा प्रबंधन विभाग, बाढ़ और प्रकृति से जनित आपदा से निपटने की तैयारी करता है, लेकिन सुस्त व्यवस्था के कारण जब तक तैयारियां की जाती हैं तब तक बाढ़ बड़ी मात्रा में तबाही पैदा करके लोगों की जिंदगियां उजाड़ देता है.

Intro:बलरामपुर जिला नेपाल की तराई के इलाके में बसा हुआ है। तकरीबन 2 दर्जन पहाड़ी नाले नेपाल से उतारकर भारत की सीमा में न केवल उपजाऊ मिट्टी पैदा करते हैं। वहीं, दूसरी तरफ इन्ही के द्वारा हर साल हजारों सैकड़ों की संख्या में जिंदगी भी तबाह होती हैं। किसी का घर उजड़ जाता है। तो किसी का कोई अपना बिछड़ जाता है। तमाम कवायदओं के बीच जिला आपदा प्रबंधन इकाई व जिला आपदा प्रबंधन विभाग, बाढ़ और प्रकृति से जनित आपदा से निपटने की तैयारी करता है। लेकिन सुस्त व्यवस्था के कारण जब तक तैयारियां करी जाती हैं। तब तक बाढ़ बड़ी मात्रा में तबाही पैदा करके लोगों की जिंदगी उजाड़ दिया करता है।


Body:बलरामपुर जिले के पहाड़ी नाला खरझार, नैकिनीय, धोबैनिया, खैरह्निया, सीरिया, धोबहा, नकटी, जमधार, सतघरवा, भाँभर जैसे नाले जिले में और राप्ती व कुआनो नदियां नेपाल के ऊंचे पहाड़ों से पानी बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बहराइच, गोंडा में बाढ़ की तबाही मचाती है।
बलरामपुर जिले के खरझार नाले में 2 दिन से बारिश होने के कारण बाढ़ आ गई, जिससे करीब 25 गांव में पानी घुस गया। भुसैलवा द्वारा पानी फेंकने के कारण गौरा चौराहा स्थित तकरीबन 30 गांव बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित है। वहीं, उतरौला राप्ती के कारण तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित नजर आ रहे हैं।
ऐसे में जिला आपदा प्रबंधन इकाई द्वारा तमाम तरह की व्यवस्थाएं की जा रही हैं। लेकिन ग्रामीण अंचल में इसका कोई बड़ा प्रभाव होता नजर नहीं आ रहा है। आपदा प्रबंधन इकाई के प्रमुख रवि कुमार शुक्ला ने हमें बताया कि तकरीबन 30 जगहों पर बाढ़ चौकियों का निर्माण किया गया है। जहां पर लेखपाल व चौकी इंचार्ज जैसे लोगों को बाढ़ से जन समस्याओं पर नियंत्रण पाने व लोगों की देखरेख के लिए नियुक्त किया गया है। वहीं, जिले के तीन तहसीलों में आकस्मिक आपदा नियंत्रण कक्षों की स्थापना भी की गई है। बाढ़ प्रभावित ग्राम सभाओं में लोगों को बाढ़ के पानी से बाहर निकालने के लिए जिला अधिकारी द्वारा 30 से अधिक नावों की व्यवस्था करवाई गई है। इसके अतिरिक्त पिछले वर्ष की नाव को भी बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए लगाया जा रहा है।



Conclusion:बलरामपुर के जिला अधिकारी कृष्णा करुणेश ने इस मामले में ईटीवी से बात करते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन इकाई द्वारा जिले में बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए तमाम तैयारियों को अंजाम दिया जा चुका है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को पत्र लिखकर यहां पर उनकी कंपनियों की तैनाती के लिए अनुरोध किया जा चुका है। जबकि सभी जरूरी निविदाओं को पूरा करा लिया गया है, खाने के पैकेट, लईया-चना बटवाने की व्यवस्था भी कर ली गई है।
जिले के सभी 16 बंधों की मरम्मत करवा दी गई है और कई नालों से ससिल्ट हटवाने का काम भी पूरा किया जा चुका है।
जिले के प्रत्येक ग्राम सभाओं में लेखपालों को निर्देशित किया गया है कि वह अपने अपने स्तर से 2-2 ट्रैक्टर-ट्रॉली मालिकों का नंबर उपलब्ध करवा दें, जिससे आपदा के समय उनसे मानवीय सहायता ली जा सके।
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