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आजमगढ़: दिव्यांग दादी दूसरी महिलाओं के लिए बनीं प्रेरणा, सिलाई-सिखाकर बना रहीं आत्मनिर्भर

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Published : Oct 19, 2020, 10:45 PM IST

Updated : Oct 20, 2020, 11:44 AM IST

दिव्यांग दादी दूसरी महिलाओं के लिए को बनी प्रेरणा.
दिव्यांग दादी दूसरी महिलाओं के लिए को बनी प्रेरणा.

यूपी के आजमगढ़ के सिधारी में रहने वाली लाल मुनी देवी उर्फ दादी दोनों पैरों से विकलांग हैं और 20 वर्ष से अधिक समय से बिस्तर पर ही हैं. बावजूद इसके बड़ी संख्या में महिलाओं और लड़कियों को सिलाई-कढ़ाई सिखा कर उन्हें स्वावलंबी बना रही हैं, जिससे वह अपना रोजगार कर अपनी जीविका चला सकें.

आजमगढ़: जिले के सिधारी में रहने वाली बूढ़ी दादी आस-पास की महिलाओं और लड़कियों को सिलाई-कढ़ाई सिखा कर उन्हें स्वावलंबी बना रही हैं. जिससे वह अपने घर में अपना रोजगार करके अपने घर परिवार का भरण पोषण कर सकें.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बूढ़ी दादी लाल मुनी देवी का कहना है कि इस सिलाई-कढ़ाई सिखाने का महिलाओं का मुख्य मकसद यह है कि महिलाएं पर्दे के भीतर रहकर यह कला सीख कर अपनी आजीविका चला सकें. पढ़ाई लिखाई में बहुत सी महिलाएं और लड़कियां सफल होती हैं पर कला धन व विद्याधन वक्त में काम आता है. इसलिए इन महिलाओं को सिलाई कढ़ाई सिखाया जा रहा है, जिससे यहां अपने पैरों पर खड़ी हो सके.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.
महिलाओं व लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाना मकसद
दादी ने बताया कि 20 वर्ष पहले दोनों पैरों से विकलांग हो गई थी. इसके बाद भी महिलाओं और लड़कियों को सिलाई-कढ़ाई सिखाने का फैसला लिया और आज भी सिखा रही हूं. प्रतिदिन 50 से अधिक महिलाएं और लड़कियां आकर सिलाई-कढ़ाई सीख कर स्वावलंबी बन रही है और अभी तक कई हजार लड़कियों ने यहां से सिलाई व कढ़ाई सीख कर अपना रोजगार कर रही हैं.
बहुत सी महिलाएं सीख रही सिलाई-कढ़ाई

सिलाई सीखने आई अभिलाषा ने ईटीवी भारत को बताया कि जिस तरह से दादी बिस्तर पर रहकर हम जैसी बहुत सी महिलाएं या लड़कियों को सिलाई सिखा रही हैं. निश्चित रूप से हम लोग अपने घर में रहकर रोजगार कमा सकते हैं. सिलाई सीख रही पूजा पांडे का कहना है कि हम लोग अनपढ़ होकर भी आज दादी द्वारा सिलाई सीखने के बाद कुछ कर सकते हैं और घर बैठकर अपने खाने की रोटी कमा सकते हैं. दादी हम लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं.

बताते चलें कि आजमगढ़ जनपद के सिधारी में रहने वाली लाल मुनी देवी उर्फ दादी दोनों पैरों से विकलांग हैं और लगभग 20 वर्ष से अधिक समय से बिस्तर पर ही पड़ी हैं. बावजूद इसके बड़ी संख्या में महिलाओं और लड़कियों को सिलाई कढ़ाई सिखा कर उन्हें स्वावलंबी बना रही हैं. जिससे वह अपना रोजगार कर अपनी आजीविका कमा सकें.

Last Updated :Oct 20, 2020, 11:44 AM IST
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