ETV Bharat / state

हनुमान बाग में 5 दिसंबर की बैठक में बना था विवादित ढांचे को गिराने का प्लान! जानिए 1992 की कहानी

author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 17, 2024, 7:49 AM IST

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में अब चंद दिन ही रह गए हैं. अनुष्ठान की शुरुआत भी हो चुकी है. राम मंदिर के लिए तमाम रामभक्तों ने बलिदान दिया. राम मंदिर आंदोलन ने कई किस्से गढ़े. इसी तरह विवादित ढांचे (controversial structure demolition) के गिराने से एक दिन पहले भी कुछ ऐसा हुआ, जिसने सब कुछ बदल दिया.

े्प
िे्प
हनुमान बाग में हुई थी अहम बैठक.

अयोध्या : रामनगरी में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. करोड़ों रामभक्तों का सपना साकार होने जा रहा है. विवादित ढांचे को ढहाने से लेकर राम मंदिर आंदोलन तक की कई कहानियां सुर्खियों में रहीं हैं. सन 1992 में राम मंदिर के लिए अहम पटकथा तैयार होनी शुरू हो गई थी. इसी साल छह दिसंबर को कारसेवकों ने विवादित ढांचे को ढहा दिया. इसकी प्लानिंग घटना के एक दिन पहले यानी 5 दिसंबर को यहां हुई बैठक में बनी थी. पढ़िए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

राम मंदिर का बनना इतना आसान नहीं था. इसके लिए लगभग 500 साल से अधिक का संघर्ष रहा है. इस संघर्ष को एक नई दिशा तब मिली जब 1992 में बाबरी मस्जिद (विवादित ढांचे) का विध्वंस कर दिया गया. इस काम को करने के लिए पहले से कोई योजना नहीं थी. यह तो अचानक से बनी और पूरी कर ली गई. इस योजना को हनुमान बाग मैदान में बनाया गया था. आज हम आपको बताने जा रहे हैं उस अचानक से बनी पूरी योजना के बारे में. आज जब राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है और रामलला अपने महल में विराजमान होने जा रहे हैं. ऐसे में राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत के बारे में भी जानना जरूरी हो जाता है.

यहां हुई थी अहम बैठक.
यहां हुई थी अहम बैठक.

पांच दिसंबर को हुई थी गुप्त बैठक : रिटायर पुलिस अधिकारी अनिल राय के मुताबिक, 6 दिसंबर से एक दिन पहले यानी 5 दिसंबर को अयोध्या में हनुमान बाग में एक गुप्त बैठक हुई थी. इसमें विश्व हिंदू परिषद और भाजपा के तत्कालीन दिग्गज नेता मौजूद थे. उस बैठक में सीएम योगी के गुरु और तत्कालीन गोरक्षनाथ मठ के महंत अवैद्यनाथ और दिगंबर अखाड़ा के महंत राम चंद्र परमहंस भी मौजूद थे. उस दिन ही पूरी अयोध्या देशभर से आए कारसेवकों से भर गई थीं. कोई गली, आश्रम, मंदिर, मठ खाली नहीं था. आम लोगों को यही पता था कि आह्वान ये है कि पूरे देशभर से आए कारसेवक सरयू स्नान के बाद एक मुठ्ठी बालू लेकर बाबरी मस्जिद के आगे बने चबूतरे पर डालेंगे और निकल जाएंगे, लेकिन 6 दिसंबर को कुछ और ही हुआ था.

अचानक से उठ खड़े हुए थे सैकड़ों लोग : अनिल राय बताते हैं कि हनुमान बाग में जब ये बैठक चल रही थी तो उसमें शामिल होने के लिए लाखों की संख्या में रामभक्त शमिल हुए थे. उस समय मंच से आयोजकों के भाषण चल रहे थे. आयोजकों के भाषण इतने ओजस्वी थे कि वहां से अचानक से लगभग सौ की संख्या में लोग उठ खड़े हुए और बाबरी मस्जिद की तरफ बढ़ चले थे. अचानक से बढ़ी इस भीड़ के चलने को कोई समझ नहीं सका. पुलिस ने इन लोगों को रोकने की कोशिश की. पुलिस को रोकते देख 500 के करीब और लोग उठ खड़े हुए. इसके बाद जैसे-जैसे लोगों को रोका जाने लगा तब लाखों लोगों की भीड़ उस ओर बढ़ चली थी.

एक दिन पहले की बैठक काफी निर्णायक थी.
एक दिन पहले की बैठक काफी निर्णायक थी.

लाखों की संख्या में भीड़ हो गई थी बेकाबू : वे बताते हैं कि इतनी भीड़ को रोकना आसान नहीं था. ये भीड़ बैरिकेडिंग और लोहे की रेलिंग को तोड़ती हुई उस पर चढ़कर आगे बढ़ गई. इसके बाद विध्वंस का कार्य हो गया. लाखों की संख्या में कारसेवकों ने इस काम में अपनी भागीदारी दी थी. ऐसे में सुरक्षा में लगा पुलिस बल इस भीड़ को संभाल न सका. पुलिस कर्मी खुद को बचाते हुए इधर उधर छिपने लगे. इसके बाद 6 दिसम्बर को कर्फ्यू जरूर लगा, लेकिन डर तब भी बना हुआ था. माहौल ऐसा था कि कुर्ता पायजामा में पुलिस घूम रही थी कि कहीं वर्दी में होने पर हमला न हो जाए.

5 पांच दिसंबर को हनुमान बाग में हुई थी बैठक.
5 पांच दिसंबर को हनुमान बाग में हुई थी बैठक.



5 तारीख की थी अहम भूमिका : आज जब रामलला मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं तो अयोध्या में हर तरफ खुशी का माहौल है. मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है. इस तारीख के आने से पहले की कुछ तारीखों ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी. उन्हीं तारीखों में से एक 5 दिसंबर की भी तारीख थी. 6 दिसंबर की घटना इसी बैठक का परिणाम थी. अयोध्या की धरती पर भगवान राम के लिए हुए इस संघर्ष की कहानी में इसकी भी महत्वपूर्ण भूमिका है. पूर्व पुलिस अधिकारी अनिल राय बताते हैं कि अगर उस दिन की बैठक के बाद और लाखों राम भक्तों के साथ संबोधन का कार्यक्रम न होता तो ऐसा माहौल न बन पाता.

कहां है हनुमान बाग? : हनुमान बाग में ही बाबरी विध्वंस की पटकथा तैयार हो गई थी. हालांकि कहा यह भी जाता है कि यह पूर्व नियोजित तैयारी नहीं थी. हनुमान बाग की अगर बात करें तो यह अयोध्या में ही स्थित है. यहां स्थित प्रसिद्ध हनुमान गढ़ी से लगभग एक किलोमीटर आगे आने पर आपको दाहिनी तरफ हनुमान बाग के लिए जाने का रस्ता मिलेगा. इस रास्ते पर करीब एक किलोमीटर चलने पर आपको हनुमान बाग मिल जाएगा. यही वो स्थान है जहां पर 5 दिसंबर को बैठक अयोजित की गई थी. अगले दिन विवादित ढांचे को गिरा दिया गया था.

यह भी पढ़ें : अयोध्या में स्वर्ग से आए थे किन्नर, रामलला के लिए गाया था सोहर, अब मांगेंगी नेग

हनुमान बाग में हुई थी अहम बैठक.

अयोध्या : रामनगरी में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. करोड़ों रामभक्तों का सपना साकार होने जा रहा है. विवादित ढांचे को ढहाने से लेकर राम मंदिर आंदोलन तक की कई कहानियां सुर्खियों में रहीं हैं. सन 1992 में राम मंदिर के लिए अहम पटकथा तैयार होनी शुरू हो गई थी. इसी साल छह दिसंबर को कारसेवकों ने विवादित ढांचे को ढहा दिया. इसकी प्लानिंग घटना के एक दिन पहले यानी 5 दिसंबर को यहां हुई बैठक में बनी थी. पढ़िए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

राम मंदिर का बनना इतना आसान नहीं था. इसके लिए लगभग 500 साल से अधिक का संघर्ष रहा है. इस संघर्ष को एक नई दिशा तब मिली जब 1992 में बाबरी मस्जिद (विवादित ढांचे) का विध्वंस कर दिया गया. इस काम को करने के लिए पहले से कोई योजना नहीं थी. यह तो अचानक से बनी और पूरी कर ली गई. इस योजना को हनुमान बाग मैदान में बनाया गया था. आज हम आपको बताने जा रहे हैं उस अचानक से बनी पूरी योजना के बारे में. आज जब राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है और रामलला अपने महल में विराजमान होने जा रहे हैं. ऐसे में राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत के बारे में भी जानना जरूरी हो जाता है.

यहां हुई थी अहम बैठक.
यहां हुई थी अहम बैठक.

पांच दिसंबर को हुई थी गुप्त बैठक : रिटायर पुलिस अधिकारी अनिल राय के मुताबिक, 6 दिसंबर से एक दिन पहले यानी 5 दिसंबर को अयोध्या में हनुमान बाग में एक गुप्त बैठक हुई थी. इसमें विश्व हिंदू परिषद और भाजपा के तत्कालीन दिग्गज नेता मौजूद थे. उस बैठक में सीएम योगी के गुरु और तत्कालीन गोरक्षनाथ मठ के महंत अवैद्यनाथ और दिगंबर अखाड़ा के महंत राम चंद्र परमहंस भी मौजूद थे. उस दिन ही पूरी अयोध्या देशभर से आए कारसेवकों से भर गई थीं. कोई गली, आश्रम, मंदिर, मठ खाली नहीं था. आम लोगों को यही पता था कि आह्वान ये है कि पूरे देशभर से आए कारसेवक सरयू स्नान के बाद एक मुठ्ठी बालू लेकर बाबरी मस्जिद के आगे बने चबूतरे पर डालेंगे और निकल जाएंगे, लेकिन 6 दिसंबर को कुछ और ही हुआ था.

अचानक से उठ खड़े हुए थे सैकड़ों लोग : अनिल राय बताते हैं कि हनुमान बाग में जब ये बैठक चल रही थी तो उसमें शामिल होने के लिए लाखों की संख्या में रामभक्त शमिल हुए थे. उस समय मंच से आयोजकों के भाषण चल रहे थे. आयोजकों के भाषण इतने ओजस्वी थे कि वहां से अचानक से लगभग सौ की संख्या में लोग उठ खड़े हुए और बाबरी मस्जिद की तरफ बढ़ चले थे. अचानक से बढ़ी इस भीड़ के चलने को कोई समझ नहीं सका. पुलिस ने इन लोगों को रोकने की कोशिश की. पुलिस को रोकते देख 500 के करीब और लोग उठ खड़े हुए. इसके बाद जैसे-जैसे लोगों को रोका जाने लगा तब लाखों लोगों की भीड़ उस ओर बढ़ चली थी.

एक दिन पहले की बैठक काफी निर्णायक थी.
एक दिन पहले की बैठक काफी निर्णायक थी.

लाखों की संख्या में भीड़ हो गई थी बेकाबू : वे बताते हैं कि इतनी भीड़ को रोकना आसान नहीं था. ये भीड़ बैरिकेडिंग और लोहे की रेलिंग को तोड़ती हुई उस पर चढ़कर आगे बढ़ गई. इसके बाद विध्वंस का कार्य हो गया. लाखों की संख्या में कारसेवकों ने इस काम में अपनी भागीदारी दी थी. ऐसे में सुरक्षा में लगा पुलिस बल इस भीड़ को संभाल न सका. पुलिस कर्मी खुद को बचाते हुए इधर उधर छिपने लगे. इसके बाद 6 दिसम्बर को कर्फ्यू जरूर लगा, लेकिन डर तब भी बना हुआ था. माहौल ऐसा था कि कुर्ता पायजामा में पुलिस घूम रही थी कि कहीं वर्दी में होने पर हमला न हो जाए.

5 पांच दिसंबर को हनुमान बाग में हुई थी बैठक.
5 पांच दिसंबर को हनुमान बाग में हुई थी बैठक.



5 तारीख की थी अहम भूमिका : आज जब रामलला मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं तो अयोध्या में हर तरफ खुशी का माहौल है. मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है. इस तारीख के आने से पहले की कुछ तारीखों ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी. उन्हीं तारीखों में से एक 5 दिसंबर की भी तारीख थी. 6 दिसंबर की घटना इसी बैठक का परिणाम थी. अयोध्या की धरती पर भगवान राम के लिए हुए इस संघर्ष की कहानी में इसकी भी महत्वपूर्ण भूमिका है. पूर्व पुलिस अधिकारी अनिल राय बताते हैं कि अगर उस दिन की बैठक के बाद और लाखों राम भक्तों के साथ संबोधन का कार्यक्रम न होता तो ऐसा माहौल न बन पाता.

कहां है हनुमान बाग? : हनुमान बाग में ही बाबरी विध्वंस की पटकथा तैयार हो गई थी. हालांकि कहा यह भी जाता है कि यह पूर्व नियोजित तैयारी नहीं थी. हनुमान बाग की अगर बात करें तो यह अयोध्या में ही स्थित है. यहां स्थित प्रसिद्ध हनुमान गढ़ी से लगभग एक किलोमीटर आगे आने पर आपको दाहिनी तरफ हनुमान बाग के लिए जाने का रस्ता मिलेगा. इस रास्ते पर करीब एक किलोमीटर चलने पर आपको हनुमान बाग मिल जाएगा. यही वो स्थान है जहां पर 5 दिसंबर को बैठक अयोजित की गई थी. अगले दिन विवादित ढांचे को गिरा दिया गया था.

यह भी पढ़ें : अयोध्या में स्वर्ग से आए थे किन्नर, रामलला के लिए गाया था सोहर, अब मांगेंगी नेग

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.