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अयोध्या में इंडोनेशिया की रामलीला का मंचन, राम नगरी को निहार गदगद हुए विदेशी कलाकार

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Published : Oct 27, 2019, 7:55 PM IST

राम नगरी को निहार गदगद हुए विदेशी कलाकार

पिछले 3 दिनों से अयोध्या में चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम का छोटी दीपावली के अवसर पर समापन हो गया. इस आयोजन में इंडोनेशिया की रामलीला का मंचन किया गया. इंडोनेशिया की रामलीला और उससे जुड़े मान्यताओं को लेकर ईटीवी भारत के साथ इंडोनेशिया के कलाकार कोकोर्दा पूत्रा ने बातचीत की.

अयोध्या: पिछले 3 दिनों से जिले में चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम का छोटी दीपावली के अवसर पर समापन हो गया. कला एवं संस्कृति विभाग की ओर से कराए जा रहे इस आयोजन में कुल 6 शैलियों की विदेशी रामलीला का मंचन किया गया, जिसमें इंडोनेशिया की रामलीला भी शामिल है. इंडोनेशिया की रामलीला और ससे जुड़े मान्यताओं को लेकर ईटीवी भारत के साथ इंडोनेशिया के कलाकार कोकोर्दा पूत्रा ने बातचीत की.

राम नगरी को निहार गदगद हुए विदेशी कलाकार.

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रामलीला मंचन कलाकार कोकोर्दा पूत्रा का कहना है कि इंडोनेशिया ऐसा देश है जहां इस्लाम को मानने वाले अधिक लोग हैं. इसके बावजूद वहां रामलीला को प्राथमिकता दी जाती है. जो अपनी एक सांस्कृतिक पहचान भी बना चुकी है. उनका कहना है कि इंडोनेशिया समेत अन्य देशों में रामलीला का मंचन मास रामायण के नाम से करते हैं. कलाकार अपनी प्रस्तुति देते समय जब पौराणिक परिधान में होते हैं तो उनमें एक अलग तरीके की एनर्जी दिखती है.

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पूत्रा का कहना है कि अयोध्या आकर उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है. यहां के लोग और संस्कृति उनके देश से काफी मिलती-जुलती है. माना जाता है कि रामायण का इंडोनेशियाई संस्करण सातवीं शताब्दी के दौरान मध्य जावा में लिखा गया. यहां राजवंश का शासन था. वहीं, इतिहास कारों का मानना है कि रामायण के किष्किंधा कांड में वर्णन है कि कविराज सुग्रीव ने सीता की खोज में पूर्व की तरफ रवाना हुए दूतों को दीप और स्वर्णदीप जाने का आदेश दिया था. आज यह जावा और सुमात्रा द्वीप हैं.

Intro:अयोध्या: रामकथा इंडोनेशिया की विरासत का अभिन्न हिस्सा बन चुका है. बहुत लोग ऐसे हैं जिन्हें यह सुनकर आश्चर्य होगा. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इंडोनेशिया वह देश है. जहां कुल आबादी का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा मुस्लिम है. इंडोनेशिया की यह खूबी उसे अन्य मुस्लिम देशों से अलग बनाती है. यह कहना है इंडोनेशिया से अयोध्या पहुंचे रामलीला मंचन के कलाकार कोकोर्दा पूत्रा का.


Body:पिछले 3 दिनों से अयोध्या में चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम का छोटी दीपावली के अवसर पर समापन हो गया. कला एवं संस्कृति विभाग की ओर से कराए जा रहे इस आयोजन में कुल 6 सहेलियों की विदेशी रामलीला का मंचन किया गया. जिसमें इंडोनेशिया की रामलीला भी शामिल है. इंडोनेशिया की रामलीला और उससे जुड़े मान्यताओं को लेकर ईटीवी भारत ने इंडोनेशिया के कलाकार को कोकोर्दा पूत्रा से बातचीत की.


Conclusion:रामलीला मंचन कलाकार कोकोर्दा पूत्रा ने बताया कि इंडोनेशिया ऐसा देश है जहां इस्लाम को मानने वाले अधिक लोग हैं, लेकिन इसके बावजूद वहां रामलीला को प्राथमिकता दी जाती है. उनका कहना है कि सांस्कृतिक पहचान भी बन चुका है. पूत्रा ने बताया कि अयोध्या आकर उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है. यहां के लोग और संस्कृति उनके देश से काफी मिलती-जुलती है. कोत्राया ने बताया कि इंडोनेशिया समेत अन्य देशों में रामलीला का मंचन मास रामायण के नाम से करते हैं. वे बताते हैं कि कलाकार अपनी प्रस्तुति देते समय जब पौराणिक परिधान में होते हैं तो उनमें एक अलग तरीके की एनर्जी दिखती है.

माना जाता है कि रामायण का इंडोनेशियाई संस्करण सातवीं शताब्दी के दौरान मध्य जावा में लिखा गया यहां मैदान राजवंश का शासन था. वहीं इतिहास कारों का मानना है कि रामायण की किष्किंधा कांड में वर्णन है कि कविराज सुग्रीव ने सीता की खोज में पूर्व की तरफ रवाना हुए दूतों को यह दीप और स्वर्णदीप जाने का आदेश दिया था. माना जाता है कि आज यह जावा और सुमात्रा द्वीप हैं.

बाइट- कोकोर्दा पूत्रा, मास रामलीला कलाकार, इंडोनेशिया


मुकेश पांडेय
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