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Raksha Bandhan 2023: अयोध्या के पुजारी से जानिए रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त, बहनें कब भाइयों को बांधे राखी

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 29, 2023, 5:52 PM IST

Updated : Aug 29, 2023, 6:14 PM IST

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास
राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास

भाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन को लेकर इस बार भ्रम की स्थिति है. ऐसे में लोग रक्षाबंधन पर्व की सही तिथि को लेकर भ्रम में है.ऐसे में राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास से जानिए रक्षा बंधन का सुभ मुहूर्त?

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बोले.

अयोध्या: भाई बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व रक्षा बंधन हर साल सावन महीने पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार पूर्णिमा 30 अगस्त को है. लेकिन इस वर्ष भद्रा नक्षत्र के चलते पर्व को मनाने की सही तिथि और मुहूर्त को लेकर आम जनमानस में भ्रम की स्थिति है. इस पर्व को लेकर श्री राम जन्मभूमि के मुख्य आचार्य सत्येंद्र दास ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया रक्षाबंधन का सही मुहूर्त के बारे में बताया.


30 और 31 अगस्त के दिन बहने बांध सकती हैं राखी
श्री राम जन्मभूमि के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व 30 अगस्त को मनाया जा रहा है. लेकिन प्रातः काल ही भद्रा लग रही है. इसलिए भद्रा काल में राखी बांधना निषेध है. इसलिए 30 अगस्त की सुबह से लेकर शाम तक बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांधें. वहीं, शाम 8 बजकर 11 मिनट से लेकर रक्षा बंधन बांधने का कार्यक्रम किया जा सकता है. हालांकि वेदों के के अनुसार सायंकाल रक्षाबंधन कार्यक्रम को उचित नहीं माना जाता है. ऐसी स्थिति में 31 अगस्त की सुबह 7 बजकर 31 से पहले भी बहने अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं. यह समय भी रक्षाबंधन के मुहूर्त के अंतर्गत ही है.

पुरोहित समाज भी अपने यजमान को बांधते हैं राखी
आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि रक्षा बंधन सिर्फ एक त्यौहार नहीं है बल्कि एक प्रतिज्ञा है. जब भाई अपनी बहन को एक प्रतिज्ञा देता है कि वह आजीवन अपनी बहन की सुरक्षा करता है. लेकिन परंपरा में यह भी है कि पुरोहित समाज भी अपने यजमान को रक्षा सूत्र बंधन बांधते हैं. इसके पीछे पौराणिक मान्यता है कि महाराज बलि को भी भगवान वामन ने रक्षा सूत्र बंधन बांधा था. तब से यह प्रथा चल आ रही है. पुरोहित समाज भी अपने यजमान को रक्षा सूत्र बंधन बांधते हैं.



सावन पूर्णिमा पर अयोध्या में दर्शन-पूजन का विशेष महत्व
श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के ने बताया कि पूर्णिमा का अर्थ होता है पूरा. इस दिन जो भी श्रद्धालु रामनगरी में सरयू स्नान कर भगवान का दर्शन करते हैं. उनके जन्म जन्मांतर के सभी कष्ट और पाप पूर्ण रूप से समाप्त हो जाते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन पूर्णिमा के दिन मां सरयू का दर्शन करने मात्र से ही जन्म-जन्मांतर के कष्ट और पाप मिट जाते हैं. इसी मान्यता के चलते लाखों की संख्या में श्रद्धालु सावन पूर्णिमा के दिन अयोध्या दर्शन और पूजन के लिए आते हैं.


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Last Updated :Aug 29, 2023, 6:14 PM IST
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