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AMU में बोलीं मेधा पाटकर, 'युवाओं ने ही आंदोलनों का नेतृत्व किया है'

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Published : Jan 13, 2020, 3:35 AM IST

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सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और इरपान हबीब.

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में सीएए और एनआरसी को समझाने के लिए पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और इतिहासकार इरफान हबीब ने हिस्सा लिया. इस दौरान मेधा पाटकर ने कहा कि युवाओं ने ही आंदोलनों का नेतृत्व किया है.

अलीगढ़: जिले में सीएए, एनआरसी और एनपीआर को समझाने के लिए जवाहर लाल मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर मैदान पर पैनल डिश्कशन का आयोजन किया गया, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और इतिहासकार इरफान हबीब ने भाग लिया.

मामले की जानकारी देतीं मेधा पाटकर.

इस मौके पर मेधा पाटकर ने कहा कि एएमयू में जो हुआ है, उसे सुनकर हैरान हूं. उन्होेंने कहा कि ऐतिहासिक विश्वविद्यालय शिक्षा का केंद्र है, लेकिन इस पर लक्ष्य बनाकर हमला किया गया.

मेधा पाटकर ने कहा कि युवाओं ने ही राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया है. मेधा पाटकर ने कहा कि सीएए नोटिफाई हो गया, लेकिन जनता की कोर्ट में हारते जा रहे हैं. क्योंकि सांसदों के बनाये कानून जनवादी नहीं होते हैं. सीएए, एनआरसी और एनपीआर का विरोध करना चाहिए. संविधान के बुनियादी अधिकारों को कुचला जा रहा है, इसीलिये विरोध करना चाहिए. .

मुस्लिम महिलाएं भी आंदोलन में शामिल
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि यूपी में हिंसा का नाच देखा है. आज भी सैकड़ों लोग गिरफ्तार हैं. अज्ञात के नाम पर झूठे आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज किये गये हैं. आज मुस्लिम महिलाएं भी सामने आ कर आंदोलन में शामिल हो रही हैं.

मेधा पाटकर ने कहा कि जो असम में हुआ, इससे अन्य राज्यों में और बदतर हालात होगें. सब को कटघरे में खड़ा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने जो धरना सत्याग्रह आंदोलन चलाया है, उसका स्वागत करते हैं. वाइस चांसलर या शिक्षक साथ दें या न दें. लेकिन आम जनता और जन आंदोलनों का समन्वय उनके साथ है.

उन्होंने कहा कि अहिंसक तरीके से सत्याग्रह करेंगे. 25 जनवरी की मध्यरात्रि मशाल जुलूस निकालकर पूरे देश में झंडा फहराने का काम किया जाएगा. वहीं 30 जनवरी को अहिंसा दिवस मनाया जाएगा.

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एनआरसी को लेकर पूरे देश भर में प्रोटेस्ट हो रहा है. देश के विश्वविद्यालयों में छात्रों पर जो हमला हुआ है, उसके खिलाफ लोग आवाज उठा रहे हैं. जेएनयू में छात्रों को जो दोषी ठहराया गया है, वह पुलिस ने ठहराया है, लेकिन जनता सब जानती है. आवाज विश्वविद्यालय से ही उठती है. सभी लोग इसमें शरीक हो.
-इरफान हबीब, इतिहासकार

Intro:अलीगढ़ : अलीगढ़ में एनआरसी ,सीएए व एनपीआर को समझाने के लिये जवाहर लाल मेडिकल कालेज के ट्रामा सेंटर मैदान पर पैनल डिस्कसन का आयोजन किया गया. जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर व इतिहासविद् इरफान हबीब ने भाग लिया. इस मौके पर मेधा पाटकर ने कहा कि एएमयू में जो हुआ है उसे सुनकर हैरान है. ऐतिहासिक विश्वविद्यालय शिक्षा का केंद्र है लेकिन इस पर लक्ष्य बनाकर हमला किया गया. उन्होंने युवा दिवस पर युवाओं की ऊर्जा व आंदोलन पर नाज करते है. उन्होंने कहा कि युवाओं ने ही राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया है. मेधा पाटकर ने कहा कि सीएए नोटिफाई हो गया. लेकिन जनता की कोर्ट में हारते जा रहे हैं. क्योंकि सांसदों के बनाये कानून जनवादी नहीं होते हैं. उन्होंने  कहा कि सीएए, एनआरसी व एनपीआर का विरोध करना चाहिए.  संविधान के बुनियादी अधिकारों को कुचला जा रहा है. इसीलिये विरोध करना चाहिए. एनपीआर के बदले नेशनल पीपल रजिस्टेंस खड़ा हुआ है. इस आंदोलन को व्यापक विचारधारा के तहत आगे बढ़ाना है. 





Body:उन्होंने कहा कि  यूपी में  हिंसा का नाच देखा है. आज भी सैकड़ों लोग गिरफ्तार हैं. अज्ञात के नाम पर झूठे आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज किये गये हैं. आज मुस्लिम महिलाएं भी सामने आ कर आंदोलन में शामिल हो रही हैं. उन्होंने कहा कि जो आसाम में हुआ और अन्य राज्यों में और बदतर हालात होगें. सब को कटघरे में खड़ा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने जो धरना सत्याग्रह आंदोलन चलाया है उसका स्वागत करते हैं. वाइस चांसलर या शिक्षक साथ दे या ना दे. लेकिन आम जनता और जन आंदोलनों का समन्वय उनके साथ है. उन्होंने कहा कि अहिंसक तरीके से सत्याग्रह करेंगे. 25 जनवरी की मध्यरात्रि मशाल जुलूस निकालकर पूरे देश में झंडा फहराने का काम किया जाएगा. वहीं 30 जनवरी को अहिंसा दिवस मनाया जाएगा. 



Conclusion:इतिहासविद् इरफान हबीब ने कहा एनआरसी को लेकर पूरे देश भर में प्रोटेस्ट हो रहा है. देश के विश्वविद्यालयों में छात्रों पर जो हमला हुआ है. उसके खिलाफ लोग आवाज उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जेएनयू में छात्रों को जो दोषी ठहराया गया है. वह पुलिस ने ठहराया है. लेकिन  जनता सब जानती है. एएमयू खुलने के बारे में प्रोफेसर इरफान हबीब ने कहा कि आवाज विश्वविद्यालय से ही उठती है. सभी लोग इसमें शरीक हो. 


बाइट - मेधा पाटकर , सामाजिक कार्यकर्ता 
बाइट - इरफान हबीब , इतिहासविद् 

आलोक सिंह, अलीगढ़ 


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