अलीगढ़: जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के नाम से टीबी मरीजों को गोद लेने और जिला समन्वयक को पांच हजार और दस हजार रुपये की धनराशि जमा करने के लेटर को जिला प्रशासन ने फर्जी बताया है. इसको लेकर जिला सूचना अधिकारी ने बताया कि यह भ्रामक और सत्य से परे है. जिला सूचना अधिकारी संदीप कुमार की तरफ से जानकारी दी गई कि यह हरकत किसी असामाजिक तत्व द्वारा की गई है और दोनों अधिकारियों द्वारा इस तरह का कोई पत्र जारी नहीं किया गया है. उन्होंने इस पत्र का खंडन किया है. वहीं, घटना को लेकर जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को थाने में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है.
दरअसल, 9 सितंबर का लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें जिलाधिकारी का लेटर पैड है और यह निजी चिकित्सकों, क्लीनिक और हॉस्पिटलों के लिए है. इस लेटर में आदेश किया गया है कि राष्ट्रीय टीवी उन्मूलन के अंतर्गत राज्यपाल के टीवी मरीजों को गोद लेने के कार्यक्रम के अंतर्गत समस्त चिकित्सकों को स्वेच्छा से कम से कम दो मरीज गोद लेने को कहा गया है. गोद लेने के अंतर्गत मरीज को पौष्टिक आहार चना, सोयाबीन, मूंगफली, प्रोटीनेक्स और हॉर्लिक्स के डिब्बे निरंतर 6 माह तक उपलब्ध कराने को कहा गया. यदि उक्त सामग्री में धनराशि पांच हजार और दस हजार रुपये प्रति मरीज के हिसाब से 6 माह के कोर्स तक जिला समन्वयक विवेक चौहान को उपलब्ध कराकर अपनी रसीद प्राप्त करें, ताकि जमा रसीद से पौष्टिक पोटली का वितरण जिलाधिकारी कार्यालय में एक निश्चित समय तक समस्त टीवी रोगियों को किया जा सकें.
इस संबंध में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तर प्रदेश के शासनादेश का हवाला भी दिया गया. वही, गोद नहीं लेने पर निजी चिकित्सक, अस्पताल और क्लीनिक का रिनुअल और रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाएगा. भारतीय दंड विधान आईपीसी की धारा 279 और 270 के अंतर्गत कार्रवाई अमल में लाई जाने की बात भी कही गई है. जिलाधिकारी के लेटर पैड पर सीएमओ और जिलाधिकारी दोनों के सिग्नेचर भी किए गए हैं. वहीं, जिला सूचना अधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि जिलाधिकारी और सीएमओ की तरफ से जारी पत्र पूरी तरह से भ्रामक व सत्य से परे और निराधार है. उन्होंने बताया कि एक सफेद शर्ट पहने व्यक्ति की यह हरकत संज्ञान में बताई जा रही है, जिसकी पहचान जल्द की जाएगी. वहीं, जिलाधिकारी इद्र विक्रम सिंह ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी नीरज त्यागी को प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.
केके हॉस्पिटल के संचालक द्वारा वीडियो क्लिपिंग जिला प्रशासन के माध्यम से जारी की गई है. इसमें सफेद शर्ट में डॉक्टर के पास बैठे शख्स को संदिग्ध माना गया है और यह जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का फर्जी लेटर लेकर निजी डॉक्टर के पास पहुंच रहा है. इस मामले में सीएमओ नीरज त्यागी द्वारा बताया गया कि यह पत्र निराधार है और इस पत्र के माध्यम से निजी चिकित्सकों से धन उगाही का प्रयास किया जा रहा है. जैसे ही मामला संज्ञान में आया थाना क्वार्सी में कार्रवाई प्रचलित की गई.
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