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ताजमहल, आगरा किला और मथुरा-वृंदावन के मंदिरों के 'हवाई दर्शन' में रोड़ा, जानिए वजह

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Published : Mar 11, 2023, 9:01 PM IST

ताजमहल समेत कई दर्शनीय स्थलों के हेलीकॉप्टर से हवाई दर्शन में रोड़ा लग गया है. आखिर इसकी वजह क्या है चलिए जानते हैं.

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आगरा: आगरा किला, ताजमहल और मथुरा-वृंदावन के मंदिरों के उड़नखटोले (हेलीकॉप्टर) से 'हवाई दर्शन' में एक बार फिर अडंगा लग गया है. चार साल में आगरा और मथुरा में करोड़ों रुपए की लागत से हेलीपैड बनकर लगभग तैयार हैं मगर, हेलीकॉप्टर सेवा संचालन के लिए कंपनियां नहीं आ रही हैं. उत्तर प्रदेश पर्यटन निगम की ओर से हेलीकॉप्टर का संचालन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर होना है. इसकी टेंडर प्रक्रिया में पहले पांच कंपनियों में से एक कंपनी शामिल हुई जिससे 'हवाई दर्शन' अटक गया है.

यह बोले पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक.

लखनऊ में अब कैबिनेट स्तर पर मंथन हो रहा है. क्या करना है? फिर से टेंडर प्रक्रिया होनी है या कोई और कदम उठाया जाना है. ताजनगरी में पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटकों का रोमांच दोगुना करने के लिए चार साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने हेलीपोर्ट प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था जिससे आगरा आने वाले पर्यटक ताजमहल सहित अन्य तमाम स्मारकों का उड़नखटोले से 'हवाई दीदार' कर सकें.


योगी सरकार ने आगरा और मथुरा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पहली बार सन् 2017-18 में आगरा को लेकर हेलीपोर्ट प्रोजेक्ट तैयार किया था. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और इनर रिंग रोड (यमुना एक्सप्रेस वे) के पास गांव मदरा में 5 एकड़ से ज्यादा जमीन अधिकृत की गई. तब 4.95 करोड़ रुपए में हेलीपैड बनाने की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी विभाग को दी गई. 9 जनवरी-2019 को पीएम मोदी ने कोठी मीना बाजार मैदान की जनसभा से हेलीपैड प्रोजेक्ट का विधिवत शिलान्यास किया था. तब अक्टूबर-2020 में हेलीपैड बनकर तैयार होना था.


योगी सरकार की मंशा आगरा के एत्मादपुर तहसील के गांव मदरा में बने हेलीपैड और मथुरा के वृंदावन में हेलीपैड से हेलीकॉप्टर सेवा का संचालन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल करने की है इसलिए, उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने हेलीपैड से हेलीकॉप्टर सेवा के संचालन के लिए कंपनियों से टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने के लिए नाम मांगे थे. इसमें पांच कंपनियां फ्लाई ब्लेड, राजस एडवेंचर, ओएसिस, शौर्या एयरोनोटिक्स और श्रीरिशा टेक्नोलॉजी शॉर्टलिस्ट की गई थी.


उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक अविनाश कुमार मिश्रा का कहना है कि, मुख्यालय से यह जानकारी मिली है कि, अभी पीपीपी मॉडल पर हेलीकॉप्टर सेवा संचालन करने के लिए तकनीकी और फाइनेंशियल इवैल्यूएशन में कम कंपनियां शामिल हुई हैं. इसलिए इस पर मंथन किया जा रहा है. फिर से टेंडरिंग की जाए या कोई और फैसला लिया जाए ? यदि री-टेंडर किया जाता है तो मार्च लास्ट तक कुछ हो पाएगा.

डीजीसीए का अनुमति पत्र जरूरी
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक अविनाश कुमार मिश्रा का कहना है कि आगरा और मथुरा में हेलीकॉप्टर सेवा संचालन के लिए जो कंपनी सबसे ज्यादा बोली लगाएगी उसे ही पीपीपी मोड पर हेलीकॉप्टर सेवा संचालन की अनुमति दी जाएगी. हेलीकॉप्टर सेवा के संचालन में जो कंपनी चयनित होगी उसे हवाई दर्शन की अनुमति संबंधित सभी प्रक्रियाएं पूरी करनी होगी. इसमें हेलीकॉप्टर की उड़ान को डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) की अनुमति भी शामिल है.

पहले इसलिए अटका था निर्माण कार्य
दरअसल, आगरा में हेलीपैड बनाने की डीपीआर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के लखनऊ मुख्यालय से तैयार की गई थी. इस डीपीआर में फायर फाइटिंग सिस्टम अप-टू-डेट नहीं था. 2021 में लखनऊ को नया एस्टीमेट बनाकर भेजा गया था. इस एस्टीमेट से हेलीपैड बनाने की लागत 4.95 करोड़ रुपए से बढ़कर 7.9 करोड़ की गई थी मगर, बजट के अभाव के साथ ही सन् 2020 और सन् 2021 में कोरोना संक्रमण के चलते हेलीपैड बनाने का काम रुक गया. फिर, विभाग ने बजट मांगा था. जिससे अधूरा कंस्ट्रक्शन वर्क पूरा कराया जाएगा. मगर, सरकार ने पीपीपी मॉडल पर हेलीपैड संचालन करने वाली फर्म को पैसा खर्च नहीं करना है.

एक नजर

1. 5 एकड़ से ज्यादा जमीन पर बनाया जा रहा है हेलीपोर्ट.
2. 4.5 करोड रुपए का बजट अब तक जारी किया गया है.
3. 7.9 करोड़ रुपए का रिवाइज्ड एस्टीमेट बनाकर भेजा गया.
4. एक हेलीपैड व हेलीकॉप्टर खड़े करने के लिए दो हैंगर बने.
5. 19 लाख रुपए का बजट पर्यटन विभाग में फिर मांगा है.
6. एडीए और यूपीडा ने हेलीपोर्ट बनाने के लिए जमीन दी है.

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