आगराः कोरोना ने जो तबाही मचाई, वो अभी थम नहीं रही है. कोविड की चपेट में आई दुनियां की अर्थव्यवस्था अभी पटरी पर नहीं लौट पाई है. ऐसे ही जो लोग कोविड की चपेट में आए, उन्हें गंभीर हालत में आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा. जिन मरीजों ने कोविड में लंबे समय तक खून पतला करने की दवा खाई, उन लोगों में नुकसान सामने आ रहे हैं. अब ऐसे मरीजों का खून गाढ़ा हो रहा है, जो ऐसे लोगों में ब्रेन स्ट्रोक वजह बन रहा है. आगरा के एक होटल में आयोजित नेशनल कांफ्रेंस में आए दिल्ली एम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के पूर्व एचओडी प्रोफेसर वीर अर्जुन मेहता(Professor Veer Arjun Mehta) ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने कहा कि, कोविड की चपेट और गंभीर रहे मरीजों में अब ब्रेन स्ट्रोक बढ़ गया है. इसकी मल्टीपल वजहें हैं.
प्रोफेसर वीर अर्जुन मेहता का कहना है कि, कोविड के एक साल बाद लोगों में फेफड़ों की समस्या या अन्य तमाम समस्याएं हो रही हैं. इसकी वजह भी बेहद अहम है. जो कोविड के मरीज रहे हैं, उनमें रक्त का जमाव बढ़ गया है. जिससे ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन हेमरेज (brain stroke and brain hemorrhage) के मामले बढ़ गए हैं, क्योंकि कोविड के दौरान तमाम मरीजों को ब्लड पतला करने के लिए दवाएं दी गई. अब उन दवाओं के नुकसान सामने आ रहे हैं. जिसके चलते ही ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन हेमरेज (brain stroke and brain hemorrhage) के मामले बढ़े हैं.
प्रोफेसर वीर अर्जुन मेहता का कहना है कि, ऐसा नहीं है कि पहले बीमारियां नहीं थी. ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन हेमरेज (brain stroke and brain hemorrhage) के तमाम मामले पहले भी आते थे. लेकिन उस समय इतनी तकनीकी नहीं थी. जैसे-जैसे तकनीकी बढ़ रही है, वैसे-वैसे ही जल्द बीमारियां पकड़ में आ रही हैं और यही वजह है कि, आज बहुत जल्दी ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन हेमरेज के मरीज पकड़ में आ रहे हैं. इलाज के बाद ठीक भी हो रहे हैं.
देश में कम न्यूरो सर्जन
प्रोफेसर वीर अर्जुन मेहता का कहना है कि, देश में न्यूरो सर्जन की कमी है. अगर भारत की बात करें तो 5,000 से ज्यादा ही न्यूरो सर्जन हैं. जिनमें से सबसे ज्यादा न्यूरो सर्जन बड़े महानगर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता समेत अन्य तमाम शहरों में है छोटे शहरों में न्यूरो सर्जन (neuro surgeon) की बहुत कमी है. ग्रामीण क्षेत्र में आज देखा जाए तो ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन हेमरेज के मरीजों की संख्या बढ़ी है, लेकिन वहां पर इस तरह के विशेषज्ञ नहीं है. इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए.
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