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जानिए क्यों खोखली हो रही हैं हड्डियां, खुद को न बदला तो कहीं देर न हो जाए...

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Published : Jul 13, 2022, 8:04 PM IST

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खोखली हो रहीं हड्डियां

इंसान की जीवन शैली में बड़े बदलाव हुए हैं. ऐसे में खानपान का भी स्वरूप बदलता जा रहा है, जिसका सीधा असर हड्डियों पर भी पड़ रहा है. ऐसे में क्या और कैसे परहेज करें, इसे जानने के लिए पढ़ें ये विशेष खबर...

मेरठ: किसी भी स्वस्थ शरीर के लिए अस्थियों (bones) का मजबूत होना बेहद ही जरूरी है. बढ़ती उम्र का हड्डियों पर भी प्रभाव पड़ता है. एक उम्र के बाद माना जाता है कि हड्डियां भी कमजोर होने लग जाती हैं. ऐसे में जरूरी है कि हड्डियां मजबूत रहें, लेकिन बदलते परिवेश और खानपान ने काफी कुछ बदल कर रख दिया है. हड्डी रोग और इससे बचाव के लिए लाला लाजपतराय स्मारक मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के HOD डॉक्टर ज्ञानेध्वर टांक ने जरूरी टिप्स दिए हैं.

बदलते खानपान और घरों में बंद रहने से ओस्टियोमालाशिया के हो रहे लोग शिकार, डॉक्टर ज्ञानेश्वर टांक ने दी जानकारी

डॉक्टर ज्ञानेध्वर टांक का कहना है कि हड्डियों के कमजोर होने की वजह बहुत सी समस्याएं होती हैं. खानपान का भी स्वरूप बदलता जा रहा है, सीधा असर हमारी हड्डियों पर पड़ रहा है. हड्डियों की पावर कम हो रही है.अब घर की रसोई में बने व्यंजन के मुकाबले फास्टफूड को लेकर युवाओं व बच्चों में जबरजस्त क्रेज है. इसके दुष्प्रभाव भी दिख रहे हैं. आउटडोर एक्टिविटी घट गई हैं. रही सही कसर आज के दौर में गैजेट्स ने पूरी कर दी है, घंटो मोबाइल, लैपटॉप और कम्प्यूटर पर बैठकर काम करने से भी Bones से सम्बंधित समस्या उतपन्न हो रही है. अब तो दुर्घटनाओं के दौरान हड्डियां टूटना जैसे आम बात हो गई है.

अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्ञानेध्वर बताते हैं कि पूर्व में बच्चों के फ्रैक्चर होने के चांस बेहद कम होते थे. क्योंकि बच्चों की अस्थियां अधिक फ्लेक्सिबल मानी जाती थीं. लेकिन अब ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें छोटे-छोटे बच्चों की हड्डियां जरा सी लापरवाही होने पर उनके गिरने फिसलने पर भी टूट जा रही हैं. खानपान और एक्टीविटीज में बड़े बदलाव की वजह से हड्डियां कमजोर हो रही हैं. उनमें सहन करने की शक्ति नहीं है. क्योंकि आउटडोर एक्टीविटीज न करने से ऐसा अधिक हो रहा है. बाहर के खाने में कोई निश्चित मात्रा किसी चीज की हो ये जरूरी नहीं है, ऐसे में स्वाद के चक्कर में हम वो सब भी खा रहे हैं जो कि हमें अंदर से कमजोर करता है, अस्थियों को भी खोखला कर रहा है.

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डॉक्टर ज्ञानेश्वर ने बताया कि बीते कुछ वर्षों में ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) और ओस्टियोमालाशिया (Osteomalacia) नामक हड्डियों की बीमारियां ज्यादातर लोगों में पाई जा रही है. अस्थिसुषिरता या ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) हड्डी का एक रोग है. इससे फ्रैक्चर का खतरा अधिक बढ़ जाता है. इसमें अस्थि खनिज घनत्व (BMD) बेहद ही कम हो जाता है. अस्थि सूक्ष्म-संरचना विघटित होती है और अस्थि में असंग्रहित प्रोटीन की राशि और विविधता परिवर्तित होती है.

ओस्टियोमालाशिया (Osteomalacia) में, हड्डी के गठन, हड्डी की निर्माण प्रक्रिया में एक समस्या है. ओस्टियोमालाशिया का मुख्य कारण विटामिन डी के कम अवशोषण के कारण होता है. सामान्य तौर पर ओस्टियोमलेशिया को सामान्य अस्थिमृदुता के नाम से भी जाना जाता है. इसका मतलब होता है हड्डियों का नरम हो जाना, शिशुओं व किशोरों में ओस्टियोमलेशिया की समस्या के कारण आगे जाकर उनकी हड्डियां मुड़ने लग जाती हैं. ओस्टियोमलेशिया के कारण वयस्कों को हड्डियों में फ्रैक्चर होने का खतरा भी काफी अधिक रहता है.

यानी अगर हड्डियों को मजबूत बनाना है तो कुछ आदतों से दूर रहने की जरूरत है. हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए सीजनल फलों ,समेत सीजनल सब्जियों के उपयोग और नित्य योगाभ्यास और व्यायाम व आउटडोर खेलों से हड्डियों को मजबूत बनाया जा सकता है.अस्थि विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि, जितना महत्वपूर्ण किसी भी छात्र के लिए पढ़ना है उतना ही महत्वपूर्ण आहार और खेलना भी है.

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