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भारत के ODI सीरीज हारने के कारणों पर एक नजर

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Published : Jan 24, 2022, 5:39 PM IST

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भारत और साउथ अफ्रीका के बीच टेस्‍ट सीरीज 1-2 से विराट एंड कंपनी की हार के साथ खत्‍म हुई. वनडे सीरीज में केएल राहुल की टीम को 0-3 से क्‍लीन स्‍वीप झेलनी पड़ी.

नई दिल्ली: भारत ने सेंचुरियन टेस्ट को 113 रन से जीतकर दक्षिण अफ्रीका के अपने दौरे की शुरुआत शानदार तरीके से की थी. लेकिन उसके बाद दक्षिण अफ्रीका ने वापसी करते हुए अगले दो टेस्ट जीतकर सीरीज 2-1 से अपने नाम कर ली. एक को उम्मीद थी कि वनडे सीरीज से नतीजों में बदलाव आएगा. लेकिन भारत को वनडे मैचों में भी दक्षिण अफ्रीका ने 3-0 से हरा दिया.

बता दें, जुलाई 2021 के बाद पहली बार वनडे मैच खेलना भारत के लिए अच्छा नहीं रहा. क्योंकि 50 ओवरों के मैच में वह आउट ऑफ फॉर्म लग रहे थे. हम दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वनडे मैचों में भारत की 3-0 से हार के पीछे के कारणों पर प्रकाश डालेंगे.

बल्लेबाजी की वापसी अच्छी नहीं रही:

दोनों टीमों के बल्लेबाजी क्रम पर एक नजर डालने से दक्षिण अफ्रीका और भारत के बीच अंतर साफ दिखाई देगा. सीरीज में सबसे अधिक रन बनाने वाले चार खिलाड़ियों में से तीन मेजबान टीम के थे. क्विंटन डी कॉक ने 76.33 के औसत से 229 रन और 96.62 के स्ट्राइक रेट के साथ एक शतक और एक अर्धशतक के साथ चार्ट में शीर्ष स्थान हासिल किया, 218 रन के साथ दूसरे नंबर पर रस्सी वैन डेर डूसन (श्रृंखला में दो बार नाबाद थे) और 112.95 का स्ट्राइक रेट से एक शतक और एक अर्धशतक जमाया. कप्तान टेम्बा बावुमा ने पहले मैच में एक शतक सहित 51 की औसत और 80.10 की स्ट्राइक रेट से 153 रन बनाए.

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भारत के लिए, शिखर धवन सीरीज में उनके शीर्ष रन बनाने वाले खिलाड़ी थे. 86.66 की स्ट्राइक रेट से 169 रन बनाकर, केवल दो अर्धशतक शामिल हैं. सीरीज में भारत के बल्लेबाज 200 रन बनाने में नाकाम रहे. इसके अलावा, कोई भी भारतीय बल्लेबाज थ्री-फिगर के आंकड़े तक नहीं पहुंचा. जबकि धवन और कोहली ने शुरुआत की, लेकिन इसे बड़ी पारी बनाने में असमर्थ रहे, मध्य क्रम इस अवसर पर टिकने में विफल रहा और भारत की बल्लेबाजी पूरी से फेल साबित हुई. फरवरी में घर में वेस्टइंडीज के खिलाफ एकदिवसीय सीरीज के साथ, भारत बल्लेबाजी में गड़बड़ियों को ठीक करने की उम्मीद कर रहा होगा.

बीच के ओवरों में गड़बड़ी होना:

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारत को बल्लेबाजी में बीच के ओवरों की समस्या है, जो दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एकदिवसीय मैचों में स्पष्ट रूप से देखने को मिली है. पहले एकदिवसीय मैच में उस चरण में दक्षिण अफ्रीका के 171/2 की तुलना में, भारत 148/6 था, जो विकेटों को गिरने से नहीं रोक पाया और इस तरह उतने रन नहीं बना पाया जितना वे चाहते थे.

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ऐसा ही कुछ भारत ने दूसरे एकदिवसीय मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए बीच के ओवरों में 160/5 का स्कोर बनाया. फिर रविवार को 288 रनों का पीछा करते हुए इससे फिर से दोहराया गया, भारत बीच के ओवरों में 160/5 रन बना सका. साथ ही, साझेदारी के मामले में दक्षिण अफ्रीका के पास सीरीज के प्रत्येक मैच में कम से कम तीन अंकों की एक साझेदारी थी, जो भारत ने केवल एक बार (दूसरे वनडे में) किया था.

भारत के स्पिनर्स रहे फेल:

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रविचंद्रन अश्विन की ऑफ स्पिन और युजवेंद्र चहल की लेग स्पिन से काफी उम्मीद थी. लेकिन वे अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके, क्योंकि दक्षिण अफ्रीका के स्पिनरों ने उनसे बेहतर प्रदर्शन किया. साल 2018 में, जहां चहल और कुलदीप यादव ने दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों को बहुत परेशान किया था, यहां प्रोटियाज के स्पिनर भारत के बल्लेबाजों से बेहतर हो रहे थे.

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कुल मिलाकर तबरेज शम्सी, केशव महाराज और एडेन मार्करम की तिकड़ी ने 65 ओवर में 218 रन देकर नौ विकेट लिए. दूसरी ओर, अश्विन, चहल, जयंत यादव और श्रेयस अय्यर के नंबरों को मिलाकर भारत ने 32.1 ओवर में 343 रन देते हुए स्पिन से सिर्फ तीन विकेट लिए. वहीं, गेज गेंदबाजों के मामले में, दक्षिण अफ्रीका ने 15 विकेट लिए, जबकि उसके भारतीय तेज गेंदबाजों को दस विकेट मिल सके. ऐसे में जाहिर है कि स्पिन आक्रमण ने भारत के लिए चमत्कार नहीं किया.

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