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34 साल पहले हुए सैयद मोदी हत्याकांड मामले में हाईकोर्ट का फैसला -शूटर भगवती सिंह उर्फ पप्पू की अपील खारिज

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Published : Jun 29, 2022, 10:50 PM IST

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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 34 साल पूर्व हुए बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी हत्याकांड मामले में गोली मारने के आरोपी भगवती सिंह उर्फ पप्पू की अपील को खारिज करते हुए, उसे ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा है.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 34 साल पूर्व हुए बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी हत्याकांड मामले में गोली मारने के आरोपी भगवती सिंह उर्फ पप्पू की अपील को खारिज करते हुए, उसे ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा है. न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय अपराध की घटना है, जिसमें आठ बार के राष्ट्रीय बैडमिंटन चैम्पियन (Eight time national badminton champion) की जिंदगी को खामोश कर दिया गया. जिसने कई बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व किया था.

यह निर्णय न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने भगवती सिंह की अपील पर पारित किया. इस मामले में कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद और तत्कालीन राज्य सभा सांसद संजय सिंह, अमिता कुलकर्णी मोदी, अखिलेश सिंह, बलई सिंह, अमर बहादुर सिंह, जितेंद्र सिंह उर्फ टिंकू व भगवती सिंह उर्फ पप्पू के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट फाइल किया था. कहा गया था कि सैयद मोदी की पत्नी अमिता मोदी से संजय सिंह के विवाहेत्तर सम्बंध थे. इस सम्बंध में सैयद मोदी रोड़ा बन रहे थे.

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उन्हें रास्ते से हटाने के लिए अभियुक्तों ने आपस में साजिश कर इस वारदात को 28 जुलाई 1988 को अंजाम दिया. घटना की उसी दिन दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया कि केडी सिंह बाबू स्टेडियम से वापस लौटते समय शाम करीब 7:45 पर दो अज्ञात मारूति सवार व्यक्तियों ने सैयद मोदी को गोली मार दी.
हालांकि सत्र अदालत ने संजय सिंह और अमिता मोदी को आरोप पत्र दाखिल होने के बाद ही आरोपों से उन्मोचित (डिस्चार्ज) कर दिया था. सत्र अदालत के इस निर्णय को पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा.

वहीं, अखिलेश सिंह के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोप तय किए जाने को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. अन्य अभियुक्तों में बलई सिंह और अमर बहादुर सिंह की ट्रायल के दौरान हत्या हो गई थी. अपीलार्थी की ओर से दलील दी गई कि घटना कारित करने का जो उद्देश्य अभियोजन ने बताया था. वह संजय सिंह और अमिता मोदी के सम्बंध में था.

उनके डिस्चार्ज के बाद अपीलार्थी के पास कोई वजह नहीं थी, सैयद मोदी की हत्या करने की. न्यायालय ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा है कि डायरेक्ट एविडेंस के मामले में उद्देश्य का सिद्ध होना आवश्यक नहीं है. उल्लेखनीय है कि घटना के सम्बंध में स्टेडियम की कैंटीन के कर्मचारी प्रेमचंद यादव ने अपीलार्थी की पहचान की थी.

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