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स्मारक घोटाला : फिर बीमार पड़े बाबू सिंह कुशवाहा, विजिलेंस को भेजा मेडिकल सर्टिफिकेट

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Published : Aug 4, 2021, 7:45 PM IST

Updated : Aug 4, 2021, 8:59 PM IST

मायावती की बसपा सरकार में हुए 4200 करोड़ के स्मारक घोटाले में विजलेंस ने बीते 19 जुलाई को पूर्व PWD मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी से पूछताछ कर बयान दर्ज किए थे. नसीमुद्दीन के जवाबों के आधार पर विजलेंस ने आगामी 3 अगस्त को तत्कालीन खनन मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा के बयान दर्ज कराने को नोटिस भेजा था.

स्मारक घोटाला
स्मारक घोटाला

लखनऊ : मायावती की बसपा सरकार में लखनऊ और नोएडा में हुए 4200 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले के आरोपी व पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा बीमारी का हवाला देकर तय तारीख (3 अगस्त) पर विजलेंस के समक्ष पेश नहीं हुए.

यह दूसरा मौका है जब तय तारीख पर बाबू सिंह कुशवाहा विजिलेंस के सामने पेश नहीं हुए. बाबू सिंह ने दोनों ही बार मेडिकल सर्टिफिकेट भिजवाया दिया. उनके वकील ने पेश होने के लिए अगली तारीख मांगी है.

फिर बीमार पड़ गए बाबू सिंह कुशवाहा
फिर बीमार पड़ गए बाबू सिंह कुशवाहा

बता दें कि मायावती की बसपा सरकार में हुए 4200 करोड़ के स्मारक घोटाले में विजलेंस ने बीते 19 जुलाई को पूर्व PWD मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी से पूछताछ कर बयान दर्ज किए थे.

नसीमुद्दीन के जवाबों के आधार पर विजलेंस ने आगामी 3 अगस्त को तत्कालीन खनन मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा के बयान दर्ज कराने को नोटिस भेजा था. इससे पहले 20 जुलाई को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. उस समय भी बीमारी का हवाला देकर बाबू सिंह कुशवाहा ने आने से मना कर दिया था.

साथ ही 40 सरकारी अफसरों को भी विजिलेंस ने नोटिस भेजा है. कई के बयान दर्ज हो गए हैं जबकि मंत्री स्तर पर सिर्फ बाबू सिंह कुशवाहा का बयान लेना शेष है.

50 से अधिक सवाल किए तैयार

विजलेंस सूत्रों के मुताबिक, बाबू सिंह कुशवाहा से पूछताछ के लिए स्मारक घोटाले की विवेचना कर रहे अधिकारियों ने 50 से अधिक सवालों की लंबी फेहरिस्त तैयार की थी.

विजिलेंस की जांच में सामाने आया कि 9 जुलाई 2007 को तत्कालीन खनन मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने मीरजापुर सैंड स्टोन के गुलाबी पत्थरों को स्मारकों में लगाने के लिए निर्देश दिए थे.

इनके रेट तय करने के लिए गठित क्रय समिति की बैठक हुई थी. कमेटी ने मिर्जापुर सैंड स्टोन के ब्लॉक खरीदने के लिए कंसोटियम बनाकर 150 रुपये प्रति घन फुट रेट तय किया.

इसमें लोडिंग के लिए बीस रुपये प्रति घनफुट और जोड़कर सप्लाई के रेट तय कर दिए थे. इन दरों के अलावा रॉयल्टी और ट्रेड टैक्स का अतिरिक्त भुगतान किया गया था जबकि उस समय इन पत्थरों का बाजार भाव 50 से 80 रुपये घन फुट से ज्यादा नहीं था.

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अब तक 23 हो चुके गिरफ्तार

2013 स्मारक घोटाला मामले में अब तक 23 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. वहीं, 6 के खिलाफ अक्तूबर, 2020 में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है. विजिलेंस के साथ प्रवर्तन निदेशालय भी मामले में जांच कर रहा है. प्रवर्तन निदेशालय ने स्मारक घोटाले में प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट का मामला भी दर्ज किया था.

इस मामले में लखनऊ में इंजीनियरों और ठेकेदारों की संपत्तियों को कुर्क किया गया था. बीते जुलाई माह में जेल में बंद वीके मुद्गल, एसके त्यागी और कामेश्वर शर्मा को कोर्ट ने जमानत दे दी जबकि कृष्ण कुमार की जेल में रहते हुए ही बीमारी से मौत हो गई थी.

बताया जाता है कि इतने बड़े घोटाले के कर्ताधर्ता इन पूर्व अफसरों के खिलाफ अभियोजन ने कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं किए. इसकी वजह से इन्हें बेल मिल गई. हालांकि, जांच अफसरों का कहना है कि सभी आरोपियों को मेडिकल ग्राउंड पर जमानत मिली है.

लोकायुक्त जांच में हुआ था घोटाले का खुलासा

लखनऊ और नोएडा में स्मारकों के निर्माण में घोटाले की शुरुआती जांच तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस एन.के मेहरोत्रा ने की थी. उन्होंने अपनी रिपोर्ट 20 मई 2013 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंपी थी जिसमें उन्होंने पूर्वमंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबू सिंह कुशवाहा समेत 199 लोगों को जिम्मेदार ठहराया था.

हालांकि, अखिलेश सरकार ने दोनों ही संस्थाओं को जांच न देकर विजिलेंस को जांच सौंप दी. विजिलेंस की जांच इतनी धीमी गति से चलती रही कि चार वर्षों में इसमें कोई प्रगति नहीं हुई. इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट के दखल के बाद विजिलेंस ने जांच पूरी की और अभियोजन की स्वीकृति के लिए प्रकरण शासन को भेजा था. कार्रवाई के नाम पर विजलेंस ने जांच ठंडे बस्ते में डाल दिया.

Last Updated :Aug 4, 2021, 8:59 PM IST
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