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विदेशी कोयले की खरीद को लेकर फेडरेशन ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, हस्तक्षेप की मांग

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Published : Jul 27, 2022, 12:59 PM IST

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ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन

कोयला उत्पादन को लेकर राज्यसभा में केंद्रीय कोयला मंत्री ने एक लिखित जवाब दिया था. इशके बाद ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन ने कहा कि केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने राज्यों के बिजलीघरों पर कोयला आयात करने के लिए अनावश्यक तौर पर अनैतिक दबाव डाला.

लखनऊः बिजली उत्पादन के लिए कोयले की कमी को लेकर चर्चा का बाजार लगातार गर्म है. इसी बीच ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इस पत्र में फेडरेशन ने विदेशी कोयला खरीद मामले में प्रभावी हस्तक्षेप की अपील की है, जिससे केंद्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा राज्यों के बिजलीघरों को जारी 10% कोयला आयात करने के निर्देश को तत्काल निरस्त किया जा सके. फेडरेशन ने प्रधानमंत्री को यह पत्र केंद्रीय कोयला मंत्री के राज्यसभा में दिए गए एक लिखित उत्तर के बाद लिखा है. केंद्रीय कोयला मंत्री ने यह जवाब सदन में 25 जुलाई को दिया था. अपने जवाब में कोयला मंत्री ने देश में कोयले की कमी से इनकार करते हुए कहा था कि देश में कोयले की कोई कमी नहीं है और पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कोयले का उत्पादन 31% बढ़ा है.

कोयला आयातित न करने पर घरेलू आवंटन कम करने का है फरमान
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में लिखा कि सात दिसंबर 2021 को केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने 10% कोयला आयात करने की सलाह दी. इसके बाद 28 अप्रैल 2022 को केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने राज्यों को कोयला आयात के लिए एक समयबद्ध निर्देश दिया. इसमें कहा गया कि कोयला आयात तत्काल प्रारंभ किया जाए. इसकी मात्रा का 50% 30 जून तक, 40% 31 अगस्त तक और शेष 10% 31 अक्टूबर तक आयात करना सुनिश्चित किया जाए. इस निर्देश में यह भी लिखा गया कि जो राज्य 15 जून 2022 तक कोयला आयात करना प्रारंभ नहीं करेंगे. उनका घरेलू कोयले का आवंटन 05% कम कर दिया जाएगा.

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राज्यों के बिजलीघरों पर कोयला आयात का डाला गया दबाव
फेडरेशन के चेयरमैन ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में यह भी कहा कि राज्यसभा में डॉ. सीएम रमेश के एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने साफ तौर पर कहा है कि देश में कोयले का कोई संकट नहीं है. वर्ष 2021-22 में 778.19 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ है. जबकि, वर्ष 2020-21 में 716.083 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ था. इसी प्रकार चालू वित्तीय वर्ष में जून तक 204.876 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ, जो इसी अवधि में पिछले वर्ष 156.11 मिलियन टन कोयले की तुलना में 31% अधिक है. राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री द्वारा दिए गए इस लिखित उत्तर से स्पष्ट हो जाता है कि कोयले का कोई संकट न होते हुए भी राज्यों के बिजलीघरों पर कोयला आयात करने का अनावश्यक और अनैतिक दबाव डाला गया.

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घरेलू की तुलना में 10 गुना महंगा पड़ता है आयातित कोयला
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने अपने पत्र में यह भी कहा कि दबाव से राज्यों को विदेशी कोयला आयात कराया जा रहा है जो घरेलू कोयले की तुलना में लगभग 10 गुना महंगा है. राज्यसभा में केंद्रीय कोयला मंत्री के दिए गए जवाब के बाद अब जरूरी हो गया है कि केंद्रीय विद्युत मंत्रालय कोयला आयात करने संबंधी दिए गए सभी निर्देशों को तत्काल निरस्त करे. राज्यों को कोयला आयात करने के लिए केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने विवश किया. इसलिए आयातित कोयले का पूरा खर्च केंद्रीय विद्युत मंत्रालय को उठाना चाहिए.

आपको बता दें कि जहां डोमेस्टिक कोयले का मूल्य लगभग 2000 रुपये प्रति टन है, वहीं आयातित कोयले का मूल्य लगभग 20000 रुपये प्रति टन है, जिससे बिजली उत्पादन की लागत में लगभग एक रुपये प्रति यूनिट की वृद्धि होगी. इसकी वसूली आम उपभोक्ताओं की जेब से ही की जाएगी.

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