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Whatsapp पर विवादास्पद टिप्पणियों के लिए एडमिन को नहीं जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए : कोर्ट

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Published : Dec 25, 2021, 9:56 PM IST

मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच (Madurai Bench of Madras High Court ) ने कहा है कि व्हाट्सएप ग्रुप (Whatsapp group) पर सदस्यों की विवादास्पद पोस्ट या अपमानजनक टिप्पणियों के लिए ग्रुप एडमिन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए. जानिए क्या है पूरा मामला.

मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच
मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच ने शनिवार को कहा है कि ग्रुप के सदस्यों द्वारा पोस्ट की गई विवादास्पद या अपमानजनक टिप्पणियों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन (WhatsApp Group Admin) को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए.

कोर्ट ने ये टिप्पणी याचिकाकर्ता राजेंद्रन की याचिका पर सुनवाई के दौरान की. पेशे से वकील राजेंद्रन करूर जिले से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने 'करूर लॉयर्स' नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाया और वह खुद ग्रुप एडमिन थे.

ये व्हाट्सएप ग्रुप तब विवादों में आ गया जब किसी ने इस पर विवादास्पद और सांप्रदायिक टिप्पणी पोस्ट कर दी. मामला पुलिस तक पहुंच गया. पुलिस ने ग्रुप एडमिन राजेंद्रन समेत इस ग्रुप से जुड़ कुछ लोगों पर केस दर्ज किया.

याचिकाकर्ता ने ये दिया तर्क
इस पर राजेंद्रन ने मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ का दरवाजा खटखटाया और मामले में अपना नाम हटाने की अपील की. उन्होंने कोर्ट से कहा कि 'जब उन्हें पता चला कि उक्त व्यक्ति विवादास्पद टिप्पणी वाली पोस्ट से बाज नहीं आ रहा है तो उसे ग्रुप से हटा दिया. इसलिए पुलिस को मेरे खिलाफ मामले पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. मैं सिर्फ ग्रुप एडमिन था.'
कोर्ट ने राहत के साथ चेतावनी भी दी
सुनवाई के दौरान जस्टिस जीआर स्वामीनाथन (Justice G.R Swaminathan) ने कहा कि इस मामले पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी, क्योंकि डिजिटल बातचीत की फोरेंसिक रिपोर्ट जमा नहीं की गई है. जज ने यह भी कहा कि ग्रुप में हर समय हर तरह के संचार के लिए ग्रुप एडमिन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए. सदस्यों द्वारा पोस्ट की गई सामग्री को बदलना, संपादित करना और ऑडिट करना भी व्यवस्थापक (एडमिन) का कर्तव्य नहीं था.

न्यायाधीश ने बंबई उच्च न्यायालय के एक फैसले का भी हवाला दिया कि ग्रुप के सदस्य की विवादास्पद टिप्पणियों के लिए व्यवस्थापक को अब जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. हालांकि, न्यायाधीश स्वामीनाथन ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता (ग्रुप एडमिन) को विवादास्पद पोस्ट से जुड़ा नहीं के रूप में पहचाना जाता है, तो उसका नाम पुलिस मामले से बाहर रखा जा सकता है. न्यायाधीश ने यह भी चेतावनी दी कि यदि उक्त विवादास्पद पोस्ट में व्यवस्थापक की संलिप्तता के पर्याप्त सबूत हैं तो उसे भी परिणाम भुगतने होंगे.

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