ETV Bharat / bharat

Fastag से जुड़ा ई-वे बिल, GSTअधिकारी अब जान सकेंगे वाणिज्यिक वाहनों का रीयल टाइम

author img

By

Published : May 20, 2021, 9:03 AM IST

Fastag से जुड़ा ई-वे बिल
Fastag से जुड़ा ई-वे बिल

वस्तु एवं सेवा कर (GST) अधिकारियों को अब राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले वाणिज्यिक वाहनों की आवाजाही की रीयल टाइम का पता लग सकेगा. वाणिज्यिक वाहनों द्वारा लिये जाने वाले ई-वे बिल प्रणाली को अब fastag और RFID के साथ जोड़ दिया गया है.

नई दिल्लीः वस्तु एवं सेवा कर (GST) अधिकारियों को अब राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले वाणिज्यिक वाहनों की आवाजाही के वास्तविक समय की जानकारी भी हासिल होगी. वाणिज्यिक वाहनों द्वारा लिये जाने वाले ई-वे बिल प्रणाली को अब fastag और RFID के साथ जोड़ दिया गया है. इससे वाणिज्यिक वाहनों पर सटीक नजर रखी जा सकेगी और जीएसटी चोरी का पता चल सकेगा.

GST अधिकारियों की ई-वे बिल मोबाइल ऐप में यह नया फीचर जोड़ दिया गया है. इसके जरिये वह ई-वे बिल का वास्तविक ब्योरा जान सकेंगे. इससे उन्हें कर चोरी करने वालों को पकड़ने और ई-वे बिल प्रणाली का दुरुपयोग करने वालों को पकड़ने में मदद मिलेगी.

GST के तहत 28 अप्रैल, 2018 से व्यापारियों और ट्रांसपोटरों को 50 हजार रुपये से अधिक मूल्य का सामान की अंतरराज्यीय बिक्री और खरीद पर ईवे-बिल बनाना और दिखाना अनिवार्य है. ई-वे बिल प्रणाली में रोजाना औसतन 25 लाख मालवाहक वाहनों की आवाजाही देश के 800 से अधिक टोल नाकों से होती है.

पढ़ेंः नए चक्रवात का खतरा, 27 मई तक ओडिशा तट से टकराने का अनुमान

इस नई प्रक्रिया से अधिकारी उन वाहनों की रिपोर्ट देख सकेंगे जिन्होंने पिछले कुछ मिनटों के दौरान बिना ई-वे बिल के टोल नाकों को पार किया है. साथ ही किसी राज्य के लिए आवश्यक वस्तु ले जा रहे वाहनों के टोल को पार करने की रिपोर्ट को भी देखा जा सकेगा. कर अधिकारी वाहनों के संचालन की समीक्षा करते समय इन रिपोर्टों का उपयोग कर सकेंगे.

एमआरजी एसोसिएट्स के वरिष्ठ पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि वाणिज्यिक वाहनों की आवाजाही और वस्तुओं पर नजर रखने के लिए वाहनों की सटीक जानकारी से कर चोरी रोकने में मदद करेगी.

पिछले महीने सरकार ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि मार्च 2021 तक यानी पिछले तीन साल के दौरान देश में कुल 180 करोड़ ई-वे बिल जारी किये गए. जिसमें से कर अधिकारियों द्वारा केवल 7 करोड़ ई-वे बिल की ही पुष्टि की जा सकी.

सरकार के आंकड़ों के अनुसार गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, तमिलनाडु और कर्नाटक में अंतरराज्यीय आवाजाही के लिए सबसे अधिक ई-वे बिल सृजित किए जाते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.