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काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी केस में कोर्ट का बड़ा फैसला, पुरातत्व विभाग करेगा सर्वे

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Published : Apr 8, 2021, 4:03 PM IST

Updated : Apr 8, 2021, 6:34 PM IST

आज काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पुरातत्व विभाग को जांच करने का आदेश दिया है. अदालत के इस फैसले को बड़ा फैसला बताया जा रहा है.

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वाराणसी : काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण को कोर्ट ने मंजूरी दे दी है. सर्वेक्षण का खर्चा सरकार वहन करेगी. पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने को लेकर कोर्ट में बहस चल रही थी. वाराणसी फार्स्ट ट्रैक कोर्ट के जज आशुतोष तिवारी ने पुरातात्विक सर्वेक्षण लेकर फैसला दिया है. इससे पहले दो अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. कोर्ट ने सर्वे कराकर आख्या प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.

राम मंदिर का निर्माण शुरू होने के बाद अब काशी और मथुरा को लेकर भी उम्मीद बढ़ गयी है, पर वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष आमने सामने हैं. गुरुवार को सिविल कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए लंबे वक्त से चले आ रहे प्रकरण में पुरातात्विक सर्वेक्षण के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार को इस पूरे मामले की जिम्मेदारी सौंपी है और अपने खर्च पर पांच लोगों की टीम बनाकर प्रकरण में पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के आदेश जारी किए हैं. इसमें मुस्लिम पक्ष से भी दो लोगों को शामिल किया जाएगा.

काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया

सर्वे का पूरा खर्चा सरकार उठाएगी

पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए सीनियर डिवीजन फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में सर्वे का फैसला सुनाया है. ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए आशुतोष तिवारी सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट सर्वे का फैसला सुनाया. 1991 से सर्वेक्षण को लेकर चले आ रहे मामले पर ऑर्डर जारी किया है. केंद्र के पुरातत्व विभाग के पांच विद्वानों की टीम बना कर पूरे परिसर का अध्धयन कराने के लिए निर्देश दिया गया है, जिसका पूरा खर्चा सरकार उठाएगी.

इस पर हिंदू पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कहा की 14वीं शताब्दी के मंदिर में प्रथम तल में ढांचा और भूतल में तहखाना है, जिसमें 100 फुट ऊंचा शिवलिंग है, यह खुदाई से स्पष्ट हो जाएगा. मंदिर हजारों वर्ष पहले 2050 विक्रम संवत में राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था. फिर सतयुग में राजा हरिश्चंद्र और वर्ष 1780 में अहिल्याबाई होलकर ने जीर्णोद्धार कराया था. उन्होंने यह भी कहा था कि जब औरंगजेब ने मंदिर पर हमला किया था तो उसके बाद 100 वर्ष से ज्यादा समय तक यानी वर्ष 1669 से 1780 तक मंदिर का अस्तित्व नहीं था. यही मांग किया गया था कि पुरातात्विक विभाग उसका सर्वे करके उत्खनन करे. न्यायालय ने हमारे पक्ष को स्वीकार कर लिया है.

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काशी विश्वनाथ मंदिर.

वहीं मुस्लिम पक्ष के मोहम्मद ताहिर (सुन्नी सेंट्रल वक्फ, अधिवक्ता) कहना है कि अभी फैसले की कॉपी पढ़ेंगे, पर जिस तरह फैसला दिया गया, इस स्टेज पर नहीं दी जानी चाहिए थी. एविडेन्स लेकर दी जानी चाहिए थी. ये सही नहीं है, हम आगे लीगल कारवाही करेंगे.

दो पक्षकार आमने-सामने

प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामियां मसाजिद मामले में दो पक्षकार आमने-सामने हैं. इससे पहले 11 दिसंबर को सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट वाराणसी की अदालत ने 9 जनवरी को सुनवाई की और मुस्लिम पक्षकारों की ओर से दिए जाने वाले आपत्ति के लिए तारीख मुकर्रर की थी. वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद सहित विश्वनाथ मंदिर परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की अपील प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से अपील सिविल जज (सीनियर डिवीजन- फास्ट ट्रैक कोर्ट) की अदालत में प्रार्थनापत्र देकर की गई थी.

इस बीच मुस्लिम पक्षकारों की ओर से एएसआई और उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर पक्षकार की ओर से की गई सर्वेक्षण की मांग के बाबत आपत्ति भी दर्ज कराई गई. मालूम हो कि काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में ज्ञानवापी मस्जिद भी स्थित है, जिसका मुकदमा 1991 से स्थानीय अदालत मे चल रहा है.

आपको बता दें कि पिछले एक साल से सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्टे हटने के नियम के बाद एक बार फिर से वाराणसी न्यायालय में इस मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी है. मौजूदा स्तिथि पर लगातार तारीख पड़ती जा रही थी और हिंदू पक्ष इस पूरे इलाके को आर्कलॉजी ऑफ़ सर्वे आफ इण्डिया से सर्वे कराने की मांग कर रहा है.

मुकदमे में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद तथा अन्य विपक्षी हैं. मुकदमा दाखिल करने वाले दो वादियों डॉ. रामरंग शर्मा और पंडित सोमनाथ व्यास की मौत हो चुकी है. जिसके बाद वादी पंडित सोमनाथ व्यास की जगह पर प्रतिनिधित्व कर रहे वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने प्रार्थनापत्र में कहा है कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है. यह देश के बारह ज्योतिर्लिंग में से है और मंदिर परिसर पर कब्जा करके मुसलमानों ने मस्जिद बना दिया है.

कोर्ट ने विपक्षियों से आपत्ति मांगी

15 अगस्त 1947 में विवादित परिसर का स्वरूप मंदिर का ही था. अब वादी ने कोर्ट से भौतिक और पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा रडार तकनीक से सर्वेक्षण तथा परिसर की खोदाई कराकर रिपोर्ट मंगाने की अपील की. जिसपर कोर्ट ने विपक्षियों से आपत्ति भी मांगी है. वादी विजय शंकर रस्तोगी बताते हैं कि मुस्लिम पक्ष की ओर से ये विवाद उठाया गया था कि विवादित स्थल यानि ज्ञानवापी मस्जिद की धार्मिक स्थिति 15 अगस्त 1947 को मस्जिद की थी और चल रहे मुकदमे को इसी आधार पर निरस्त कर दिया जाए. जिसके विरूद्द हिंदू पक्ष की ओर से अपने पक्ष रखते हुए कोर्ट में बताया गया कि पूरा विश्वनाथ मंदिर परिसर का ज्ञानवापी मस्जिद एक विवादित अंश है और धार्मिक स्थिति के निर्धारण के लिए साक्ष्यों के आधार पर होना चाहिए.

इसलिए पूरे ज्ञानवापी परिसर का साक्ष्य लेने के लिए प्रथम अपर जनपद नयायाधीश द्वारा 1998 में आदेशित किया गया था. उसके विरूद्ध मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट में रिट याचिका में चली गई थी. इस कारण से इसकी कार्रवाई स्थगित हो गई थी काफी लंबे समय से. अब स्थगत आदेश समाप्त होने के बाद पूरे ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक तरिके से साक्ष्य लेने के लिए आर्किलाॅजिकल सोसाइटी आफ इंडिया, न्यू दिल्ली और पुरातत्व विभाग यूपी सरकार को रिट जारी कराकर न्यायालय के माध्यम से ये निवेदन किया गया है कि पुरात्तव विभाग रडार के जरिये और खुदाई करके स्वंभू विशेश्वर ज्योतिर्लिंग के विवादित स्थल के मध्य के गुंबद के स्थान के नीचे विराजमान हैं, उसको परिलक्षित करावे और पुरे ज्ञानवापी परिसर का साक्ष्य लें.

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Last Updated : Apr 8, 2021, 6:34 PM IST
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