पितृपक्ष में योगी कैबिनेट विस्तार की क्या है मजबूरी, 7 नए चेहरों का गुणा गणित समझिए

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Published : Sep 26, 2021, 9:34 PM IST

Updated : Sep 26, 2021, 11:03 PM IST

योगी कैबिनेट विस्तार

यूपी विधानसभा चुनाव में कुछ महीने पहले योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार हुआ है. मंत्रिमंडल में सात नए चेहरों को जगह मिली है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर पांच महीने पहले ऐसी कौन सी जरूरत आन पड़ी कि योगी के मंत्रिमंडल का विस्तार करना पड़ा. पढ़िए रिपोर्ट

हैदराबाद : उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. लेकिन चुनाव में महज 5 महीने पहले योगी कैबिनेट में 7 नए चेहरों को एंट्री मिल गई है. आखिर 5 महीने पहले ऐसा करने की जरूरत क्यों पड़ी ? ये 7 चेहरे ओबीसी, दलित और ब्राह्मण जाति के ही क्यों हैं ? आखिर ऐसी क्या वजह रही कि पितृपक्ष में योगी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है ?

रविवार को क्या हुआ ?
रविवार को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया. बीते कई महीनों से इस विस्तार पर कयासों और चर्चाओं का बाजार गर्म था. टीम योगी में किस-किसकी एंट्री होगी इसे लेकर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक मंथन का लंबा दौर कई बार चल चुका है. इस विस्तार को लेकर पीएम मोदी और सीएम योगी के आमने-सामने होने तक की बातें आने लगी. कुल मिलाकर मंथन, माथापच्ची, दिल्ली की लखनऊ से नाराजगी और कैबिनेट में नए नामों की अफवाह के बीच मंत्रिमंडल विस्तार अधर में लटका रहा. लेकिन अब ये विस्तार ऐसे वक्त में हुआ है जब सूबे में विधानसभा चुनाव को सिर्फ और सिर्फ 5 महीने का वक्त रह गया है और आचार संहिता लगने में उससे भी कम.

टीम योगी में किसे मिली जगह ?
योगी मंत्रिमंडल में 7 नए चेहरों को शामिल किया गया है. जितिन प्रसाद, छत्रपाल गंगवार, पलटू राम, संगीता बिंद, दिनेश खटीक, संजय गौड़ और धर्मवीर प्रजापति को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.

राजनीतिक विशलेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री का कहना है कि चौकाने वाले फैसले लेने में भाजपा बेजोड़ है. उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद में विस्तार व फेरबदल की अटकलें कई महीने से लग रही थीं, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि पितृपक्ष में यह कार्य होगा. भाजपा समाज के सभी लोगों को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है. भाजपा का अति पिछड़ा व दलित वर्ग पर फोकस रहा है. केशव प्रसाद मौर्य उप मुख्यमंत्री हैं. योगी आदित्यनाथ का दावा रहा है कि उनकी सरकार बिना भेदभाव के कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रत्येक वर्ग को उपलब्ध करा रही है. मंत्रिपरिषद में भी इस विचार का समावेश रहा है. योगी सरकार ने चुनाव से पहले इसे अधिक मजबूती प्रदान की है. इस समय सभी पार्टियों में ब्राह्मणों को लुभाने की होड़ चल रही है. कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए जतिन प्रसाद को मंत्री बनाकर भाजपा ने प्रबुद्ध सम्मेलनों के विचार को आगे बढ़ाया है. वहीं, पिछड़ों और दलितों को प्रतिनिधित्व देकर सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है.

योगी कैबिनेट विस्तार की क्या है मजबूरी, जानिए विश्लेषक की राय

जितिन प्रसाद- करीब 4 महीने पहले तक जितिन प्रसाद कांग्रेस का 'हाथ' थामे हुए थे लेकिन 9 जून 2021 को कमल थाम लिया. जितिन प्रसाद कांग्रेस के सांसद और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. पिता जितेन्द्र प्रसाद भी कांग्रेसी थे, उन्होंने भी कांग्रेस के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था. सोनियां गांधी के अध्यक्ष बनने का विरोध किया और अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़ा. जितिन प्रसाद राहुल गांधी के करीबी माने जाते थे लेकिन अब वो बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा हैं और यही वजह है कि उन्हें टीम योगी में जगह दी गई है.

जितिन प्रसाद
जितिन प्रसाद

संजीव कुमार उर्फ संजय गौड़- ओबरा विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक संजीव कुमार गौड़ उर्फ संजय ने भी योगी मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री की शपथ ली. गौड़ 1978 में जनसंघ से विधायक रहे हैं, तत्कालीन जनता दल गठबंधन की सरकार में वो उद्योग मंत्रालय भी संभाल चुके हैं.

संजय गौड़
संजय गौड़

संगीता बिंद- योगी मंत्रीमंडल विस्तार में दूसरी महिला मंत्री के रूप में गाजीपुर सदर से विधायक संगीता बिंद को जगह मिली है. इससे पहले संगीता बहुजन समाज पार्टी में थी लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान वो बीजेपी में शामिल हुईं और उन्हें 2017 के विधानसभा में बीजेपी ने टिकट दिया.

संगीता बिंद
संगीता बिंद

धर्मवीर प्रजापति- उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य धर्मवीर प्रजापति ने भी मंत्री पद की शपथ ली है. आरएसएस के स्वयंसेवक रहे धर्मवीर प्रजापति को बीजेपी में आने के बाद पार्टी ने कई जिम्मेदारियां दी. जिनमें पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ में प्रदेश महामंत्री, दो बार उत्तर प्रदेश संगठन मंत्री और माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष पद शामिल है.

धर्मवीर प्रजापति
धर्मवीर प्रजापति

दिनेश खटीक- हस्तिनापुर से बीजेपी विधायक दिनेश खटीक संघ के कार्यकर्ता भी रहे हैं. उन्हें अब मंत्री बनाया गया है. इसके अलावा दिनेश कुमार खटीक पिछड़े समाज से ताल्लुक रखते हैं. 2022 विधानसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें टीम योगी में शामिल किया गया है.

दिनेश कुमार खटीक
दिनेश कुमार खटीक

छत्रपाल सिंह गंगवार- छत्रपाल सिंह गंगवार बरेली के बहेड़ी सीट से विधायक हैं. दूसरी बार विधायक बने छत्रपाल इससे पहले 2007 में भी भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर बहेड़ी विधानसभा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. 2002 और 2012 विधानसभा चुनाव में उन्हें हार मिली थी. जानकार मानते हैं कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करके बीजेपी ने कुर्मी वोट को साधने की कोशिश की है.

छत्रपाल गंगवार
छत्रपाल गंगवार

पलटू राम- योगी मंत्रीमंडल में जगह पाने वाले पलटू राम वर्तमान में बलरामपुर सदर की सुरक्षित विधानसभा सीट से भाजपा विधायक हैं. इससे पहले वो 2007 विधानसभा चुनाव में बसपा की टिकट पर मनकापुर सीट से चुनाव हार चुके हैं. 2015 में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने के बाद 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें बलरामपुर से टिकट दिया था.

पलटू राम
पलटू राम

महज 5 महीने पितृ पक्ष में मंत्रिमंडल विस्तार की वजह
इस तरह के बड़े फैसले लेत वक्त भारतीय जनता पार्टी दिन और तीज त्योहारों को खासा महत्व देती है. लेकिन जिस तरह से पितृ पक्ष के दौरान ये मंत्रिमंडल विस्तार हुआ है उससे कई सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में जानकार मान रहे हैं कि वक्त की नजाकत को देखते हुए कई दिनों से रुका मंत्रिमंडल विस्तार आनन-फानन में करवाया गया है.

- विधानसभा चुनाव से महज 5 महीने पहले मंत्रिमंडल का इकलौता लक्ष्य जातिगत संतुलन है. जिन 7 चेहरों को योगी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है उसमें सिर्फ जितिन प्रसाद ब्राह्मण चेहरा हैं जबकि 3 ओबीसी और तीन दलित विधायकों को मंत्री बनाया गया है.

- 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के पीछे प्रदेश का जातीय समीकरण भी था. बीजेपी को लगभग सभी जातियों का साथ मिला तो सहयोगी दलों के साथ मिलकर बीजेपी ने 325 सीटों का आंकड़ा छू लिया था. यूपी में ओबीसी करीब 53 फीसद हैं ऐसे में चुनाव में उनका रोल सबसे अहम है और हर दल उन्हें साधना चाहता है. जानकार मानते हैं कि ये छोटी-छोटी जातियों को अपने खाते में लाने की कोशिश है.

- यूपी में दलित आबादी भी अच्छी खासी है. लगभग 21 फीसदी की दलित आबादी को अपनी तरफ खींचने के लिए भी ये कवायद की गई है. ओबीसी के बाद इस वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है.

- पंजाब में दलित सीएम देने पर कांग्रेस की बांछे खिली हुई हैं. माना जा रहा है कि इस फैसले को वो पंजाब के साथ-साथ यूपी चुनाव में भी भुनाने की कोशिश कर सकती है. इसलिये सरकार में दलितों और पिछड़ों की अधिक भागीदारी को दिखाने के लिए आनन-फानन में योगी मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया है.

- किसान आंदोलन की गर्माहट यूपी में महसूस की जा रही है खासकर पश्चिमी यूपी में, जहां जाट बहुल क्षेत्र है. और इन्हीं इालाकों में पिछड़े और दलितों के वोट भी हैं, जो इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं. जानकार मानते हैं कि बीजेपी दलित और ओबीसी वोट बैंक को अपने पाले में रखना चाहती है जिसपर कांग्रेस से लेकर बसपा तक की नजर है.

Last Updated :Sep 26, 2021, 11:03 PM IST
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