उत्तर प्रदेश : प्रवासी मजदूरों की समस्या, पलायन और संपत्ति विवाद

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Published : May 31, 2020, 10:02 AM IST

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एक तरफ सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजने की जद्दोजहद जारी है. वहीं, दूसरी ओर इसका एक दूसरा पहलू भी है, जिसे लेकर प्रशासन चिंतित नजर आ रहा है. यह पलायन और संपत्ति विवाद का मुद्दा है. कई बार तो इन विवादों ने अपनों के हाथ ही खून से रंग दिए. आइए जानते हैं कि कब-कब और किन-किन मुद्दों को लेकर प्रवासियों के बीच विवाद हुआ. पढ़ें हमारी खास पेशकश...

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में एक से 20 मई के बीच प्रवासियों की वापसी के बाद कई तरह के विवादों के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है. लेकिन इन सबके बीच संपत्ति संबंधी और अन्य व्यक्तिगत विवादों की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है.

राज्य की एकीकृत आपातकालीन सेवा (UP-112) में एक से 20 मई के बीच प्रदेशभर से व्यक्तियों और कुछ समूहों के बीच हुए विवादों से संबंधित लगभग 1.11 लाख से भी ज्यादा बार संपर्क साधा गया.

इसके अलावा 23 मार्च से 30 अप्रैल के बीच की करें, तो व्यक्तिगत विवादों से संबंधित 143,283 फोन कॉल्स की सूचना दी गई, जिसमें रोजाना 3674 कॉल्स की गई थीं. इससे प्रवासियों की घर वापसी के बाद व्यक्तिगत और संपत्ति संबंधी विवादों की बढ़ती संख्या का पता चलता है.

गौरतलब है कि 'मनरेगा' मजदूरों के अपने घर लौटने की एकमात्र उम्मीद है. उत्तर प्रदेश सरकार वर्तमान समय में इस योजना के तहत कुशल श्रमिकों को पंजीकृत कर रही है.

इस बीच प्रशासन को ऐसे परिवारों में वित्तीय तनाव के चलते परिवारों में हो रहे झगड़े को लेकर भी चिंता सता रही है. इसी क्रम में ग्राम राजस्व समितियों का गठन किया गया है, जिनकी मदद से इन परिवारों पर गहरा रहे आजीविका के संकट के बीच विवाद का कारण जानने की कोशिश की जाएगी.

बता दें कि लॉकडाउन के दौरान 35 हजार से अधिक प्रवासी कानपुर देहात लौट आए हैं.

हाल में कानपुर देहात में संपत्ति विवाद का कालक्रम :
29 मई (आजमगढ़) : मुंबई में काम करने वाले दो भाइयों और कई वर्षों से खेती कर रहे उनके अन्य दो भाइयों के बीच विवाद हो गया.

मुंबई में काम कर रहे दोनों भाइयों ने उस जमीन पर अपने हिस्से का दावा करना शुरु कर दिया, जो आजमगढ़ में रहने वाले इन परिवारों की आजीविका का साधन थी.

ऐसे ही और भी न जाने कितने विवादों के मद्देनजर आजमगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने प्रवासियों से संबंधित विवादों पर नजर रखने के लिए हर गांव में 'निगरानी समितियों' (सतर्कता समितियों) का गठन किया.

इसके साथ ही स्थानीय ग्राम प्रधान और लेखपाल शामिल समितियों को जाति और समुदाय से संबंधित मौजूदा विवादों को सूचीबद्ध करने के लिए कहा गया था.

20 मई : प्रयागराज के निश्चिन्तपुर गांव में खेती के विवाद में तीन भाइयों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. 40 साल से भी ज्यादा समय से इस जमीन पर खेती हो रही थी.

21 मई : मुंबई लौटे ऑटो चालक अजीत का प्रतापगढ़ जिले के भुसुंडी गांव में अपने पड़ोसी राम अचल यादव के साथ विवाद हो गया. इसके परिणामस्वरूप दो परिवारों के बीच सामूहिक टकराव हो गया. इसमें तीन लोग घायल हो गए, जबकि एक महिला शारदा देवी ने बाद में दम तोड़ दिया.

22 मई : मुंबई के उमा शंकर यादव कोविड -19 लॉकडाउन के दौरान प्रतापगढ़ में अपने पैतृक गांव देवरपट्टी लौट आए. भूमि विवाद को लेकर उनके बड़े भाई राम खेलावन के साथ उनकी हाथापाई हुई, जिस दौरान वह और उनकी पत्नी अल्पना गंभीर रूप से घायल हो गए.

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