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मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में उमड़े हजारों छात्र, राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा देने की मांग

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Published : Dec 19, 2022, 3:51 PM IST

Rajasthani Youth Committee
Rajasthani Youth Committee

उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी (Mohanlal Sukhadia University Udaipur) में सोमवार को हजारों की संख्या में युवाओं की भीड़ देखने को मिली. दरअसल, ये युवा राज्य सरकार से राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिलाने को आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे, जहां सभी ने एक स्वर में सूबे की गहलोत सरकार से राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा देने की मांग की.

उदयपुर. लेकसिटी के मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी (Mohanlal Sukhadia University Udaipur) के खुले मंच पर युवाओं में जागरूकता लाने को 'हेलो मायड़ भाषा रो' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता राजस्थानी युवा समिति के राष्ट्रीय सलाहकार व इतिहास के अध्यापक राजवीर सिंह चलकोइ ने की. इनका यह अभियान पूरे प्रदेश में चर्चित हुआ. साथ उनके बुलाने पर हजारों की संख्या में छात्र कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि विश्व की सबसे समृद्ध भाषाओं में से एक हमारी राजस्थानी भाषा है, लेकिन दुर्भाग्य है कि जिस भाषा में यहां का छात्र बीए, एमए और पीएचडी कर लेता है, उसी भाषा को संवैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार केंद्र सरकार का हवाला देकर इस बात से किनारा कर लेती है और केंद्र सरकार राजभाषा न होने का हवाला देकर इसे संवैधानिक दर्जा नहीं दे (Thousands of students gathered in Udaipur) रही है. जबकि राज्य सरकार राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा देने के लिए स्वतंत्र है. लिहाजा हमारी मांग है कि वर्तमान राज्य सरकार इस मुद्दे पर संज्ञान ले और राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा दे.

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राजस्थान में अलग-अलग क्षेत्र की कई प्रकार की बोलियां बोली जाती है. ऐसे में कइयों के मन में सवाल उठता है कि राजस्थानी बोली कौन सी है. यहीं नहीं कार्यक्रम में मंच का (Demanding status of state language) संचालन भी प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से आए युवकों ने अलग-अलग बोलियों व जुबान में की. इस पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई वी त्रिवेदी ने कहा कि इस कार्यक्रम का संचालन प्रदेश की अलग-अलग बोलियों में हुआ. इससे यह साबित होता है कि सभी जगह अलग-अलग बोलियां बोली जाती है, लेकिन भाषा एक ही है. राजस्थानी और यही होनी भी चाहिए.

इसके अलावा शोधार्थियों ने अलग-अलग दस्तावेजों, पुराने पत्रों और साहित्य लेखों के जरिए (Rajasthani Youth Committee) भाषा के ऐतिहासिक महत्व की जानकारी दी. मौके पर विश्वविद्यालय में राजस्थानी भाषा के विभागाध्यक्ष सुरेश सालवी ने कहा कि राजस्थानी परंपरा और साहित्य समृद्ध है. ऐसे में मान्यता मिलने पर इसके संरक्षण की दिशा में काम संभव हो सकेगा.

वहीं, कार्यक्रम में कुलसचिव छोगाराम देवासी, अधिष्ठाता प्रो. सीआर सुथार, साहित्यकार जयप्रकाश पंड्या 'ज्योति पुंज', पुरुषोत्तम पल्लव, रीना मेनारिया, कवि सोहनलाल चौधरी, कवि मनोज, राजेन्द्र सनाढ्य, कोमल (चिड़कली), प्रियंका दवे (मारवाड़ी उड़नपरी), जिगीषा जोशी (मेवाड़ी बाई), चिराग सेन और अन्य साहित्यकार सहित छात्र नेता उपस्थित रहे.

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