ETV Bharat / state

RAJASTHAN SEAT SCAN: उदयपुर शहर विधानसभा सीट पर बीजेपी का दबदबा, क्या इस बार कांग्रेस देगी कड़ी टक्कर? जानें समीकरण

author img

By

Published : May 30, 2023, 9:30 AM IST

Updated : Dec 1, 2023, 5:50 PM IST

साल 2003 से उदयपुर शहर से गुलाबचंद कटारिया चुनाव जीतते हुए आ रहे हैं. इससे पहले भी सुखाड़िया के बाद कांग्रेस यहां 2 बार ही जीत सकी है. 1957 से 1972 तक सुखाड़िया का इस सीट पर पूरा दबदबा था. चलिए जानते हैं इस सीट का पूरा समीकरण क्या है?

RAJASTHAN SEAT SCAN
RAJASTHAN SEAT SCAN

कांग्रेस-बीजेपी के अपने-अपने दावे

उदयपुर. देश-दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर नीली झीलों का शहर उदयपुर जिसे देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में टूरिस्ट आते हैं. राजस्थान की सियासत में उदयपुर शहर विधानसभा सीट अपने आप में एक महत्वपूर्ण स्थान और अपना दबदबा रखती है. इस सीट पर मोहनलाल सुखाड़िया, भानु कुमार शास्त्री, डॉ. गिरिजा व्यास और गुलाबचंद कटारिया समेत कई दिग्गजों ने चुनाव लड़कर राजस्थान की सियासत में अपनी खासी जगह बनाई है. पिछले 4 चुनावों में लगातार यहां बीजेपी के बैनर तले गुलाबचंद कटारिया चुनाव लड़कर कभी गृहमंत्री, तो कभी विपक्ष में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर काबिज रहे है. चुनाव से करीब 9 महीने पहले फरवरी महीने में गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल बनने के बाद अब यह सीट खाली है.

अब तक ये रहे विधायक : 1951 में हुए पहले चुनाव में राम राज्य परिषद दल से देवी सिंह जीते. 1957 में कांग्रेस से मोहनलाल सुखाड़िया जीते. सुखाड़िया राजस्थान में मुख्यमंत्री भी बने. इसके बाद 1962 और 1967 में सुखाड़िया ने इस सीट पर जीत दर्ज की. 1972 में जन संघ से भानु कुमार शास्त्री जीते. 1977 में गुलाबचंद कटारिया चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे. 1980 के चुनाव में भी गुलाबचंद कटारिया इस सीट से जीते. 1985 में डॉ. गिरिजा व्यास इस सीट से विधायक बनकर विधानसभा पहुंची. 1990 में शिव किशोर सनाढ्य यहां स जीते और 1993 में सनाढ्य ही विजयी रहे. 1998 में इस सीट पर कांग्रेस के त्रिलोक पूर्बिया जीते. इसके बाद 2003 में गुलाबचंद कटारिया उदयपुर लौटे और चुनाव लड़कर जीते. इसके बाद 2008, 2013 और 2018 में भी कटारिया यहां से जीते. उदयपुर से विधायक रहते हुए वे 2 बार प्रदेश के गृहमंत्री और 2 बार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे. साल 2018 में कटारिया ने डॉ. गिरिजा व्यास को 9200 वोटों से मात देकर जीत दर्ज की थी.

2 दशकों के बीजेपी का गढ़ : साल 2003 से उदयपुर शहर से बीजेपी से चुनाव गुलाबचंद कटारिया जीतते हुए आ रहे हैं. इससे पहले भी सुखाड़िया के बाद कांग्रेस यहां 2 बार ही जीत सकी है. साल 1957 से 1972 तक सुखाड़िया का इस सीट पर पूरा दबदबा था.

RAJASTHAN SEAT SCAN
साल 2018 में उदयपुर शहर सीट का परिणाम

जीत का फैक्टर : उदयपुर शहर विधानसभा संघ की मजबूत वाली सीट मानी जाती रही है. जीत के फैक्टर में यहां जैन-ब्राह्मण की सर्वाधिक मतदाताओं का होना है. सबसे ज्यादा मतदाता जैन के हैं, इसके बाद दूसरे नम्बर पर ब्राह्मण समाज के वोटर्स किसी प्रत्याशी की जीत में अहम माने जाते हैं. इसके अलावा ओबीसी वोटर्स भी अच्छी निर्णायक संख्या में हैं. कटारिया की जीत के पीछे जैन-ब्राह्मण के साथ मुस्लिम वोटबैंक का साथ होना भी माना जाता रहा है.

इस बार के मुद्दे : झीलों के शहर होने के साथ ही झीलों के संरक्षण और सफाई यहां बड़ा मुद्दा रहा है. झीलों में सीवरेज रोकने के नाम पर अब तक करोड़ों रुपए के एसटीपी प्लांट के बावजूद झीलों में जाने वाली गंदगी रोकी नहीं जा सकी है. झील विकास प्राधिकरण का मुख्यालय भी यहां बनने की मांग होती रही है. इसके साथ देवास परियोजना एक अहम मुद्दा है, जो हर बार बार हावी रहा है. अब तक 2 फेज का काम हो चुका है. तीसरे फैज के लिए काफी बजट इस मिला है. वहीं, अब भी करोड़ों के बजट होने पर ही आगे की परियोजना बढ़ेगी. वेनिस की तर्ज पर आयड़ को विकसित करने का मुद्दा हमेशा यहां रहा है. कई प्रोजेक्ट पूरे होने के बाद भी ये आयड़ की सफाई का मुद्दा इस बार भी कायम है. उदयपुर में हाईकोर्ट बेंच की मांग पिछले 3 दशकों से यहां एक प्रमुख मुद्दा रहा है. हर बार किसी न किसी बहाने यह मांग एक मुद्दा बनकर यही रुकती रही है. पर्यटन स्थलों का विकास भी इस सीट एक अहम मुद्दा है. देश मे टॉप स्मार्ट सिटी के चयन में भी सफाई, सीवरेज और पर्यटन स्थलों का विकास के नाम पर करोड़ो रुपए खर्च हुए हैं.

जातिगत वोटर्स का समीकरण : इस सीट पर 2018 में वोटरों की कुल संख्या 241588 हैं. यहां करीब 40-45 हजार जैन मतदाता हैं. करीब 40 से 45 हजार ब्राह्मण और करीब 25 हजार मुस्लिम वोटर्स है. अब तक यहां ब्राह्मण- जैन प्रत्याशी का एकाधिकार रहा है. अब तक यहां 8 बार ब्राह्मण विधायक रहे हैं. 6 बार जैन और 1 बार ओबीसी प्रत्याशी को विधायक बनने का मौका मिला है.

RAJASTHAN SEAT SCAN
मतदाता की संख्या कितनी है, जानिए

इस बार के चुनाव के प्रमुख मुद्दे : हाइकोर्ट बेंच, देवास परियोजना और आयड़ नदी का विकास मुद्दा इस बार भी कायम है.

पिछले 3 चुनाव में किसने-किसको हराया : 2018 में बीजेपी के गुलाबचंद कटारिया ने कांग्रेस की डॉ. गिरिजा व्यास को 9300 वोटों से हराया था. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के गुलाबचंद कटारिया ने 78446 वोट हासिल कर जीत दर्ज की. कटारिया ने प्रतिद्वंदी को 24608 मतों के अंतर से मात दी. दूसरा स्थान पर रहे कांग्रेस के दिनेश श्रीमाली ने 53838 वोटों के साथ कटारिया को टक्कर दी थी. चुनाव में कुल 139,672 वोट पड़े और कुल 68.95% मतदान हुआ था.

गुलाबचंद कटारिया के गवर्नर बनने के बाद भाजपा में यह दावेदार : उदयपुर शहर विधानसभा सीट के लिए भाजपा के प्रमुख दावेदार रविन्द्र श्रीमाली हैं. कटारिया के सबसे नजदीकी और विश्वास पात्रों में एक है. बेदाग छवि और ईमानदार छवि के साथ ही हमेशा मुस्कराकर बोलने लोकप्रिय नेता की छवि. लगातार 2 बार पार्टी के शहर जिलाध्यक्ष है. नगर परिषद में सभापति और युआईटी चेयरमैन रहे है. वह पार्टी के साथ हर छोटे बड़े कार्यक्रमों में एक्टिव हैं. कटारिया के अलावा वसुंधरा राजे, प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी और संगठन की गुड बुक में हैं.

प्रमोद सामर : कटारिया के खास सिपहसलार रहे है. सतीश पुनिया से अच्छे संबंध माने जाते. कटारिया के गृहमंत्री कार्यकाल में यह लाइजिनिंग मैन की छवि बनी. सीधे तौर पर किसी बड़े पद पर नहीं रहे. सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक है. राष्ट्रीय नेतृत्व के कई नेताओं से अच्छी लॉबिंग.

पारस सिंघवी : 5 बार पार्षद रह चुके है. वर्तमान में उपमहापौर है. कटारिया के करीबियों में गिने जाते रहे, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर से नजदीकियां है.

केके गुप्ता : केंद्रीय मंत्री अमित शाह से नजदीकी होने का दावा करते रहे हैं. डूंगरपुर से नगर परिषद में सभापति रहे हैं. उदयपुर में पैराशूट कैंडिडेट की छवि है. राजस्थान में स्वच्छता मिशन के ब्रांड एंबेसडर रहे हैं.

अलका मूंदड़ा : बीजेपी महिला मोर्चा में प्रदेश अध्यक्ष हैं. सतीश पुनिया के काफी करीबी मानी जाती है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से भी नजदीकियां है. उदयपुर के कार्यकर्ताओं में स्वीकार्यता और पब्लिक में लोकप्रियता काफी कम है. अब तक सीधे तौर पर कोई चुनाव नहीं लड़ा.

लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ : लक्ष्यराज सिंह के भी उदयपुर शहर विधानसभा से चुनाव लड़ने की चर्चाएं अक्सर होती रहती है. वसुंधरा राजे, गजेंद्र सिंह शेखावत समेत बीजेपी के कई बड़े नेताओं से अच्छे संबंध है. मेवाड़ लगातार बीजेपी नेताओं से मिलते रहते हैं. उनके ससुर उड़ीसा के प्रदेश अध्यक्ष हैं और उनकी सास संगीता लोकसभा सांसद है. सोशल मीडिया पर युवाओं में क्रेज माना जाता है.

उदयपुर शहर विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रमुख दावेदार : पंकज शर्मा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी नेताओं में से एक हैं. लंबे वक्त से कांग्रेस में मीडिया मैनेजमेंट का काम देखते आ रहे हैं. कार्यकर्ताओं में ठीक ठाक पकड़ है और पब्लिक में छवि अच्छी मानी जाती है.

दिनेश खोड़निया : मुख्य रूप से डूंगरपुर के रहने वाले हैं. वहीं, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे हैं. डूंगरपुर की सभी सीटों के टीसपी आरक्षित होने के बाद उदयपुर से अपनी सियासी और राह को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं.अशोक गहलोत के काफी नजदीकी माने जाते हैं और कांग्रेस में मैनेजमेंट मास्टर भी कहे जाते रहे हैं. उदयपुर में स्थानीय कार्यकर्ताओं में स्वीकार्यता बेहद कम है.

गोपाल शर्मा : पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरजा व्यास के छोटे भाई हैं. कांग्रेस के शहर जिला अध्यक्ष हैं. कार्यकर्ताओं में परिवारवाद का आरोप हमेशा जगना पड़ता है. संगठन के अलावा सीधे तौर पर चुनाव लड़ने का कोई खास अनुभव नहीं है.

लाल सिंह झाला : मुख्य रूप से गोगुंदा के रहने वाले हैं. टीएसपी आरक्षित सीट होने के चलते एक बड़ा धड़ा झाला को उदयपुर से चुनाव लड़वाने की चाह रखता. भीड़ जुटाने के मास्टर माने जाते हैं और पब्लिक में छवि अच्छी है. लंबे वक्त से देहात जिलाध्यक्ष हैं. डॉक्टर सीपी जोशी और अशोक गहलोत के भी करीबी रहे हैं.

दिनेश श्रीमाली : साल 2013 में गुलाब चंद कटारिया के खिलाफ कांग्रेस के विधायक प्रत्याशी रहे हैं. कार्यकर्ताओं में पकड़ और स्वीकार्यता तक कम है. सीपी जोशी के नाम पर अपनी सियासत को आगे बढ़ाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं.

त्रिलोक पूर्बिया : उदयपुर शहर से विधायक रह चुके हैं और डॉ. गिरजा व्यास के विश्वासपात्र माने जाते हैं. हालांकि, लंबे वक्त से कार्यकर्ताओं के बीच उतने एक्टिव नहीं है. ओबीसी चेहरे की वजह से कांग्रेस में दावेदारों में इनका नाम भी माना जाता रहा है. इसके अलावा उदयपुर शहर से कांग्रेस के लिए राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा को भी कई बार प्रत्याशी बनाने की मांग उठी. खेड़ा मूल रूप से उदयपुर के ही रहने वाले हैं. फिलहाल वे दिल्ली में रहते हैं. खेड़ा अशोक गहलोत के करीबी होने के साथ ही राहुल गांधी के विश्वास पात्रों में एक हैं. इसके अलावा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ के नाम की चर्चा भी अक्सर उदयपुर के नाम से जोड़कर की जाती रही है.

RAJASTHAN SEAT SCAN
उदयपुर शहर सीट पर ये रहेंगे मुद्दे

पढ़ें : RAJASTHAN SEAT SCAN : बगरू विधानसभा सीट पर रिपीट नहीं होता विधायक, सत्ता के साथ रहता है जनता का मिजाज

उदयपुर की देश दुनिया में अपनी एक अलग पहचान : देश के खूबसूरत शहरों में से एक झीलों की नगरी उदयपुर जिला हर साल लाखों की संख्या में टूरिस्ट आते हैं. क्योंकि यहां कि नीली झील और शहर की तुलना में से काफी खूबसूरत बनाते हैं. यहां बड़ी संख्या में अलग-अलग पर्यटन स्थल है. इसे देखने के लिए सैलानी पहुंचते हैं. यहां खूबसूरत मौसम अपने आप में सैलानियों को आकर्षित करता है. प्रमुख रूप से इन पर्यटन स्थलों पर बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं जिनमें सिटी पैलेस, सहेलियों की बाड़ी, फतेहसागर झील, पिछोला झील, सज्जनगढ़, शिल्पग्राम, गुलाब बाग, दूध तलाई, के साथ अन्य पर्यटन स्थल भी शामिल है. धार्मिक स्थलों की बात करें तो उदयपुर में भगवान एकलिंग नाथ जी का मंदिर है. भगवान महाकालेश्वर का मंदिर, भगवान जगदीश का मंदिर, श्री बोहरा गणेश जी का मंदिर, श्रीनाथ जी का मंदिर, नीमच माता और करणी माता का मंदिर जहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं.

पढ़ें : RAJASTHAN SEAT SCAN: निर्दलीयों के लिए स्वर्ग है जयपुर की बस्सी विधानसभा सीट, भाजपा-कांग्रेस को बुरी तरह हरा रही जनता, क्या अबकी बदलेगा ट्रेंड

भाजपा कांग्रेस के नेताओं की अपने दावे हैं : पिछले लंबे वर्षों से भाजपा के लिए अभेद किले में तब्दील हुई उदयपुर शहर विधानसभा सीट भाजपा शहर जिलाध्यक्ष रविंद्र श्रीमाली का कहना है कि यहां की जनता ने विकास के काम को देखते हुए पिछले लंबे समय से गुलाब चंद कटारिया पर विश्वास किया. उन्होंने बताया कि उदयपुर में कई विकास के बड़े काम हुए जिनमें उदयपुर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलने के साथ करोड़ों रुपए के विकास काम हुए. श्रीमाली ने बताया कि उदयपुर से अहमदाबाद रेल लाइन का सफर जो लंबे वर्षों से अटका हुआ था उसे पूरा किया इसके साथ ही शहर में अनगिनत कई विकास के काम किए गए.

पढ़ें : RAJASTHAN SEAT SCAN: फतेहपुर शेखावाटी विधानसभा सीट पर कांग्रेस 7, भाजपा को 1 बार मिली कामयाबी, जानें समीकरण

कांग्रेस ने उठाए सवाल : कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता पंकज शर्मा का कहना हैं कि पिछले लंबे समय से भाजपा उदयपुर शहर विधानसभा सीट से जीतती आई है, लेकिन कोई बड़े काम दिखाई नहीं देते हैं, उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी के कारण पिछले लंबे समय से विकास के काम अटके हुए हैं. जिसके कारण जनता परेशान हुई. उन्होंने अपनी राज्य की गहलोत सरकार की पीठ थपथपाते हुए कहा कि देवास योजना के लिए हमारी सरकार ने लगातार बजट जारी किया है.

Last Updated :Dec 1, 2023, 5:50 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.