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RAJASTHAN SEAT SCAN : बगरू विधानसभा सीट पर रिपीट नहीं होता विधायक, सत्ता के साथ रहता है जनता का मिजाज

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Published : May 25, 2023, 6:53 PM IST

Updated : Dec 1, 2023, 6:15 PM IST

Bagru Assembly Constituency Seat
बगरू विधानसभा सीट

जयपुर का बगरू विधानसभा क्षेत्र, जहां विधायक रिपीट नहीं होता. प्रदेश में जिसकी सरकार बनती है, इस सीट से उसी पार्टी का विधायक चुना जाता है. हालांकि, यहां भाजपा-कांग्रेस की राहें आसान नहीं हैं, क्योंकि अपनों के साथ-साथ RLP भी बड़ी चुनौती बन सकती है. देखिए ये खास रिपोर्ट...

जयपुर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. सत्ताधारी दल कांग्रेस हो या प्रमुख विपक्षी दल भाजपा, दोनों पार्टियां अब चुनाव में हार-जीत के लिए मुद्दों और अंदर खाने प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर चुकी हैं. बात करें राजधानी जयपुर की बगरू विधानसभा की तो बगरू राजस्थान की संभावत: उन इक्का-दुक्का विधानसभाओं में से एक है, जिसका आधा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में आता है और आधा हिस्सा शहरी क्षेत्र में.

बगरू विधानसभा में ग्रामीण क्षेत्र में 35 पंचायतें हैं ओर शहरी क्षेत्र में 21 नगर निगम वार्ड हैं तो बगरू खुद एक नगर पालिका भी है. बगरू विधानसभा साल 2008 में परिसीमन के बाद बनी. परिसीमन से पहले बगरू विधानसभा जयपुर की सांगानेर विधानसभा का हिस्सा थी, तो वर्तमान बगरू विधानसभा में जौहरी बाजार जो अब मालवीय नगर बन चुकी है, उसका भी कुछ हिस्सा आता था. बगरू विधानसभा जो अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है, उसमें अब तक तीन चुनाव हुए है. जिनमें राजस्थान में सरकार की तरह ही एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा के विधायक बनते हैं. खास बात यह है कि जब कांग्रेस की सरकार होती है तो बगरू में विधायक भी कांग्रेस का बनता है और जब भाजपा की सरकार होती है तो बगरू का विधायक भी भाजपा का होता है.

Bagru Assembly Constituency Seat
पिछले विधानसभा चुनाव में यह रहा परिणाम

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गंगा देवी दो चुनाव जीतीं, लेकिन परिवार और कांग्रेस के अन्य प्रत्याशी दे रहे चुनौती : 2008 में परिसीमन के बाद हुए पहले चुनाव में कांग्रेस ने गंगा देवी को टिकट दिया और उन्होंने चुनाव जीता. लेकिन 2013 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने गंगा देवी का टिकट काटकर गंगा देवी के ही देवर प्रहलाद रघु को दे दिया, लेकिन पहलाद रघु चुनाव हार गए. ऐसे में 2018 में कांग्रेस ने फिर से गंगा देवी पर दांव लगाया और वह फिर चुनाव जीत गईं, लेकिन इस बार भी गंगा देवी को कांग्रेस के टिकट के मामले में उनके परिवार के सदस्य प्रहलाद रघु और अन्य उम्मीदवार विक्रम बाल्मीकि से टिकट को लेकर चुनौती मिल रही है और यह लगभग तय है कि प्रहलाद रघु को टिकट नहीं मिला तो वह कांग्रेस के बागी होकर चुनाव भी लड़ सकते हैं. ऐसे में कांग्रेस के सामने बगावत का खतरा भी बना हुआ है.

Bagru Assembly Constituency Seat
कैलाश वर्मा और गंगा देवी

भाजपा में भी पूर्व विधायक कैलाश वर्मा को मिल रही कांता सोनवाल से टक्कर : भाजपा में बगरू के पूर्व विधायक रहे कैलाश वर्मा, जिन्हें वसुंधरा सरकार में संसदीय सचिव भी बनाया गया था, इस चुनाव में भी उनके लिए भाजपा से टिकट की राह आसान नहीं दिख रही है. क्योंकि एक तो वह पिछला चुनाव हार गए थे और दूसरा उन्हें उन्हीं की पार्टी की जिला मंत्री कांता सोनवाल से टिकट को लेकर कड़ी टक्कर मिल रही है. ऐसी स्थिति में भाजपा में भी टिकट को लेकर बगरू सीट पर माथापच्ची करना लगभग तय लग रहा है.

Bagru Assembly Constituency Seat
विधानसभा क्षेत्र में मतदाता

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हनुमान बेनीवाल की पार्टी का भी यहां असर : बगरू विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है, लेकिन बगरू में एससी और एसटी के बाद सर्वाधिक मतदाता जाट हैं. ऐसे में इस सीट पर हनुमान बेनीवाल का भी दखल है और 2018 के चुनाव में भी हनुमान बेनीवाल की पार्टी रालोपा का प्रत्याशी नंबर 3 पर रहा था. ऐसे में 2023 के चुनाव में हनुमान बेनीवाल की पार्टी भी एक अहम कड़ी साबित हो सकती है.

सीवरेज और फ्लोराइड का पानी बड़ी समस्या : वैसे तो बगरू विधानसभा की जनता की यह खासियत है कि वह हमेशा सरकार के साथ रहती है. जब प्रदेश में कांग्रेस का राज आता है तो बगरू की जनता विधायक भी कांग्रेस का ही चुनती है और जब भाजपा का राज आता है तो बगरू की जनता विधायक के तौर पर भी भाजपा विधायक को चुनती है. लेकिन अभी बगरू विधानसभा में काफी विकास के काम बाकी हैं. बगरू विधानसभा में सबसे बड़ी समस्या सीवरेज लाइन की है, जहां अब तक केवल बगरू के 10 से 20 प्रतिशत हिस्से में ही सीवरेज का काम पूरा हो सका है.

Bagru Assembly Constituency Seat
पिछले 15 साल का चुनाव परिणाम

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वही, ग्रामीण क्षेत्रों में फ्लोराइड पानी भी बगरू विधानसभा की जनता के लिए बड़ी समस्या साबित हो रहा है. वैसे तो बीसलपुर का पानी बगरू विधानसभा में पहुंच गया है, लेकिन अभी पूरा विधानसभा क्षेत्र इस पानी से कवर नहीं हुआ है. ऐसे में बीसलपुर का पानी बगरू विधानसभा के हर घर में पहुंचाना आने वाले विधायक के लिए सबसे बड़ा काम होगा तो वही बगरू विधानसभा में ड्रेनेज की समस्या भी बनी हुई है. इसके साथ ही अब क्योंकि दूदू जिला बन चुका है और दूदू बगरू विधानसभा के नजदीक भी है, इसलिए कहा जा रहा है कि बगरू को दूदू जिले का हिस्सा बनाया जा सकता है. लेकिन इसे लेकर अब विरोध के स्वर भी तेज होने लगे हैं. बगरू विधानसभा का एक बड़ा तबका यह चाहता है कि वह दूदू में नहीं, बल्कि जयपुर जिले का ही हिस्सा बने रहें. ऐसे में लोगों की यह मांग भी आगामी चुनाव में एक बड़ा मुद्दा साबित होगा.

Bagru Assembly Constituency Seat
विक्रम वाल्मीकि और कांता सोनवाल

सीट पर यह है जातीय समीकरण : बगरू विधानसभा क्षेत्र में एससी-एसटी समाज के लोगों का दबदबा है. उनकी संख्या सबसे ज्यादा है. एससी की संख्या 80 हजार है तो वहीं एसटी की संख्या 50 हजार है. अन्य जातियों की बात करें तो जाटों की संख्या 40 हजार, गुर्जर 15 हजार, राजपूत 20 हजार, ब्राह्मण 50 हजार, ओबीसी 20 हजार और मुस्लिमों की संख्या 25 हजार है.

Last Updated :Dec 1, 2023, 6:15 PM IST
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