उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में भारतीय जैन संघटना का राष्ट्रीय अधिवेशन (National convention on water Conservation) शनिवार से शुरू हुआ. इस कार्यक्रम में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया देशभर के 100 से अधिक उद्योगपति, शिक्षाविद् एवं ब्यूरोकैट्स ने शिरकत की. दो दिवसीय आयोजन में देश में शिक्षा के मूल्यों, जल संसाधनों के विकास, देश में पानी जैसी जटिल समस्या का हल जैसे कई मुद्दों पर चर्चा हुई.
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने (Goa CM in Rajasthan) कहा कि शुद्ध जल की दिशा में गोवा में बहुत काम हुआ है. आने वाले दिनों में यहां का मॉडल देश के अन्य राज्यों में भी मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों के अनुरुप गोवा में पानी की उपलब्धता और संग्रहण की दिशा में काम किया जा रहा है. शिक्षा के क्षेत्र में भी गोवा सफलता की दिशा में आगे बढ़ रहा है. यह इस छोटे से प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि है.
इस दौरान केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज गंगा को छोडक़र देश की सभी नदियां मानसून पर निर्भर हैं. ऐसे में पानी का अंडर ग्राउंड रिसोर्स पैदा करना सुबसे बड़ी चुनौती है. भविष्य की परिस्थितियों को देखते हुए हमें अभी से ही यह सोचने की आवश्यकता है कि जमीनी स्तर पर पानी को कैसे सहेजा जाए. इस दिशा में योजना बनाकर काम करने की आवश्यकता है.
मानसून का क्लाइमेट परिवर्तित : केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से यह देखा जा रहा है कि मानसून का क्लाइमेट पूरी तरह से परिवर्तित हो गया है. जहां पहले चार माह तक मानसून की बारिश होती थी. वह आज 20 से 25 दिनों में सिमट कर रह गई है. ऐसे हालातों से निपटने के लिए हमें आज से ही सोचना है. वैज्ञानिक नीति के साथ यह भी देखना है कि जमीनी जल स्तर को बढ़ाने के लिए क्या किया जा सके. उन्होंने कहा कि पीने के साथ खेती के लिए पानी का संरक्षण किया जाना आवश्यक हो गया है. उन्होंने पीढिय़ों से चली आ रही पानी बचाने की कवायद को वर्तमान पीढ़ी के भूल जाने की परंपरा को अमानत में खयानत की संज्ञा दी. उन्होंने कहा कि यदि हमारे पुरखों की सोच भविष्य को लेकर दूरदर्शी नहीं होती तो शायद आज स्थिति और भयावह होती.
पढ़ें. पूनिया का राहुल से तीसरा सवाल, पूछा- राजस्थान में गंदे पानी से मौतों का सिलसिला कब रुकेगा ?
इस दौरान राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि पानी को सुरक्षित रखने के लिए केवल पांच सालों की सरकारों पर निर्भर न रहकर उसकी बजाए समाज और विभिन्न संगठन बागडोर संभालें. ऐसा होने पर इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे. उन्होंने कहा कि पानी को बचाने और शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए हम क्या कर रहे हैं और कहां हमसे कमी रह गई है. इसकी भी समीक्षा की जानी चाहिए. नदियों के पास शहर बस गए हैं. चलते पानी पर रुकावटें पैदा हो रही है. बांधों पर एनीकट बन गए हैं.