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राजस्थान के दूध सागर वाटर फॉल में पर्यटकों की संख्या में इजाफा, जानिए क्या कुछ हैं व्यवस्थाएं

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Published : Jul 25, 2023, 8:04 AM IST

पाली जिले के टॉडगढ़ रावली अभ्यारण में भील बैरी में 182 फीट ऊंचे से गिरता झरना दूध जैसा दिखता है. यहां तक पहुंचने के लिए लगभग 5 किलोमीटर के घने जंगल से होकर पर्यटकों को गुजरना पड़ता है. उसके बाद भी पर्यटकों की आवक में लगातार इजाफा हो रहा है.

rajasthan dudhsagar waterfall
जस्थान का दूध सागर वाटर फॉल

जस्थान का दूध सागर वाटर फॉल

पाली. जिले के मारवाड़ जंक्शन के पास स्थित भील बैरी का झरना शुरू हो गया है. अरावली पर्वत माला की पहाड़ियों से करीब 182 फीट ऊंचाई से गिरते इस झरने का पानी दूध जैसा नजर आता है. इसलिए इसे दूध सागर के नाम से भी जाना जाता है. यह झरना टॉडगढ़ रावली रेंज में है जो अजमेर पाली व राजसमंद जिलों में फैला है. इस झरने को देखने के लिए 4.5 किलोमीटर घने जंगल का सफर तय करना पड़ता है. वन विभाग ने पर्यटकों को झरने तक लाने और वापस ले जाने के लिए वाहन लगाए हैं. जिसके लिए पर्यटकों को प्रति व्यक्ति तीन सौ रुपए शुल्क देना होगा. इन दिनों बड़ी संख्या में पर्यटक भी आ रहे हैं. सहायक वन अधिकारी पीएस नरूका ने बताया कि पाली जिले का लगभग 26000 हेक्टेयर टॉडगढ़ रावली अभ्यारण का हिस्सा है. हमने बीते सालों में यहां घास के मैदान तैयार किए है. यहां बड़ी संख्या में वन्य जीव भी हैं. इन वाटरफॉल देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं.

22 दिन में 11 लाख का रेवेन्यू : नरूका ने बताया कि हमारे क्षेत्र में बड़ी संख्या में पैंथर है. जिनकी साइज टाइगर के बराबर है. कुल 166 प्रकार के वन्य जीव क्षेत्र में मौजूद हैं. जिन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए ₹130 प्रति पर्यटक शुल्क लिया जाता है. वाहन का शुल्क अलग से देय होता है. गत वर्ष सीजन में 14 लाख रुपए का राजस्व अर्जित किया था लेकिन इस बार 22 दिनों में ही 11 लाख रुपए का राजस्व अर्जित किया है.

तीनों जिलों की सीमा पर है वॉटरफॉल : भील बैरी पाली, ब्यावर, राजसमंद जिलो की सीमा पर स्थित है. यहां अरावली पहाड़ियों पर हरियाली में प्रकृति के मनोहारी दृश्य नजर आते हैं.। यही कारण है कि इन दिनों यहां पर आगंतुकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. यहां पहुंचने के लिए पर्यटकों को पहले मारवाड़ जंक्शन आना होता है. वहां से देवगढ़ के रास्ते जाना होता है. वनपाल तुलसीराम लोगों से स्वच्छता बनाए रखने के लिए अपील करते हैं.

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