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खींवसर : पुलिस ने 8 महीने बाद सुलझाया भैंस का विवाद

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Published : Mar 23, 2021, 9:52 PM IST

Police resolved after 8 months,  buffalo dispute in Khivansar,  Nagaur buffalo dispute
खींवसर के चर्चित भैंस विवाद

जिले के खींवसर के चर्चित भैंस विवाद मामले का आखिर खींवसर पुलिस ने निपटारा कर ही दिया. खींवसर में एक भैंस पर दो मालिकाना हक जताने के विवाद पिछले 8 महीनों से जारी था. पुलिस ने जांच के आधार पर पुलिस ने मामला सुलझा लिया.

नागौर. जिले के खींवसर के चर्चित भैंस विवाद मामले का आखिर खींवसर पुलिस ने निपटारा कर ही दिया. खींवसर में एक भैंस पर दो मालिकाना हक जताने के विवाद पिछले 8 महीनों से जारी था. पुलिस ने जांच के आधार पर पुलिस ने मामला सुलझा लिया.

पुलिस जांच में भैंस कांटिया गांव के रहने वाले झालाराम जाट की ही पाई गई. भैंस पर मालिकाना हक जताने वाले दूसरे दावेदार पांचला सिद्धा गांव निवासी हिम्मताराम ने गलतफहमी के चलते भैंस खुद की बताई थी और थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया था. नागौर जिला पुलिस अधीक्षक श्वेता धनखड़ के मुताबिक हिम्मताराम अपने परिवार के साथ खेत में बने ट्यूबवैल पर रहता है और खेती करता है. उसके पास दो भैंस थीं, जिनको वह चरने के लिए छोड़ता था.

करीब 8 महीने पहले हिम्मताराम ने अपनी दोनों भैंस चरने के लिए छोड़ी. लेकिन इनमें से एक भैंस ही वापस आई. हिम्मताराम अपनी भैंस के ढूंढने के लिए निकला वह गांव के ही झालाराम के खेत में चर रही थी. उस भैंस को हिम्मताराम अपना मान ले जाने लगा. लेकिन खेत मालिक झालाराम ने भैंस खुद की बताते हुए विरोध किया. उसने कहा कि ये भैंस उसकी है और उसने उसे एक साल पहले 10 हजार रुपये में कांटिया गांव में रहने वाले बाबूराम सियाग से खरीदा है.

भैंस के मालिकाना हक को लेकर दोनों के बीच झगड़े के बाद मौके पर बाबूराम को बुलाया गया. उसने भी कह दिया था कि यह भैंस उसने ही बेची है. उस समय सभी वापस चले गए. लेकिन इसके कुछ दिन बाद हिम्मताराम ने गांव कांटिया व आसपास के लोगों को जमाकर पंचायत बुलाई. पंचायत ने हिम्मताराम मेघवाल व बाबूलाल सियाग की भैंस मंगवाई. जब इन दोनों भैंस के बीच उस विवाद वाली भैंस को छोड़ा गया तो वह बाबूराम सियाग की भैंस के साथ चली गई. उस समय गांव के लोगों ने हिम्मताराम मेघवाल को समझाया कि यह भैंस झालाराम की है.

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जिसे बाबूलाल ने उसे बेची थी. एसपी ने बताया पंचायत का फैसला होने के 4 दिन बाद हिम्मताराम ने भैंस को लेने के लिए झालाराम के खिलाफ पुलिस में परिवाद दर्ज करा दिया. पुलिस ने भैंस विवाद को सुलझाने के लिए झालाराम की भैंस हिम्मताराम की भैंस व बाबूराम की भैंस का डीएनए परीक्षण करवाने के लिए नमूने लिए. इसके बाद इनको परीक्षण के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला जयपुर भिजवाया गया. लेकिन वहां जानवरों के डीएनए परीक्षण की सुविधा नहीं होने की वजह से जांच स्पष्ट नहीं हुई. इसके बाद पुलिस ने अपने स्तर से जांच शुरू की.

वृत्ताधिकारी नागौर विनोद कुमार सीपा ने बताया कि हिम्मताराम की भैंस चरते हुए कहीं निकल गई. जब वह अपनी भैंस को ढूंढ़ने गया तो झालाराम की भैंस उसकी भैंस के जैसे दिखाई देने की वजह से झालाराम की भैंस को वह अपना समझ बैठा था. पुलिस ने इस विवाद को समाप्त करने के किए दोनों पक्षों के लोगों से पूछताछ की. साथ ही गांव के 50 से ज्यादा लोगों से राय-मशविरा किया. इसके बाद पुलिस ने इस गुत्थी को सुलझाया. पुलिस जांच में भैंस झालाराम जाट की ही निकली है.

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