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RTU Case: पीड़िता पुलिस से बोली, 4 साल के एमटेक में लग गए 14 साल...यूनिवर्सिटी ने शिकायतों पर नहीं की सुनवाई

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Published : Jan 3, 2023, 10:37 PM IST

RTU Case
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आरटीयू के एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार के खिलाफ मामला दर्ज करवाने (Assistant professor Gave statement in RTU Case) वाली सहायक आचार्य मंगलवार को दादाबाड़ी थाने पर बयान देने पहुंची. इस दौरान पीड़िता ने परमार और राजीव गुप्ता पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. साथ ही उसने विश्विद्यालय प्रबंधन की ओर से शिकायत पर सुनवाई नहीं करने की भी बात कही है.

कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार के खिलाफ सोमवार रात को (FIR on Kota RTU Associate Professor) एक सहायक आचार्य ने भी छेड़छाड़ और अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया था. मंगलवार को सहायक आचार्य दादाबाड़ी थाने पर बयान देने के लिए पहुंची थी. करीब 2 से ढाई घंटे तक पुलिस ने उनसे अनुसंधान किया और बयान दर्ज किए हैं.

पीड़िता ने बताया कि उनके साथ के कई असिस्टेंट प्रोफेसर ने पीएचडी पूरी कर ली. लेकिन वो अभी तक एमटेक (Assistant professor Gave statement in RTU Case) ही पूरी कर पाई हैं. इसके लिए उन्होंने राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार और प्रोफेसर राजीव गुप्ता को जिम्मेदार ठहराया है. पुलिस उप अधीक्षक प्रथम अमर सिंह राठौड़ ने बताया कि पीड़िता के अनुसार 4 साल की मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (एमटेक) उन्होंने 2008 में शुरू की थी, जिसे 2012 में पूरा हो जाना था. लेकिन कभी उसे यूडी एग्जाम में अब्सेंट बता दिया जाता, कभी उसका रिजल्ट रोक दिया जाता था. इन सब के कारण उसकी एमटेक 10 साल देरी से साल 2022 में पूरी हुई है. इस संबंध में पीड़िता ने कई बार विश्वविद्यालय प्रबंधन से भी शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

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चौपट कर दिया है करियर : पुलिस पूछताछ में महिला सहायक आचार्य ने बताया कि उसका पूरा करियर गिरीश परमार और राजीव गुप्ता ने चौपट कर दिया. उसके एमटेक देरी से होने के चलते उसकी पीएचडी भी नहीं हुई. इन दोनों ने उसका प्रमोशन भी नहीं होने दिया. पीड़िता ने कई बार इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रबंधन से शिकायतें की. लेकिन गिरीश परमार और राजीव गुप्ता का नाम आने के बाद कोई भी इस मसले में आगे नहीं बढ़ता था. अधिकांश लोग उनसे दूर ही रहने की हिदायत देते थे. डिप्टी राठौड़ का कहना है कि इस संबंध में पुलिस विश्वविद्यालय प्रबंधन से पूरा रिकॉर्ड लेगी. इसमें कब-कब सहायक आचार्य की परीक्षा हुई और उसका रिजल्ट क्यों जारी नहीं होने दिया गया. इस संबंध में जितने भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.

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मुकदमों की संख्या बढ़कर हो गई है पांच : एक के बाद एक इस प्रकरण से जुड़े पांच मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. इनमें 4 मुकदमों में गिरीश परमार आरोपी हैं. इसके अलावा 3 मुकदमों में उनके साथ न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे स्टूडेंट अर्पित अग्रवाल और ईशा यादव आरोपी पाए गए. एक मुकदमा सीधे तौर पर इलेक्ट्रॉनिक्स डिपार्टमेंट के पूर्व एचओडी और पूर्व डीन फैकल्टी अफेयर्स प्रोफेसर राजीव गुप्ता पर ही दर्ज हुआ था. इसमें संविदा कर्मी ने उन पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. साथ ही एक मुकदमा प्रो. राजीव गुप्ता, गिरीश परमार, सिविल डिपार्टमेंट के प्रोफेसर राजेश सिंघल और महिला कार्मिक सीमा अग्रवाल पर दर्ज किया गया है. इस मामले में पुलिस न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे आरोपियों को प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार करने के अलावा दूसरे आरोपियों पर भी शिकंजा कस सकती है.

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