झालावाड़. चैत्र नवरात्र में शक्ति की प्रतीक मां की विभिन्न रूपों में पूजा की जाती है. ऐसे में आज आपको एक ऐसी देवी की मूर्ति और मंदिर के बारे में बताते हैं जहां कोई भी भक्त माता की मूर्ती से आंख नहीं मिला सकता है. इसके अलावा नवरात्रों में यहां एक ही मंदिर में माता के नौ रूपों के दर्शन होते हैं. यह मंदिर लोगों के लकवे के इलाज के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है. झालावाड़ और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित दुधाखेड़ी माता मंंदिर में नवरात्रि पर हर साल भीड़ उमड़ती है.
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दुधाखेड़ी माता का मंदिर मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित है. यहां पर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं. यहां पर माता नवरात्रों में नौ रूपों में अपने भक्तों को दर्शन देती हैं तथा दुधाखेड़ी माता की मूर्ति में इतना तेज होता है कि कोई भी उनकी आंखों में आंख नहीं डाल कर प्रतिमा नहीं देख सकता है. वहीं सैकड़ों की संख्या में यहां पर लकवा पीड़ित मरीज भी स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए आते हैं. मानना है कि माता के आशीर्वाद से भक्तों का लकवा पूरी तरह से ठीक भी हो जाता है.
ये है मन्दिर का इतिहास
मंदिर के इतिहास की बात करें तो इसका निर्माण राजा मोरध्वज ने 13वीं शताब्दी में करवाया था, जिसके बाद इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया. वहीं, झालावाड़ के संस्थापक झाला जालिम सिंह यहां पर पूजा-अर्चना के लिए आया करते थे. इसके अलावा ग्वालियर के सिंधिया राज परिवार ने भी यहां पर धर्मशालाएं बनवाई हैं तथा वे भी यहां हर साल माता के दर्शन करने के लिए आते हैं.
नवरात्रों में यहां पर लाखों की संख्या में लोग माता के दर्शन करने आते हैं लेकिन कोरोना के कारण यहां श्रद्धालुओं की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिली है. अब मन्दिर परिसर में बहुत ही कम संख्या में श्रद्धालु नज़र आ रहे हैं.