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कोरोना से ग्रामीणों की जंग: स्पेशल टीम बनी ग्रामीणों के लिए 'कवच', मनरेगा से मिल रहा घर-घर रोजगार

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Published : Jun 16, 2020, 9:26 PM IST

fight against Corona, गांवों में कोरोना वायरस
ग्रामीणों को मनरेगा से मिल रहा घर-घर रोजगार

राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में बसा जैसलमेर जिला, गर्मी में सुलगती रेत और पानी के लिए प्यासी धरती. कई विषम परिस्थितियों के बाद भी यहां के लोग अपनी खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं. लेकिन क्या कोरोना वायरस को लेकर भी ग्रामीण सतर्क हैं, इसका जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत जैसलमेर जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर अमरसागर ग्राम पंचायत पहुंचा है.

जैसलमेर. पाकिस्तानी सीमा से सटा सरहदी जिला जैसलमेर में कोरोना वायरस की दस्तक के साथ ही यहां के लोग अलर्ट हो गए. शहरों में सोशल डिस्टेंसिंग का लोग पालन करने लगे, लोग मास्क लगाने लगे, पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से पूरे मामले को लेकर नजर बनाए हुए थे. ऐसे में अब सवाल ये कि आखिर कोरोना गांवों तक नहीं पहुंच सके इसके लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं, क्या गांव के लोग कोरोना वायरस को लेकर सरकार की तरह से जारी की गई गाइडलाइंस का पालन कर रहे हैं, गांव के लोग कितने सतर्क और सजग है. इसी का जायजा लेने ईटीवी भारत जैसलमेर जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर अमरसागर ग्राम पंचायत पहुंचा.

ग्रामीणों को मनरेगा से मिल रहा घर-घर रोजगार

अनलॉक 1.0 चल रहा है ऐसे में अमरसागर ग्राम पंचायत में जनजीवन सामान्य दिखा. कई महिलाएं झुंड में हमें पानी लेकर जाती हुई नजर आईं, लेकिन सभी ने अपना मुंह ढक रहा था साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का भी महिलाएं ख्याल रखती दिख रही थीं. हमने कुछ ग्रामीणों ने बात की जिन्होंने बताया कि लॉकडाउन के शुरुआती दिनों से ही ग्राम पंचायत के सभी मुख्य मार्गो को ग्रामीणों ने बंद कर दिया था.

गांव के बाहर से आने वाले लोगों की मनाही थी. गांव में जो लोग आते थे उनके लिए रजिस्टर मेनटेन किया जा रहा था, साथ ही 14 दिन के क्वॉरेंटाइन में उसे रखा गया. लोग सख्ती से लॉकडाउन का पालन भी कर रहे हैं. लेकिन फिलहाल, अनलॉक 1.0 में मिली ढील के बाद ग्रामीण फिर से आम दिनों की तरह ही अपनी जिंदगी जीने लगे हैं.

ग्रामीणों के मुताबिक, एएनएम और पंचायत स्तर पर बनी टीम लगातार अभी भी ग्रामीणों को कोरोना वायरस को लेकर सुझाव दे रही है. गांव की सरपंच पूनम परिहार कहती हैं कि ऐसा इस लिए किया जा रहा है ताकि ग्रामीण लापरवाही नहीं करें. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से हमें ढील मिली है लेकिन कोरोना वायरस से नहीं. अभी भी कोरोना वायरस लगातार अपने पैर पसार रहा है. सरपंच पूनम परिहार इस दौरान यह भी कहती हैं कि हमारा प्रयास और ग्रामीणों की सजगता का ही यह नतीजा है कि अभी तक हमारी ग्राम पंचायत में एक भी कोरोना से संक्रमित मरीज नहीं मिला है.

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राजीव गांधी सेवा केंद्र

ग्रामीणों के लिए रोजगार:

कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से दिहाड़ी मजदूरों के सामने सबसे बड़ा संकट रोजी-रोटी का है. लेकिन अमरसागर ग्राम पंचायत के ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया जा रहा है. सभी जरूरतमंद लोगों को रोजगार मिल सके इसके लिए ग्राम पंचायत में 13 स्थानों पर मनरेगा कार्य चल रहा है, जहां 500 से ज्यादा श्रमिक काम कर रहे हैं. लंबे समय से घरों में कैद, और आर्थिक तंगी से जूझ रहे दिहाड़ी मजदूर रोजगार मिलने से खुश हैं.

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मनरेगा में काम करती महिलाएं

गाइडलाइंस की पालना:

ग्राम विकास अधिकारी मनोहरलाल कहते हैं कि ग्रामीणों को सरकारी निर्देशानुसार रोजगार मुहैया करवाया जा रहा है लेकिन इसके साथ ही सरकार द्वारा जारी की गई सभी नियमों की पालना भी की जा रही है. उन्होंने बताया कि कार्यस्थल पर सभी श्रमिकों को मास्क पहनना अनिवार्य है, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ समय-समय पर हाथ धोना, सैनिटाइज करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. ग्राम विकास अधिकारी ने आगे बताया कि इसके साथ ही जरूरतमंद लोगों को समय-समय पर जिला प्रशासन और स्थानीय भामाशाहों के सहयोग से राशन किट वितरित किए गए और खास तौर पर पाक विस्थापितों के लिए विशेष प्रयास किए गए.

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अमरसागर ग्राम पंचायत की सरहद

कोरोना वायरस पर स्पेशल टीम की नजर:
ग्राम पंचायत अमरसागर की सरपंच पूनम परिहार कहती हैं कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए पंचायत स्तर टीम बनाई गई है. यह टीम समय-समय पर घर-घर जाकर सर्वे कर रही है अगर किसी ग्रामीण में कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं तो तत्काल उसकी जांच करवाई जा रही है. सरपंच ने बताया की गांव को कई बार सैनिटाइज भी करवाया जा चुका है, इसके अलावा और भी आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं

ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत स्तर के अधिकारी, जनप्रतिनिधि, स्थानीय जिला-प्रशासन और चिकित्सा विभाग के सहयोग से लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने की व्यवस्था थी. सभी को स्वास्थ्य सेवाएं भी मुहैया करवाई गई और ग्रामीणों ने भी भरपूर सहयोग किया. यहां के लोगों का कहना है कि लॉकडाउन तो खुल गया है लेकिन अनलॉक 1.0 में जिम्मेदारियां और बढ़ गई हैं. ऐसे में कोरोना के खिलाफ इस जंग को हम तब तक जारी रखेंगे जब तक कोरोना को पूरी तरह से हम हरा नहीं देंगे.

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पानी लेकर जाती हुई महिलाएं

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अमरसागर ग्राम पंचायत और ग्रामीणों की कोरोना से खिलाफ इसी जज्बे को देखते हुए कई सामाजिक संस्थाओं ने सरपंच, ग्राम सेवक, पटवारी, ANM सहित पंचायत की कोरोना कोर टीम के साथ ही भामाशाहों और समाजसेवियों का सम्मान किया गया है. ग्रामीण कोरोना वायरस से बचने और सजग रहने के लिए ईटीवी भारत के एप को भी घर-घर डाउनलोड कर रहे हैं ताकि, समय-समय पर उन्हें हर ताजा अपडेट मिलती रहें.

हमारी ग्राउंड रिपोर्ट में अमरसागर गांव के लोग कोरोना को लेकर सजग और सतर्क नजर आए. गांव में अभी तक एक भी कोरोना से संक्रमित मरीज नहीं मिला है. लॉकडाउन में मिली छूट के दौरान भी ग्रामीण इस महामारी से निपटने के लिए मिल कर खड़े है. गांव में रोजगार मिलने की वजह से लोग खुश हैं.

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अमरसागर गांव का वैभवशाली इतिहास:

स्थानीय लोग कहते हैं कि अमरसागर गांव का एक वैभवशाली इतिहास रहा है. इस गांव में कई वीर सूरमाओं ने जन्म लिया है जिनकी कहानी आज भी जीवंत दिखाई देती है. अमर सागर गांव की स्थापना जैसलमेर रियासत काल के तत्कालीन महारावल अमर सिंह ने की थी. यहां के लोग कहते हैं कि एक दौर था जब जैसलमेर में कई सालों तक बारिश नहीं हुई थी. हालत ऐसे हुए की अमरसागर और आस-पास का इलाका अकाल से जूझने लगा था. अकाल की समस्या से निजात पाने के लिए स्थानीय राजा ने गांव में कई अनोखे कुएं, बावड़ियां और तालाबों का निर्माण किराया था जो आज भी यहां मौजूद हैं. सालों पुराने ये कुएं, बावड़िया और तालाब अब भी बारिश के आते ही लबालब भर जाते हैं. बारिश में भरने के बाद लंबे समय यहां के लोग पानी की अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं.

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