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सफाई कर्मचारियों की हड़ताल: शहर से नहीं उठा 700 टन कचरा, सरकार ने भर्ती को लेकर लगाई केविएट

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Published : Apr 25, 2023, 12:16 PM IST

Updated : Apr 25, 2023, 9:45 PM IST

सफाई कर्मचारी की हड़ताल का असर शहर में नजर आने लगा है. मंगलवार को करीब 700 टन कचरा (Safai karamcharis boycotted work) नहीं उठा.

valmiki samaj boycott collective work in jaipur
valmiki samaj boycott collective work in jaipur

वाल्मीकि समाज सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया

जयपुर. जयपुर. राजधानी में मंगलवार को सफाई व्यवस्था चरमराती नजर आई. करीब 700 टन कचरा नहीं उठा, सड़कों पर झाड़ू नहीं लगी और सड़कें कचरे के ढेर से अटी नजर आई. हालांकि शहर के कुछ वार्डों में ग्रेटर नगर निगम की महापौर और पार्षदों ने गैर वाल्मीकि समाज के सफाई कर्मचारियों का सहयोग करते हुए सड़कों पर झाड़ू लगाई. वहीं निगम ने भी अपने संसाधनों को झोंका, लेकिन वाल्मीकि समाज से जुड़े सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के चलते निगम प्रशासन ने भी माना कि इतनी बड़ी संख्या में मैन पावर कम होने से व्यवस्थाएं प्रभावित जरूर हुई हैं. उधर, राज्य सरकार ने सफाई कर्मचारियों की भर्ती को लेकर हाईकोर्ट में केविएट दायर की है.

राज्य सरकार की ओर से 30 हजार पदों पर की गई सफाई कर्मचारियों की भर्ती की घोषणा के बाद स्वायत्त शासन विभाग की ओर से 13 हजार 164 पदों पर भर्ती निकाली गई और इसमें भी आरक्षण पद्धति लागू की गई, जिससे गुस्साए वाल्मीकि समाज के सफाई कर्मचारियों और बेरोजगारों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए हड़ताल की. मंगलवार को सफाई कर्मचारी हेरिटेज नगर निगम में जुटे और यहां प्रत्येक जोन के लिए टीम बनाई गई, जो क्षेत्र में घूम कर यदि कोई सफाई करता हुआ पाया गया, तो उसे समझाइश कर आंदोलन में शामिल होने की अपील करेगा.

Safai karamcharis boycotted work
सड़कों पर लगे कचरे के ढेर

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शहर प्रभावित हो रहा है, माफी चाहते हैं - इसे लेकर संयुक्त वाल्मीकि सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने कहा कि शहर प्रभावित हो रहा है, उसके लिए शहर की जनता से वो माफी चाहते हैं, लेकिन उनकी भी मजबूरियां हैं. सफाई कर्मचारियों की भर्ती को लेकर उनका संगठन लगातार शासन और प्रशासन से गुहार कर रहा है कि उनसे जो वादे किए गए थे, उनको पूरा किया जाए. साथ ही जो लिखित में समझौता किया गया था, उसे पूरा किया जाए. 2018 में जिस तरह से वाल्मीकि समाज के रोजगार पर दूसरे समाज के लोग काबिज हुए, लेकिन आज भी वो सफाई का कार्य करने के बजाए कार्यालय में लगे हुए हैं.

इसी वजह से वाल्मीकि समाज के सफाई कर्मचारियों ने इतना बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति जनजाति आयोग का एक फैसला है, जिसमें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सफाई कर्मचारी के पद से भिन्न माना गया है. सफाई कर्मचारी की पोस्ट पर कोई आरक्षण पद्धति लागू नहीं होती है, इसका नोटिफिकेशन भी राज्य सरकार को पेश किया गया, लेकिन उस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. उन्होंने तर्क दिया कि 2012 में यही कांग्रेस सरकार थी, जिसने पदों पर आरक्षण के विरोध में जाकर 21 हजार सफाई कर्मचारियों के पदों पर वाल्मीकि समाज के लोगों को काबिज किया था. आज भी वही कांग्रेस सरकार है। लेकिन इस बार कहां से आरक्षण के तहत भर्ती के नियम आ गए.

महापौर ने थामी झाड़ू - उधर, ग्रेटर नगर निगम की महापौर डॉ सौम्या गुर्जर ने खुद झाड़ू थामी. साथ ही बताया कि निगम के अधिकारियों को सूचित किया गया है कि क्षेत्र में सफाई व्यवस्था गड़बड़ाए नहीं, इसके लिए उचित संसाधनों को उपलब्ध कराया जाए. साथ में व्यापार मंडल, विकास समिति और स्थानीय लोगों को सफाई के लिए प्रेरित किया. व्यापारियों से कचरे को बाहर ना फेंकने, डस्टबिन रखने को लेकर सख्ती के साथ निर्देश दिए. महापौर ने स्पष्ट किया कि सफाई कर्मचारियों का निगम स्तर पर कोई भी काम में पेंडिंग नहीं है. लोकतंत्र में सबको अपनी आवाज उठाने का अधिकार है, वो हड़ताल कर रहे हैं.

वहीं, शहर की चरमराई हुई सफाई व्यवस्था को लेकर ग्रेटर नगर निगम के कमिश्नर महेंद्र सोनी ने बताया कि वाल्मीकि समाज सफाई श्रमिक संघ ने अचानक हड़ताल पर जाने का फैसला लिया. बीते दिनों जनवरी में भी कुछ मांगों को लेकर सफाई कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार किया था, बार-बार इस तरह का कदम उठाना उचित नहीं है. आरक्षण का मुद्दा पेचीदा है, इस मामले में सरकार से ही कम्युनिकेशन किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में महंगाई राहत कैंप चल रहे हैं. स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम आ सकती है. ऐसे में ये कदम उचित नहीं है, फिर भी जोन स्तर पर व्यवस्थाएं की जा रही हैं. हालांकि अधिकतर कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के बावजूद भी व्यवस्थाएं प्रभावित न हो, ये कहना गलत होगा. व्यवस्था निश्चित रूप से प्रभावित हो रही हैं, फिर भी आवश्यक व्यवस्थाएं गैराज के संसाधनों से और अनुबंध आधारित कार्मिकों को लगाकर की जा रही है.

वैकल्पिक व्यवस्था आसान नहीं - हेरिटेज निगम के स्वास्थ्य उपायुक्त आशीष कुमार ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में सफाई कर्मचारी हड़ताल पर है. उनकी वैकल्पिक व्यवस्था करना आसान नहीं है. ये जरूर है कि निगम के संसाधनों से सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखने की कोशिश की जा रही है. सफाई व्यवस्था के लिए रोड स्वीपिंग मशीन, हूपर, ओपन डिपो उठाने के लिए वेंडर्स काम कर रहे हैं, लेकिन गलियों और सड़कों पर रोड स्वीपिंग सफाई कर्मचारियों की ओर से ही की जाती है तो ऐसी स्थिति में सफाई व्यवस्था प्रभावित है. उन्होंने कहा कि सीवर सफाई की शिकायतों को लेकर अब तक जो शिकायतें आई हैं, उन्हें किसी तरह से निस्तारित करने की कोशिश की है, यदि हड़ताल लंबी चली तो कुछ चुनौतियां जरूर सामने आएंगी.

उधर, राज्य सरकार ने सफाई कर्मचारियों की भर्ती प्रकरण में रिट दायर होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट में केविएट लगाई है. सरकार की ओर से जोधपुर और जयपुर पीठ में केविएट लगाते हुए कहा गया है कि यदि भर्तियों को लेकर कोई याचिका लगती है तो कोर्ट सरकार का पक्ष सुनकर ही अंतरिम आदेश सुनाएं.

Last Updated :Apr 25, 2023, 9:45 PM IST
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