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चुनाव से पहले समता आंदोलन समिति ने फिर दिखाई आंख, गहलोत को लेकर कही ये बड़ी बात

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Published : May 31, 2023, 1:57 PM IST

Updated : May 31, 2023, 7:47 PM IST

Samta Andolan Samiti opposes CM Gehlot
Samta Andolan Samiti opposes CM Gehlot

राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले समता आंदोलन समिति ने एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराजगी जाहिर कर दी है. समिति ने कहा है कि वो कांग्रेस विरोधी नहीं है, बल्कि वो व्यक्तिगत रूप से सीएम गहलोत का विरोध करेंगे. समता आंदोलन समिति के अध्यक्ष पाराशर नारायण शर्मा से ETV भारत ने खास बातचीत की.

समता आंदोलन समिति के अध्यक्ष पाराशर नारायण शर्मा से खास बातचीत

जयपुर. प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर पदोन्नति का मुद्दा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए गले की फांस बन गया है. इस बार समता आंदोलन समिति की ओर से साफ कर दिया गया है वो अबकी कांग्रेस का नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का विरोध करेंगे. इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में प्रस्ताव भी दिए जा रहे हैं. साथ ही समता आंदोलन समिति तय किया है कि सीएम अशोक गहलोत जहां से भी चुनाव लड़ेंगे, वहां से उन्हें हराने के लिए पुरजोर काम किया जाएगा. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए समिति के अध्यक्ष पाराशर नारायण शर्मा ने कहा कि इस बार हम कांग्रेस का विरोध नहीं कर रहे हैं, क्योंकि जो गलतियां इस सरकार में हुई हैं, वो सरकार के स्तर पर नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री के स्वयं के स्तर पर हुई है. सीएम ने जातिगत वोट बैंक को साधने के लिए जानबूझकर कुछ गलतियां की हैं, जिसको लेकर उन्हें विधानसभा चुनाव में सबक सिखाया जाएगा.

सीएम गहलोत का होगा विरोध - पाराशर ने कहा कि इस बार सरकार से नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराजगी है. प्रजातंत्र में डिक्टेटरशिप चल रही है. एक शख्स अपने अनुसार चीजों को संचालित कर रहा है, जो प्रजातंत्र के लिए सही नहीं है. उन्होंने कहा कि समता आंदोलन समिति के मुद्दों के समाधान की बजाय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जातिगत भेदभाव कर रहे हैं. साथ ही सामान्य और ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय किया जा रहा है. पाराशर ने कहा कि सीएम को लिखित में समस्याओं से अवगत कराए जाने के बाद भी कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई. यही वजह है कि अब हमने सीएम के विरोध का मन बना लिया है.

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सड़क पर उतरेगी समिति - उन्होंने कहा कि 15 से 20 ऐसे बिंदुओं पर गहलोत सरकार ने अन्याय किया है, जिससे सामान्य और ओबीसी वर्ग में काफी नाराजगी है. इनमें से हमने 7 प्रमुख बिंदुओं को चिन्हित किया है. जिसको लेकर आरोप पत्र तैयार कर हर जिले में प्रस्ताव दिए जा रहे हैं. हालांकि अभी भी हम इन्हें एक महीने का वक्त देंगे, जो गलतियां मुख्यमंत्री ने की है अगर उसमें सुधार करते हैं तो ठीक है, वरना हम उनका सड़क पर उतर कर विरोध करेंगे. साथ ही हमारा केवल यही लक्ष्य होगा कि उन्हें किसी भी सूरत में चुनाव न जीतने दिया जाए.

गृह जिले में होगी विधिवत घोषणा - पाराशर ने कहा कि समता आंदोलन समिति की जो मुद्दे हैं, वो मुख्यमंत्री स्तर के हैं. मुख्यमंत्री के निर्देशन में ही उनके साथ अन्याय हुआ है. किसी कांग्रेस के विधायक से उनकी कोई नाराजगी नहीं है. समता आंदोलन समिति ने 2013 में कांग्रेस का विरोध किया था, इसलिए कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट कर रह गई थी. इसके बाद जब भी हारे हुए विधायक मिलते तो वो कहते थे कि हमने तो आपको बुरा नहीं किया, जो निर्णय हुआ वो सरकार में बैठे हुए मुख्यमंत्री के स्तर पर हुआ. ऐसे में हमने यह निर्णय लिया है कि हम कांग्रेस का नहीं, बल्कि सीएम गहलोत का विरोध करेंगे. उन्होंने कहा कि जो 7 बिंदू आरोप पत्र में चिन्हित किए गए हैं. वो आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के गृह जिले जोधपुर में जारी किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि कोटा, भरतपुर, जयपुर और अजमेर चार संभाग मुख्यालयों पर समता आंदोलन समिति की स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित समारोह में प्रस्ताव पास कराए गए हैं.

7 बिंदुओं का प्रस्ताव

  1. दिनांक 5/10/2018 की अधिसूचना वापस लेकर सामान्य व ओबीसी वर्ग के लोक सेवकों को रिगेनिंग के लाभ से वंचित किया.
  2. 2020 मे कुल 1254 कनिष्ठ सहायक पदों पर बैक लॉग के नाम पर अविधिक भर्ती की, जिससे आने वाले 35 सालों में लगभग 39500 करोड़ रुपए का नुकसान राजकोष को होगा.
  3. अपने घोषणापत्र के चैप्टर 25 वचन संख्या 2 मे पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने का वचन दिया, लेकिन बार बार ज्ञापन देने के बाद भी अभी तक ये वचन पूरा नहीं किया है.
  4. एट्रोसिटी एक्ट मे एफआईआर दर्ज होते ही गिरफ्तारी को अनिवार्य बताने वाला अविधिक सर्कुलर जारी करने वाले एडीजी पुलिस रवि प्रकाश मेहरडा को बचाने की कार्रवाई मे गहलोत लगे हुए हैं. जबकि हाईकोर्ट ने उक्त सर्कुलर को निरस्त करने और मेहरडा को दण्डित करने के लिये नोटिस जारी किये हुए हैं.
  5. निरंजन आर्य को अविधिक रूप से जातिगत भेदभाव करते हुए मुख्य सचिव बनाया, जिससे सामान्य ओबीसी वर्ग के दस वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों का नुकसान ही नहीं हुआ बल्कि उनका अपमान हुआ.
  6. बाबूलाल कटारा को जातिगत राजनीति करते हुए लोकसेवा आयोग का सदस्य बनाया, जो पेपर बेचते हुए गिरफ्तार हुआ, लाखों अभ्यर्थियों को नुकसान हुआ.
  7. आरएएस जयसिंह जैसे भ्रष्ट अधिकारी को डीओपी मे संयुक्त सचिव बनाया, जिसने सामान्य ओबीसी के सैकड़ों लोक सेवकों का अविधिक नुकसान किया, जयसिंह के खिलाफ फौजदारी कार्यवाही करने की अनुमति आज तक नहीं दी है.

पदोन्नति में आरक्षण रहा बड़ा मुद्दा - बता दें कि समता आंदोलन समिति पदोन्नति में आरक्षण का विरोध करती हुई कानूनी रूप से लंबी लड़ाई लड़ रही है. समता आंदोलन समिति देश की प्रतिभा और पिछड़ों के साथ है. उनका मानना है कि आरक्षण की जरूरत नहीं है. वहीं, आरक्षण उन्हें मिलनी चाहिए, जो इसके असल हकदार हैं, न कि किसी संपन्न व प्रभावशील व्यक्ति को और वो भी महज जाति के नाम पर. इसके इतर जातिगत आरक्षण में क्रीमीलेयर का प्रावधान लागू किया जाए. उन्होंने कहा कि समता परिवार निरंतर बढ़ रहा है.

देश में बढ़ा समिति का कुनबा - देश के 13 राज्यों से 3.50 लाख से अधिक लोग जुड़ चुके हैं और 2.7 लाख सक्रिय कार्यकर्ता हैं. पाराशर नारायण शर्मा ने कहा पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट से हुए फैसले के बाद अब सरकारें पदोन्नति में आरक्षित सीट से अधिक अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को मौका नहीं दे सकती है. उन्होंने कहा कि यदि पदोन्नति में आरक्षण दिया जा चुका है तो अब जब तक आरक्षित पद रिक्त नहीं होगा, तब तक अन्य आरक्षित व्यक्ति उस आरक्षित पद पर नहीं आ सकता है. ऐसे में सामान्य वर्ग को लाभ होगा.

Last Updated :May 31, 2023, 7:47 PM IST
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