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Protest of wives of three martyrs: सीएम गहलोत के बयान पर भड़की भाजपा, राज्यपाल से लगाई दखल की गुहार

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Published : Mar 8, 2023, 5:55 PM IST

Updated : Mar 8, 2023, 9:01 PM IST

जयपुर में पिछले 9 दिनों से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठी विरांगनाओं के मामले में बीजेपी ने राज्यपाल से मुलाकात कर हस्तक्षेप की गुहार लगाई.

Protest of wives of three martyrs, BJP demands intervention of Governor to solve the case
Protest of wives of three martyrs: सीएम गहलोत के बयान पर भड़की भाजपा, राज्यपाल से लगाई दखल की गुहार

बीजेपी ने राज्यपाल से वीरांगनाओं के मामले में की दखल की मांग...

जयपुर. राजधानी में पिछले 9 दिन से पुलवामा शहीदों की वीरांगनाएं धरने पर बैठी हैं. वीरांगनाओं की मांग पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बयान जारी कर साफ कर दिया कि उनकी जो मांग है, वह पूरी नहीं की जा सकती. गहलोत ने बीजेपी पर वीरांगनाओं के नाम पर राजनीति करने का भी आरोप लगाया. गहलोत के इस बयान पर अब बीजेपी आग बबूला है. बीजेपी ने आक्रामक रुख अपनाते हुए इस पूरे मामले को लेकर राज्यपाल तक गुहार लगाई है. बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात कर गुहार लगाई कि राजस्थान में 9 दिन से शहीदों की वीरांगनाएं सड़कों पर न्याय के लिए भटक रही हैं, लेकिन प्रदेश की गहलोत सरकार मौन है. ऐसे में महामहिम इस पूरे मामले पर दखल दें और वीरांगनाओं को न्याय दिलाएं.

गुर्जर समाज को नौकरी, तो वीरांगनाओं क्यों नहीं: राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि अगर आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि उनकी जो मांग न्यायसंगत नहीं है, तो फिर कल रात उनकी ओर से भेजे गए दो मंत्रियों ने यह आश्वासन क्यों दिया था कि उनकी जो सभी मांगे हैं, उन्हें पूरा कर लिया जाएगा. इसका मतलब यह है कि धरना समाप्त कराने के लिए मंत्रियों ने झूठ बोला और जब लिखित आश्वासन पर बात नहीं बनी, तो मुख्यमंत्री ने बयान जारी कर मांगों को पूरा करने से इंकार कर दिया.

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किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि जब गुर्जर आंदोलन के समझौते के तहत एक परिवार के चार लोगों को नौकरी दी जा सकती है, तो फिर इन वीरांगनाओं के परिवारवालों को नौकरी क्यों नहीं दी जा सकती? मीणा ने कहा कि वीरांगनाओं की मांग को उठाना कोई राजनीति नहीं है. देश के लिए शहीद होने वाले शहीदों के सम्मान में हम खड़े हैं.

ये है वीरांगनाओं की मांग: दरअसल पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बंगले के बहार धरने पर बैठी पुलवामा हमले में शहीद हुए रोहिताश लांबा की पत्नी मंजू और जीतराम गुर्जर की पत्नी सुंदरी देवी की मांग है कि कॉलेज और स्कूल का नाम उनके शहीद पति के नाम से हो. साथ ही उनकी मांग है कि आश्रितों को मिलने वाली नौकरी उनके देवर को दी जाए. वहीं शहीद हेमराज मीणा की पत्नी मधुबाला मीणा की मांग है कि सांगोद चौराहे पर भी उनकी मूर्ति लगाई जाए और एक स्कूल का नामकरण शहीदों के नाम पर करें. स्कूल, कॉलेज और सड़क के नामकरण को लेकर सरकार तैयार है, लेकिन सांगोद चौराहे पर पहले से शहीद की मूर्ति लगी हुई है. ऐसे में सरकार के सामने चुनौती है कि कैसे एक स्थान पर दो मूर्ति लगाई जाए.

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वहीं मंजू और सुंदरी देवी के देवर को नौकरी देने की मांग पर सरकार का तर्क है कि आश्रितों की नौकरी में पत्नी या बेटे-बेटी को ही नौकरी दी जा सकती है. इनका हक मारकर किसी रिश्तेदार को नौकरी देना संभव नहीं है. अब वीरांगनाओं की नाराजगी है कि जब सरकार मांग पूरी नहीं कर सकती, तो बुधवार जो दो मंत्री आये थे, उन्होंने क्यों कहा था कि धरना समाप्त कर दो, सभी मांग पूरी हो जाएगी. इसके साथ वीरांगनाओं की मांग उन पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की भी है, जिन्होंने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था. वीरांगनाओं का कहना है कि यहां सरकार हमारी सुन नहीं रही, इसलिए सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी से मिलकर हम अपनी मांगें रखना चाहते हैं. सचिन पायलट ने कहा था कि गांधी परिवार से मिलवा देंगे, लेकिन अब वो भी पता नहीं कहां चले गए.

महामहिम से गुहार: उधर सीएम गहलोत के बयान के बाद अब इस मामले में सांसद किरोड़ी लाला मीणा के बाद बीजेपी के अन्य नेता भी इस आंदोलन में कूद गए हैं. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी, विधायक अशोक लाहोटी और रामलाल शर्मा ने वीरांगनाओं की मांग पर मध्यस्थता करने के लिए मुलाकात कर आग्रह किया. राठौड़ और अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि बड़ा दुर्भाग्य है कि जिस राज्य से सबसे ज्यादा शहीद हुए हैं, उस राज्य में वीरांगनाओं को अपमानित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री से मुलाकात की मांग करने वाली वीरांगनाओं को पुलिस की ओर से न केवल दुर्व्यवहार किया गया, बल्कि उनके ऊपर लाठियां बरसाई जाती हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्री जिन्होंने शहीदों की शहादत के समय बड़ी-बड़ी घोषणा कर दी, लेकिन आज जब उनको पूरा करने की बारी आ रही है, तो वे खामोश बैठे हैं. उन्होंने कहा कि 9 दिन से राजस्थान की वीरांगनाएं न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही हैं. उन सब को देखते हुए राज्यपाल कलराज मिश्र से आग्रह किया है कि वह इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करें.

सैनिक कल्याण मंत्री, सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और वीरांगनाओं को बिठाकर उनकी मांगों पर सकारात्मक निर्णय लें. बीजेपी की राजनीति करने के सवाल पर अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि अगर कांग्रेस को लगता है कि देश की वीरांगनाओं के साथ खड़ा होना राजनीति है तो उसके लिए न केवल बीजेपी बल्कि पूरा राजस्थान खड़ा है. इन वीरांगनाओं को न्याय सरकार नहीं दे पा रही है. इसलिए बीजेपी को उनकी आवाज उठानी पड़ रही है.

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सीएम गहलोत ने मांग बताई असंवैधानिक: बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीरांगनाओं की मांग को असंवैधानिक बताया था. उन्होंने कहा था कि एक चौराहे पर शहीद की मूर्ति हटाकर दूसरे शहीद की मूर्ति लगाना ठीक नहीं है. इससे दूसरी शहीद का अपमान करने जैसा होगा. वहीं एक शहीद की वीरांगना देवर को नौकरी देने की मांग कर रही है. वह संवैधानिक रूप से पूरी नहीं की जा सकती. प्रावधान में पत्नी या बेटा-बेटी को ही नौकरी दी जा सकती है. अगर शहीद की पत्नी और बेटे-बेटी की जगह किसी अन्य पारिवारिक सदस्य को नौकरी दी जाती है, तो बच्चों के अधिकारों के साथ कुठाराघात होगा. गहलोत ने यह भी कहा था कि बीजेपी इस पूरे मामले पर अपनी राजनीतिक रोटी सेक रही है.

Last Updated : Mar 8, 2023, 9:01 PM IST
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