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बॉन्ड नीति में खामियों के विरोध में उतरे रेजिडेंट्स, सम्पूर्ण कार्य बहिष्कार पर चिकित्सक

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Published : Oct 6, 2022, 12:36 PM IST

Resident doctors protest in Jaipur
सम्पूर्ण कार्य बहिष्कार पर चिकित्सक

रेजिडेंट चिकित्सक चिकित्सा शिक्षा विभाग की बॉन्ड नीति के विरोध में उतर गए हैं. सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज और इनसे जुड़े अस्पतालों के रेजिडेंट्स आज से संपूर्ण कार्य बहिष्कार पर चले गए हैं.

जयपुर. रेजिडेंट चिकित्सक सरकार की बॉन्ड नीति के विरोध में उतर गए हैं और सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज और इनसे जुड़े अस्पतालों में चिकित्सक संपूर्ण कार्य बहिष्कार पर चले गए हैं. हालांकि इस दौरान इमरजेंसी और ट्रॉमा सेवाओं को दूर रखा गया है. जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स का कहना है कि बॉन्ड नीति में कई खामियां हैं, जिसे दूर किया जाए. चिकित्सकों ने सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से लेकर त्रिमूर्ति सर्किल तक रैली भी निकाली और विरोध प्रदर्शन (Resident doctors protest in Jaipur) किया.

वर्ष 2013-14 में चिकित्सा शिक्षा विभाग (Rajasthan Medical Education Department) ने रेजिडेंट चिकित्सकों को लेकर एक बॉन्ड नीति जारी की थी, जिसके तहत पीजी होने के बाद चिकित्सक को कुछ वर्ष सरकारी सेवा में नौकरी देनी होगी या फिर 25 लाख का बॉन्ड भरना होगा. लेकिन प्रदेशभर के रेजिडेंट चिकित्सक अब इस नीति के विरोध में उतर गए हैं. रेजिडेंट चिकित्सकों का कहना है कि हम बॉन्ड भरने को तैयार हैं, लेकिन बॉन्ड नीति अत्यंत जल्दबाजी में जारी की गई है और इसमें सुधार की जरूरत है क्योंकि इससे रेजिडेंट चिकित्सकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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चिकित्सकों का कहना है कि राज्य सरकार की यह बॉन्ड नीति अत्यंत जल्दबाजी, अपारदर्शिता और अपरिपक्व तरीके से लाई गई है और सरकार की ओर से बॉन्ड नीति की विज्ञप्ति निकाले जाने के बाद भी राजस्थान के सभी मेडिकल कॉलेजों में अभ्यर्थियों का बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया के सीनियर रेजिडेंट पदों पर नियुक्त हो जाना, भ्रष्टाचार और धांधली को प्रदर्शित करता है.

दूसरी तरफ रेजिडेंट्स पर लगाई जाने वाली बॉन्ड नीति जिसकी प्रक्रिया इस साल परीक्षा के पूर्व ही शुरू हो जानी चाहिए थी वह अब 6 महीने बाद अक्टूबर महीने में शुरू की जा रही है. इस मध्य अवधि में सभी रेजिडेंट्स को बिना पूर्व सूचना और बॉन्ड की शर्तों के विपरीत दस्तावेज प्रदान नहीं करने एवं सरकार की लेटलतीफी से सभी रेजिडेंट को लगभग 5 महीने बिना आय के आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ा रहा है. यह सरकार की प्रताड़ित करने वाली और दमनकारी नीति को दर्शाता है. उन्होंने मांग की कि इसके लिए राज्य सरकार रेजिडेंट्स को 5 महीने का का वेतन दें और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर उचित कार्रवाई करके उनके पद से हटाया जाए.

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चिकित्सकों का यह भी कहना है कि दूसरे राज्यों से राजस्थान पीजी करने आने वाले चिकित्सक सबसे अधिक परेशान हो रहे हैं क्योंकि ऐसे चिकित्सक दूसरे राज्यों में सरकारी सेवा में मौजूद हैं और स्टडी लीव लेकर पीजी करने राजस्थान आए हैं. लेकिन अब उन्हें डिग्री नहीं दी जा रही है.

लैटरल एंट्री बंद हो- रेजिडेंट चिकित्सकों का कहना है कि सुपर स्पेशलिटी में लैटरल एंट्री बंद होनी चाहिए और जो भी लैटरल एंट्री हुई उसको पुनः उनके मूल डिपार्टमेंट में भेजा जाए. सभी रिक्त पद RPSC की ओर से एक पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से भरे जाए जिससे सभी को समान अवसर प्राप्त हो. इसके अलावा राज्य के तकरीबन 5 हजार से अधिक एमबीबीएस डॉक्टर्स चिकित्सा अधिकारी की भर्ती निकालने और पद संख्या बढ़ाने के लिए आंदोलनरत हैं. सरकार उनकी मांगों को दरकिनार कर रही है.

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वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इन हजारों डॉक्टर्स की उपलब्धता को देखते हुए इस बॉन्ड नीति को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए और इसे लागू करने की संभावनाओं पर पुनर्विचार किया जाए. इसके अलावा बॉन्ड नीति में in-service रेजिडेंट डॉक्टर्स को भी समान अवसर प्रदान किए जाए और नीति की विसंगतियों को दूर करने एवं बांड की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक कमेटी गठित की जाए, जिसमें रेसिडेंट डॉक्टर्स के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए. रेजिडेंट चिकित्सकों का कहना है कि यदि सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो फिर प्रदेश में एक बड़ा आंदोलन रेजिडेंट चिकित्सकों की ओर से किया जाएगा.

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