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Special : मस्ती की पाठशाला में आखर ज्ञान से रोशन हो रहे नौनिहाल, पतंग से दे रहे ये संदेश

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Published : Dec 30, 2022, 6:54 PM IST

Updated : Dec 30, 2022, 7:55 PM IST

जयपुर के मानसरोवर में शिप्रा पथ पर कच्ची बस्ती के बच्चों के लिए मस्ती की पाठशाला (Jaipur Masti Ki Pathshala) किसी सौगात से कम नहीं है. यहां बच्चे खेल-खेल में पढ़ना सीख रहे हैं, साथ ही समाज के लिए सीख भी दे रहे हैं. देखिए जयपुर से ये खास रिपोर्ट...

Masti Ki Pathshala
आखर ज्ञान से रोशन हो रहे नौनिहाल

मस्ती की पाठशाला में आखर ज्ञान से रोशन हो रहे नौनिहाल...

जयपुर. बच्चों का भविष्य उनकी शिक्षा पर निर्भर होता है, लेकिन इस महंगाई के जमाने में सही शिक्षा प्राप्त करना आसान नहीं है. गरीब परिवारों के लिए तो ये और भी कठिन काम है, क्योंकि प्राइवेट स्कूलों के अलावा जो बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं, वहां की शिक्षा-व्यवस्था का हाल हर कोई जानता है. ऐसे में मस्ती की पाठशाला कच्ची बस्ती में रहने वाले बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

ऐसी ही एक पाठशाला जयपुर में चल रही है जहां बच्चे खेल-खेल में आखर ज्ञान सीख रहे हैं, साथ ही पतंग बनाकर समाज को संदेश भी दे रहे हैं. समाजसेवी अनुज श्रीवास्तव इस मस्ती की पाठशाला को चलाते हैं और उनका मकसद है कि भिक्षावृत्ति और कचरा बीनने वाले लोगों के बच्चे अपने माता-पिता की राह पर ना निकलें और पढ़-लिखकर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो जाएं.

Masti Ki Pathshala
खेल-खेल में आखर ज्ञान...

इसी मकसद को लेकर सालों पहले उन्होंने बस्ती के लोगों से समझाइश कर (Masti Ki Pathshala) इस मुहिम को शुरू किया, जो आज उनकी सफलता की कहानी को बयां कर रहा है. पाठशाला का पहला बच्चा आज कानोता के एक हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा है, तो बाकी बच्चे उसी तर्ज पर आगे बढ़ने की ख्वाहिश लेकर मस्ती की पाठशाला में रोज आते हैं.

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खेल-खेल में आखर ज्ञान : मस्ती की पाठशाला चलाने वाले अनुज श्रीवास्तव बताते हैं कि खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाई कराने के साथ-साथ उनकी सेहत और जरूरी बातों का भी ध्यान रखते हैं. फिलहाल, सक्रांति जैसा त्योहार सामने है और जयपुर में पतंगबाजी का उत्साह चरम पर होता है. लिहाजा उन्होंने इस मस्ती की पाठशाला के साथ 1 महीने की पतंग बनाओ कार्यशाला को भी जोड़ दिया, जिसमें पढ़ाई से भागने वाले बच्चों के लिए एक मुहिम भी जोड़ दी गई. पहले अनुज श्रीवास्तव इन बच्चों को पतंग बनाना सिखाते हैं, फिर जो बच्चा जितनी पतग में बनाता है, वह पाठशाला के बाद बाकी समय में उसे उड़ाने के लिए अपने साथ ले जा सकता है. इस मुहिम से उत्साहित होकर बड़ी संख्या में बच्चे भी पाठशाला में आते हैं और पढ़ने के साथ-साथ पतंग बनाना भी का हुनर भी सीखते हैं. इन पतंगों पर समाज के लिए खास पैगाम भी है.

Jaipur Police Social Work
पतंगों पर पैगाम और पुलिस का साथ...

पतंगों पर पैगाम और पुलिस का साथ : मस्ती की पाठशाला में कच्ची बस्ती के बच्चों की बनाई पतंगी ना सिर्फ प्रेरणा है, बल्कि वे समाज के लिए (Jaipur Police Social Work) संदेश भी दे रहे हैं. एक तरफ पतंगों पर यातायात के नियम है, तो दूसरी ओर पतंगबाजी के लिए भी कानून-कायदे को समझाया गया है. इन पतंगों पर हेलमेट से लेकर सीट बेल्ट और रफ्तार के कहर को बताने के लिए संदेश लिखे गए हैं. साथ ही पतंगबाजी के शौकीन लोगों को यह बताया गया है कि किन बातों का ध्यान पतंगबाजी के दौरान रखा जाना चाहिए.

संदेश में बताया गया है कि शाम 5:00 बजे बाद पतंग नहीं उड़ाई जानी चाहिए. पतंग उड़ाते वक्त पक्षियों का ध्यान रखना चाहिए. चाइनीज मांझी के इस्तेमाल से बचना चाहिए और सड़कों पर पतंग लूटते हुए भागना नहीं चाहिए. इसी तरह से ट्रैफिक के नियमों में भी यह बताया गया है कि हमेशा सीट बेल्ट पहनकर और हेलमेट लगाकर ही गाड़ी चलानी चाहिए. शराब पीकर या तेज रफ्तार में गाड़ी नहीं चलानी चाहिए, साथ ही इस बात का ख्याल भी रखना चाहिए कि गाड़ी हमेशा बाईं और ही चलाई जा रही है.

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जयपुर ट्रैफिक पुलिस को रास आई मुहीम : पतंग के ऊपर लिखे पैगाम वाली जयपुर ट्रैफिक पुलिस को भी रात आई है. यही वजह है कि 1 महीने तक चलने वाले इस कार्यक्रम का समापन जब विवेकानंद जयंती युवा दिवस पर होगा, उससे पहले 1 जनवरी को यातायात सुरक्षा सप्ताह के दिन से इस मस्ती की पाठशाला से जुड़े वॉलिटियर शहर के अलग-अलग ट्रैफिक पॉइंट पर लोगों को जागरूकता का संदेश भी देंगे. बच्चों की लगाई पतंगों को जयपुर ट्रैफिक पुलिस के मुख्यालय यादगार पर भी लगाया गया है. बच्चों की पढ़ाई पतंगों को लोगों के बीच भी बैठकर उन्हें जागरूक किया जाएगा.

Jaipur Masti Ki Pathshala
जयपुर में मस्ती की पाठशाला...

मस्ती की पाठशाला का मकसद : मस्ती की पाठशाला का मकसद है कि कच्ची बस्ती में रहने वाले गरीब और जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ समाज की मौजूदा परिस्थितियों से जोड़ा जाए. किस तरह उन्हें दिन, महीने और साल की अहमियत समझाई जाएं. खास तौर पर भिक्षावृत्ति और कचरा बीन कर गुजर-बसर करने वाले लोगों के बच्चों को आगे बढ़ने के लिए अवसर दिया जाए.

उन बच्चों को शुरुआती शिक्षा से जोड़ने के लिए खेलों से और अन्य गतिविधियों से जोड़ा जाए. उसके बाद उन्हें पढ़ाई के प्रति भी जिम्मेदार बनाने के लिए (Pathshala for Poor and Illiterate Children) प्रयास किया जाता है. बच्चों को प्रेरित किया जाता है कि वे रोजाना नहाकर पढ़ने के लिए पहुंचें और अपने स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक बनें.

Last Updated :Dec 30, 2022, 7:55 PM IST
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